Ratan Tata के बारे में कहा जाता था कि वह एक दरियादिल इंसान थे। सादगी से हर किसी का दिल जीत लेते थे। कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। वह उन शख्सियतों में शामिल थे जिनका हर कोई सम्मान करता था। उन्होंने पूरी उम्र शादी नहीं की। आखिर क्या वजह रही कि वह कुंवारे रहे। इसके पीछे कई किस्से कहानियां बताई जाती हैं। फिलहाल, उन्हीं किस्सों को फिर से दोहराते हैं। 1948 में रतन टाटा जब केवल दस साल के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे और इसलिए उनका पालन-पोषण उनकी दादी, नवाजबाई टाटा ने किया। वह चार बार शादी करने के करीब पहुंचे, लेकिन कई कारणों से शादी नहीं कर सके।
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पिता से हुआ था मतभेद
रतन टाटा ने ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’को दिये एक इंटरव्यू में अपने पिता के साथ मतभेदों के बारे में खुलकर जिक्र किया था। वे अपने पिता नवल टाटा के ज्यादा क्लोज नहीं थे, कई चीजों को लेकर दोनों के बीच मतभेद थे। वे बचपन में वायलन सीखना चाहते थे, लेकिन उनके पिता की चाहते थे कि वह पियानो सीखें। इस पर दोनों के बीच मतभेद हुआ। इसके अलावा टाटा चाहते थे कि वह अमेरिका जाकर पढ़ाई करे, जबकि उनके पिता उन्हें ब्रिटेन भेजना चाहते थे। टाटा खुद आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता की जिद थी कि वह इंजीनियर बनें।
भारत-चीन युद्ध न होता तो शादीशुदा होते टाटा
उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वे लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण, लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के खिलाफ थे। इस तरह पहली बार उनका रिश्ता बिगड़ गया। इसी तरह तीन और मौके आए। लेकिन, वह किसी कारण वश उन्हें पीछे हटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की। रतन टाटा इसके बाद वह कारोबारी दुनिया में रम गए और फिर निजी जिंदगी के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला।
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चेयरमैन बनते ही 3 लोगों को कंपनी से निकाला
साल 1991 में रतन टाटा पहली बार टाटा संस के चेयरमैन बने थे। इससे पहले जेआरडी टाटा कंपनी के चेयरमैन थे। जेआरडी ने तीन लोगों को ही कंपनी की पूरी कमान दे रखी थी। सारे फैसले यही तीनों लेते थे। जब रतन टाटा चेयरमैन बने तो उन्होंने सबसे पहले इन तीनों को हटाकर कंपनी के लीडरशिप में बदलाव का फैसला किया। उनको लग रहा था कि तीनों ने कंपनी पर अपना कब्जा जमा लिया है। रतन टाटा एक रिटायरमेंट पॉलिसी लेकर आए। जिसके तहत कंपनी के बोर्ड से किसी भी डायरेक्टर को 75 की उम्र के बाद हटाना पड़ेगा। इस पॉलिसी के लागू होने के बाद सबसे पहले तीनों को गद्दी छोड़नी पड़ी।
रतन टाटा के कुछ अनमोल वचन
- जीवन में सिर्फ अच्छी शैक्षिक योग्यता या अच्छा करियर ही काफी नहीं है। बल्कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि एक संतुलित और सफल जिंदगी जिएं। संतुलित जीवन का मतलब है हमारा अच्छा स्वास्थ्य, लोगों से अच्छे संबंध और मन की शान्ति, यह सब कुछ अच्छा होना चाहिए।
- जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है, इसकी आदत बना लेनी चाहिए।
- दूसरों की नकल करने वाला इंसान थोड़े समय के लिए सफलता तो प्राप्त कर सकता है, लेकिन वह जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकता है।
- अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तों को कभी नहीं चिढ़ाना चाहिए। एक समय ऐसा आएगा जब आपको उसके नीचे भी काम करना पड़ सकता है।
- लोहे को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन इसकी खुद की ही जंग इसे नष्ट कर देती है। इसी प्रकार एक व्यक्ति को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता है, लेकिन खुद की मानसिकता उसे बर्बाद कर सकती है।