Close Menu
तीरंदाज़तीरंदाज़
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest Dribbble Tumblr LinkedIn WhatsApp Reddit Telegram Snapchat RSS
    अराउंड उत्तराखंड
    • आस्था का बड़ा केंद्र बनता कैंची धाम, हर साल बढ़ रहे लाखों श्रद्धालु
    • Uttarakhand को बनाएंगे योग और वेलनेस टूरिज्म का वैश्विक हब
    • Kedarnath Helicopter Crash: हादसे के बाद हेलीकॉप्टर संचालन का मानक होगा सख्त
    • गौरीकुंड में Helicopter Crash… सात की मौत, हेलीसेवा रोकी गई
    • भारतीय सेना को 419 युवा अफसर मिले, आईएमए में हुई भव्य पासिंग आउट परेड
    • Uttarakhand… जलस्रोतों के संरक्षण का ‘सारा’ प्रयास
    • जायका पहाड़ का… अब भट्ट की चटनी भी ग्लोबल!
    • Air India Plane Crash : जिंदा बचे एकमात्र यात्री ने पीएम से कहा-मैं कूदा नहीं था…
    • सीएम धामी का गोद लिया गांव सारकोट, तब और अब कितने बदले हालात!
    • बड़ी मछलियां भी जाल में आ रही हैं, मगरमच्छ भी नहीं छोड़े जाएंगे : सीएम धामी
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp Telegram LinkedIn
    Sunday, June 15
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    Home»स्पेशल»Uttarakhand : मेहरबान रहा मौसम, कम धधके हमारे जंगल
    स्पेशल

    Uttarakhand : मेहरबान रहा मौसम, कम धधके हमारे जंगल

    पिछले साल 1276 घटनाएं हुई थीं। इस बार फरवरी से तीन जून तक 204 घटनाएं रिपोर्ट की गईं। कोरोना काल के बाद सबसे कम घटनाएं हुईं। मौसम के अलावा रिस्पांस टाइम घटने का मिला फायदा।
    teerandajBy teerandajJune 4, 2025Updated:June 5, 2025No Comments
    Share now Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    Share now
    Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn

    2025 की गर्मियों का सीजन Uttarakhand के जंगलों के लिहाज से काफी अच्छा रहा। पिछले साल का मंजर लोगों को याद होगा। जंगलों की आग अखबारों की सूर्खियां हुआ करती थीं। सैकड़ों हेक्टेयर वन संपदा जलकर राख हो चुकी थीं। इस बार अब तक हालात काफी काबू में हैं। इस फायर सीजन में अब तक 204 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं। लेकिन, इसमें कोई भी बड़ी घटना नहीं है। यानी, वन संपदा को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है। इसमें सबसे बड़ा योगदान मौसम का रहा। बीच-बीच में हुई बारिश जंगलों के लिए अमृत साबित हुई।

    इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने जंगलों में आग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए। कार्य योजना को लागू किया गया। फायर सीजन शुरू होने के काफी पहले से ही वन विभाग ने जागरूकता अभियान चलाया। जिसमें 1,20,000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप लॉन्च किए गए। सैटेलाइट की मदद से भी जंगल की आग पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा पिछले साल से सबक लेते हुए सरकार ने भी रिस्पांस टाइम घटाया। यानी, सूचना मिलने के बाद तुरंत एक्शन। इन सब वजहों से हमारे जंगल सुरक्षित रहे।

    पिछले साल 1276 घटनाएं दर्ज की गई थीं। 1773 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान हुआ था। पिछले साल तो कई लोगों की जान भी गई थी। कुछ वनकर्मी भी शामिल थे। घटनाओं के मद्देनजर वनाधिकारियों को निलंबित कर अटैच किया गया था। इस बार स्थितियां तुलनात्मक तौर पर काफी काबू में हैं। अपर प्रमुख वन संरक्षक वनाग्नि नियंत्रण निशांत वर्मा मीडिया से बातचीत में बताते हैं, इस बार मौसम ने भी काफी साथ दिया। इसके अलावा जंगल की आग की नियंत्रण के लिए रिस्पांस टाइम को कम किया गया। मानीटरिंग के काम को बेहतर किया गया। इन सब प्रयासों से भी वनाग्नि नियंत्रण में मदद मिली है। 15 फरवरी से अब तक 204 घटनाओं में 226 हेक्टेयर वन संपदा का नुकसान हुआ है।

