उत्तराखंड में तीन विश्वविद्यालयों में B.Ed की 7350 सीटों के लिए महज 1500 आवेदन आए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि तीन दिन बाद है। दरअसल, एक प्रवेश परीक्षा-एक परिणाम योजना के तहत इस बार राज्य के तीन विवि श्रीदेवसुमन विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोडा के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा की जिम्मेदारी श्रेदेवसुमन विश्वविद्यालय को मिली है। विवि प्रशासन ने 26 अप्रैल से आवेदन मांगने शुरू किए हैं। 15 मई तक अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि अगर यही हालत रहे तो तकरीबन पांच हजार सीटें इस बार खाली ही रहेंगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर गईं हैं। कम आवेदन पर विवि प्रशासन ने भी चिंता जताई है। विवि प्रशासन ने प. ललित मोहन शर्मा परिसर निदेशक व विवि से संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र भेजकर प्रचार करने के लिए कहा है। ताकी, अधिक से अधिक छात्र छात्राएं आवेदन के लिए आएं। प्रवेश परीक्षा 26 मई को आयोजित कराई जाएगी। श्रीदेवसुमन विवि उत्तराखंड के कुलसचिव केआर भट्ट भी कहते हैं कि इस बार बहुत ही कम आवेदन आए हैं। इसलिए प्राचार्यों से कोर्स के प्रचार के लिए कहा गया है।
किस विवि में कितनी सीटें
श्रीदेव सुमन विवि व संबद्ध संस्थान- 3300
कुमाऊं विवि नैनीताल, व संबद्ध संस्थान 3550
सोबन सिंह जीवा विवि, अल्मोडा- 500
आखिरकार, यह स्थिति क्यों आई है। क्यों युवाओं का बीएड कोर्स से मोहभंग हो रहा है
एक समय था जब राज्य में जितनी बीएड की सीटें होती थीं उससे दोगुने से ज्यादा आवेदन करने वाले होते थे। लेकिन, 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से सब बदल गया। दरअसल, प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए बीएड की डिग्री अमान्य घोषित कर दिया गया। इस बारे में युवाओं का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में वैकैंसी बहुत कम आती हैं। प्राथमिक कक्षाओं के लिए बीटीसी और डीएलएड करने वाले योग्य है। ऐसे में बीएड करने वालों के लिए अवसर बेहद कम हो गए हैं।
सरकारी टीचर ही बेहतर विकल्प
अपने देश में शिक्षकों के लिए सरकारी स्कूल ही बेहतर विकल्प माने जाते हैं। क्यों कि प्राइवेट स्कूलों में बेहद कम पैसे मिलते हैं। मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों में निजी स्कूलों के मास्टरों की औसम सैलरी 15 से 20 हजार होती है। ऐसे में वह जी-जान से सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं। इस वर्ग में भी एक बड़ा वर्ग उन लड़कियों का है जिनके माता-पिता अपनी बेटियों को दूसरे शहरों या बड़े शहरों में नौकरी करने नहीं जाने देते।
नई शित्रा नीति के तहत शिक्षा मंत्रालय ने इंटिग्रेडेट कोर्स शुरू किया गया है। चार साल के बीएड का ऐलान किया है। यह किसी भी और बैचलर डिग्री के जैसे ही – सीधे 12वीं के बाद किया जा सकता है। इसमें बीए, बीएससी, बीकॉम के साथ आप चार साल के कोर्स में ही बीएड भी कर सकते हैं।
अब इस मुद्दे को समझिए…
इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 2018 में आया। शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय परिषद या National Council for Teacher Education ने एक अधिसूचना जारी की। शिक्षा राज्य का मसला है, लेकिन NCTE ही शिक्षकों के लिए योग्यता निर्धारित करती है। इसमें लिखा था कि B.Ed डिग्री वाले छात्र प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए योग्य होंगे। लेकिन, उन्हें 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करना होगा। नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर।
इसके बाद 11 जनवरी 2021 को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (RTET) के लिए विज्ञापन निकाला। नोटिफ़िकेशन के मुताबिक़-केवल BSTC डिग्री वाले अभ्यर्थी ही इस परीक्षा के लिए अर्ह थे, B.Ed धारक नहीं। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। उधर D.El.Ed वालों ने भी B.Ed वालों को भर्ती में शामिल किए जाने को चुनौती दे दी। राजस्थान सरकार ने D.El.Ed धारकों का समर्थन किया। जनवरी से सुनवाई चलती रही। 25 नवंबर, 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट ने NCTE की अधिसूचना खारिज कर दी। कहा कि B.Ed डिग्री धारक प्राइमरी टीचर की पोस्ट के लिए क़ाबिल नहीं होंगे। कोर्ट ने कहा कि बीएड पर्याप्त योग्यता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि बीएड वालों के लिए ब्रिज कोर्स का प्रावधान सुझाने का मतलब ही यही है कि B. Ed का कोर्स पहली से पांचवी क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए नाक़ाफ़ी है।
सोशल मीडिया पर लगा रहे गुहार
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रभावित B.Ed डिग्री धारक कई दिनों से सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि सरकार अध्यादेश लाए और B.Ed डिग्री वालों के साथ इंसाफ किया जाए। जिससे कि उन्हें प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए पात्र माना जाए।