आम बजट 2025 को मध्यम वर्ग का बजट कहा जा रहा है। Income Tax में छूट सीधे पांच लाख रुपये बढ़ा दी गई है। अब 12 लाख रुपये की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने संसद में बताया कि इससे सरकार पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सवाल ये उठता है कि मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग को इतनी बड़ी राहत दी क्यों। क्या वाकई उसे मध्यम वर्ग की चिंता है या दूसरा गणित है। ये बात तो सर्वमान्य है कि मध्यम वर्ग का अधिकांश हिस्सा मोदी समर्थक है।
पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी के मुताबिक 2025 तक देश की आबादी का फीसदी हिस्सा मिडिल क्लास के दायरे में आता है। 2016 में 26 फीसदी लोग मिडिल क्लास के दायरे में आते थे। भारतीय अर्थव्यवस्था इस वक्त मांग की कमी से जूझ रही है। कहा जा रहा है कि चूंकि वस्तुओं और सेवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता समूह मिडिल क्लास के हाथ में पैसा नहीं बच रहा है इसलिए उसकी खरीद क्षमता प्रभावित हुई है और अर्थव्यवस्था में मांग घट गई है।
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चूंकि कंपनियां खपत में कमी देख रही हैं इसलिए वो उत्पादन नहीं बढ़ा रही हैं और न ही नया निवेश कर रही हैं। इसका असर आर्थिक ग्रोथ पर पड़ा है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 6.4 फीसदी रही है जो पिछले चार साल की सबसे धीमी ग्रोथ है। आर्थिक सर्वे में 6.3 से लेकर 6.8 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया जा रहा है, जो स्लोडाउन की निशानी मानी जा रही है। कहा जाता है कि मध्यम र वर्ग उपभोक्ता, कर्मचारी और नियोक्ता तीनों होता है। वह ड्राइवर, घरेलू और दूसरे सहायकों की सेवाएं भी लेता है। ऐसे में अगर उसके पास अतिरिक्त पैसा होगा तो इस तरह की सेवा मुहैया करने वालों के हाथों में भी पहुंचेगा और ये पैसा बाजार में आएगा। माना जा रहा है कि मध्य वर्ग के टैक्स पेयर्स को इनकम टैक्स में छूट देने की सरकार की ये कोशिश मांग बढ़ाएगी और इससे अर्थव्यवस्था का चक्र फिर तेजी से घूमेगा।
2014 में मोदी सरकार के सत्ता की बागडोर संभालने के समय ढाई लाख रुपये की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस बार इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया। इस टैक्स छूट से मध्य वर्ग की जेब में अतिरिक्त पैसा होगा और इसके चलते खपत बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, लेकिन कितना, यह आने वाला समय बताएगा, क्योंकि टैक्स छूट से जनता के पास करीब एक लाख करोड़ रुपये ही आएगा। वित्त मंत्री ने बताया कि अगले सप्ताह जो नया आयकर विधेयक लाया जाएगा, वह मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट के मुकाबले कहीं अधिक सरल और स्पष्ट होगा। उम्मीद की जा रही है कि इससे इनकम टैक्स एक्ट आपराधिक छवि से मुक्त होगा। यदि ऐसा होता है तो इससे जनता का विश्वास बढ़ेगा और वह समय पर सही तरीके से टैक्स देने को प्रेरित होगी।
हालांकि, सरकार के विरोधियों का कहना है, देश की एक अरब चालीस करोड़ की आबादी में महज साढ़े नौ करोड़ लोग टैक्स रिटर्न दायर करते हैं और उनमें से भी छह करोड़ लोग शून्य रिटर्न दाखिल करते हैं। कुल साढ़े तीन करोड़ लोगों के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का कदम बाजार में मांग बढ़ाने में कारगर नहीं हो सकता।
हालांकि, 12 लाख या 12.75 लाख से एक रुपये भी अधिक आय होने पर टैक्स स्लैब के हिसाब से कर भरना होगा। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों को व्याज से आय पर छूट 50 हजार के बजाय एक लाख रुपये होगी। वित्त मंत्री ने किसानों, महिलाओं, छात्रों और गरीब गिग श्रमिकों के लिए विशेष घोषणा करते हुए कहा, एक देश केवल उसकी भूमि नहीं होता, बल्कि उसके लोग होते हैं। इसलिए बजट लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप है। जीडीपी में करीब 45 फीसदी का योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र के लिए अहम एलान किए गए हैं। 7.7 करोड़ किसानों, पशुपालकों, मत्स्यपालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है। वहीं, शहरी विकास के लिए एक लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।
कितनी होगी बचत?
नई टैक्स व्यवस्था के तहत अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 12 लाख रुपये सालाना कमाने वाले लोगों को 80,000 रुपये की बचत होगी। जिन लोगों की वार्षिक आय 24 लाख रुपये या इससे अधिक है, वे इनकम टैक्स में 1.10 लाख रुपये बचा सकते हैं। 13 लाख रुपये सालाना आय वाले लोग कर देनदारी पर 25,000 रुपये बचाएंगे। इसी तरह 14 लाख रुपये सालाना आय वाले लोग 30,000 रुपये, 15 लाख रुपये कमाने वाले 35,000 रुपये, 16 लाख रुपये कमाने वाले 50,000 रुपये और 17 लाख रुपये कमाने वाले 60,000 रुपये बचाएंगे। वहीं वार्षिक आय 18 लाख रुपये होने पर बचत 70,000 रुपये, 19 लाख रुपये पर 80,000 रुपये, 20 लाख रुपये पर 90,000 रुपये, 21 लाख रुपये पर 95,000 रुपये, 22 लाख रुपये पर एक लाख, 23 लाख रुपये पर 1.05 लाख रुपये की बचत होगी। 24 लाख रुपये से अधिक आय वालों को 1.10 लाख रुपये का कर लाभ मिलेगा।