पिछले कुछ वर्षों से GOOGLE के एकाधिकार को लेकर दुनिया भर में खूब चर्चा छिड़ी हुई है। विज्ञापन में मीडिया संस्थानों की हिस्सेदारी की बात हो या ऑनलाइन सर्च बाजार में उसके एकाधिकार की, इसे खत्म करने मांग पुरजोर तरीके से उठाई जा रही है। दुनिया के कई देशों में (भारत में भी) गुगल मुकदमेबाजी में उलझा हुआ है। कई देशों में तो हजारों करोड़ डॉलर जुर्माना भी लग चुका है। यहां तक अमेरिका में भी काफी समय से मुकदमा चल रहा है। अमेरिका से ही अब एक नई बात सामने आ रही है। अमेरिकी विधि विभाग गुगल की मोनोपॉली खत्म करने के लिए इसके टुकड़े करने पर विचार कर रहा है। क्योंकि न्यायालय ने पाया है कि ऑनलाइन सर्च के बाजार में GOOGLE गैरकानूनी तरीके से एकाधिकार कायम किया है। अगर ऐसा होता है कि ऑनलाइन सर्च बाजार पर बड़ा असर पड़ेगा। कई अन्य सर्च इंजन लोगों को देखने को मिल सकते हैं। यह जानकारी ब्लूमबर्ग के जरिये मिली है। बतादें कि वाशिंगटन डीसी की अमेरिकी जिला न्यायालय के एक फैसले में यह कहा गया है कि गुगल को सामान्य खोज सेवाओं के बाजार में 89.2% की हिस्सेदारी हासिल है, मोबाइल उपकरणों पर यह 94.9% तक बढ़ जाती है।
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टुकड़े करने की खबर पर गिरा GOOGLE का शेयर
अमेरिकी विधि विभाग की इस खबर के सामने आने के बाद GOOGLE का शेयर तीन प्रतिशत तक गिर गया। हालांकि, विधि विभाग की प्रवक्ता ने कहा है कि न्यायालय के आदेश का विश्लेषण किया जा रहा है। इसी के साथ संभावित कदमों और उससे जुड़े कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, गुगल के स्पोकपर्सन ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय का आदेश पिछले सप्ताह आया था जिसमें गूगल को एंटी ट्रस्ट लॉ के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। माना गया था कि बाजार पर अवैध तरीके से एकाधिकार करने के लिए गूगल ने अरबों डॉलर की धनराशि खर्च की है।
न्यायालय में GOOGLE के वकील की दलील थी कि यूजर उनके सर्च इंजन की ओर से इसलिए आकर्षित होते हैं क्योंकि वह इस बेहद उपयोगी पाते हैं। गूगल इसे और बेहतर बनाने के लिए निवेश भी कर रहा है। बतादें कि ऑनलाइन सर्च मार्केट के लगभग 90 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण रखने के कारण 2020 में न्याय विभाग ने GOOGLE पर मुकदमा दायर किया था। गुगल पर आरोप है कि उसने यह सुनिश्चित करने के लिए अरबों डॉलर का भुगतान किया है कि वह स्मार्टफोन और ब्राउजरों पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बना रहे।
एकाधिकार के लिए खर्च किए 2630 करोड़ डॉलर
न्यायालय में विवेचना के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि गुगल ने मोबाइल फोन व अन्य उपकरणों में अपने सर्च इंजन को पहले से इंस्टॉल करवाने के लिए स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों और टेलीकॉम कंपनियों को साल 2021 में 2,630 करोड़ डॉलर दिए। ऐसा करके उसने इंटरनेट सर्च इंजन के क्षेत्र में अपना एकाधिकार बनाए रखा। गूगल सर्च प्लस मार्जिन नामक दस्तावेज में यह बात सामने आई है। यह दस्तावेज सार्वजनिक है। आरोप है कि गूगल ने एपल सफारी, डकडकगो जैसे प्रतिद्वंदियों को सर्च इंजन के क्षेत्र में स्थापित होने से रोकने के लिए यह पैसा दिया।
इन कंपनियों को दिया गया पैसा
हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि गुगल ने किस कंपनी को कितने रुपये दिए। लेकिन, अनुमान लगाया जा रहा है कि सबसे ज्यादा पैसा आईफोन व अन्य उपकरण बनाने वाली कंपनी एपल को मिला। पूर्व में अनुमान था कि अकेले एपल को 1,900 करोड़ मिले। बाकी पैसा पाने वाली कंपनियों में मोटोरोला, एलजी, सैमसंग और अमेरिकी टेलीकॉम कंपनियां जैसे एटी एंड टी, टी-मोबाइल, वेरिजोन और वेब ब्राउजर बनाने वाली कंपनियां जैसे मोजीला, ओपेरा, यूसीवेब शामिल हैं।
2021 में 12.17 लाख करोड़ रुपये कमाए
सर्च प्लस मार्जिन दस्तावेज के अनुसार, गूगल ने इंटरनेट सर्च कारोबार से 2021 में 14,600 करोड़ डॉलर कमाए। रुपये में यह राशि करीब 12.17 लाख करोड़ है। इसमें से 2,630 करोड़ डॉलर यानी करीब 2.20 लाख करोड़ रुपये का भुगतान उसने कंपनियों को किया। खास बात है कि उसने इस राशि ट्रैफिक अधिग्रहण लागत (टीएसी) के रूप में खर्च दिखाई। यह भी सामने आया कि उसने 2014 में सर्च कारोबार से 4,700 करोड़ डॉलर कमाए थे, यानी 7 साल में कमाई तीन गुना बढ़ी। वहीं, 2014 में ही टीएसी 710 करोड़ डॉलर थी, इसमें करीब चार गुना इजाफा हुआ।