कोविड-19 के बाद हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़े इसपर एक महत्वपूर्ण शोध हुआ है। आईआईटी इंदौर में हुए शोध में सामने आया है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की वजह से हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। डेल्टा वैरिएंट से मेटाबालिज्म और हार्मोनल मार्गों में बड़े व्यवधान पैदा किए हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि इस शोध के बाद भविष्य में टीका बनाने, दवाइयों में कुछ महत्वपूर्ण फेरबदल हो सकता है। साथ ही आगे का शोध निदान से संबंधित हो सकता है। शादी, पार्टी, चलते-चलते या जिम में किसी को हार्ट अटैक आता है और वह बेसुध हो जाता है। पिछले तीन-चार सालों से ऐसे वीडियो की सोशल मीडिया में भरमार है। चिंताजनक बात यह है कि ज्यादातर मामलों में मृतक की उम्र 35 साल से कम थी। इनमें कुछ तो एकदम फिट थे। लोगों में यह चर्चा तो थी कि कोविड-19 के बाद ही ऐसे मामलों में तेजी आई है। अब आईआईटी इंदौर के शोध से इस बात की पुष्टि भी हो गई है।
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यह शोध भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से किया गया है। शोध जर्नल आफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया कि कोविड के विभिन्न वैरिएंट ने मानव शरीर को किस प्रकार प्रभावित किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस शोध के बाद अब यह समझने में आसानी होगी कि कोविड-19 किस प्रकार जटिलताएं पैदा करता है और इससे भविष्य में कैसे बेहतर निदान और उपचार का मार्ग मिल सकता है।
आईआईटी इंदौर के शोध में कोविड-19 के वाइल्ड टाइप (मूल वैरिएंट), अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा से जुड़े प्रमुख बायोकेमिकल, हेमेटोलाजिकल, लिपिडोमिक और मेटाबोलोमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया गया। इसके लिए देश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के 3,134 मरीजों का डाटा लिया गया। शोध के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर सी-रिएक्टिव प्रोटीन, डी-डाइमर, फेरिटिन, न्यूट्रोफिल्स, ह्वाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) का काउंट, लिम्फोसाइट्स, यूरिया, क्रिएटिन और लैक्टेट जैसे मापदंडों की पहचान की गई। शोध का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के डॉ. हेमचंद्र झा और केआइएमएस भुवनेश्वर के डॉ. निर्मल कुमार मोहकुद ने किया।
रासायनिक संतुलन में व्यवधान
जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए उन मरीजों के शरीर के रासायनिक संतुलन में व्यवधान उत्पन्न हुआ। दरअसल, शोध में शोधकर्ताओं ने वायरस के प्रभाव को समझने के लिए मरीजों के डाटा के अलावा स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आने वाले फेफड़े और कोलन कोशिकाओं का भी अध्ययन किया था।
यूरिया और अमीनो एसिड मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास एस जोशी ने प्रेस रिलीज में बताया कि डेल्टा वैरिएंट ने कैटेकोलामाइन और थायराइड हार्मोन उत्पादन से संबंधित मार्गों को प्रभावित किया, जिससे साइलेंट हार्ट फेलियर और थायराइड जैसी समस्याएं हुई हैं। इस निष्कर्ष को मेटा एनालिसिस का भी समर्थन मिला, जो यूरिया और अमीनो एसिड मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी की ओर इशारा करता है। इस अध्ययन में मल्टी-ओमिक्स और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकों को भी शामिल किया गया, जिनका उपयोग इन व्यवधानों को मैप करने के लिए किया गया था। इस शोध से कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव को समझना बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।
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