    हर साल औसतन 1743.16 हेक्टेयर जंगल को क्षति
    71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगल आक्सीजन का विपुल भंडार हैं, लेकिन हर साल ही इन्हें आग से क्षति पहुंच रही है। वर्ष 2020 से लेकर अब तक की घटनाओं पर ही गौर करें तो इन छह वर्षों में आग से 10458.95 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा। इस दृष्टि से देखें तो हर साल औसतन 1743.16 हेक्टेयर जंगल को क्षति पहुंच रही है। यद्यपि, पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार अब तक आग की घटनाएं काफी कम हैं।

    सबसे कम घटनाएं कोविड काल में…
    वर्ष 2014 से शुरू करते हैं। उस साल 515 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई थीं। इसमें 930 हेक्टेयर क्षेत्रफल वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। वहीं, 2015 में यह घटनाएं कम हो गईं। 212 घटनाएं दर्ज की गईं। नुकसान 701 हेक्टेयर में हुआ। कोरोना के शुरुआती दौर यानी 2020 में महज 135 घटनाएं दर्ज की गईं। 172 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। वहीं, 2021 में सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की गईं। उस साल 2813 घटनाएं रिपोर्ट की गईं। 3943 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा था। जंगल की आग की घटनाओं में कमी का एक बड़ा कारण बारिश रही। इसके अलावा वन विभाग ने भी पिछले साल की घटनाओं के मद्देनजर पहले से कई कदम उठाएं, जिसका भी लाभ मिला है।

    आंकड़े कितने सही?
    वन विभाग का दावा है कि रिपोर्टिंग का स्तर काफी सुधरा है। यानी, हर छोटी-बड़ी आग की घटनाओं को दर्ज किया जा रहा है। इसलिए घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई। इस लिहाज से देखा जाए तो कोरोना काल के दौरान जो घटनाएं सामने आईं वह आंकड़ा भी सटीक नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उस दौरान किसी का ध्यान इस ओर नहीं था। दूसरी बात 2020 में 135 घटनाएं दर्ज की गईं। वहीं, 2021 में 2813 पहुंच गईं। इसी तरह 2015 में 412 तो 2016 में 2047 घटनाएं। यह उतार-चढ़ाव इतना असंतुलित क्यों है, इस बारे में भी कोई स्पष्ट जवाब वन विभाग के पास नहीं है।

    यह भी पढ़ें :  कोरोना के बाद क्यों बढ़े हार्ट अटैक के मामले, अब सामने आई वजह

    • वर्ष             घटना                  प्रभावित क्षेत्रफल (हेक्टेयर)
    • 2014            515                    930
    • 2015           412                     701
    • 2016          2074                  4433
    • 2017           805                   1244
    • 2018          2150                  4480
    • 2019          2158                   2981
    • 2020         135                      172
    • 2021         2813                    3943
    • 2022         2186                   3425
    • 2023           773                     933
    • 2024         1276                   1773
    • 2025          204                    226 (तीन जून तक)

     

     

    उत्तराखंड 360
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Pinterest Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram Follow on LinkedIn
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    teerandaj
    • Website

    Related Posts

    Uttarakhand को बनाएंगे योग और वेलनेस टूरिज्म का वैश्विक हब

    June 15, 2025 उत्तराखंड 360 By teerandaj2 Mins Read19
    Read More

    Kedarnath Helicopter Crash: हादसे के बाद हेलीकॉप्टर संचालन का मानक होगा सख्त

    June 15, 2025 कवर स्टोरी By teerandaj4 Mins Read30
    Read More

    जायका पहाड़ का… अब भट्ट की चटनी भी ग्लोबल!

    June 14, 2025 स्पेशल By teerandaj5 Mins Read23
    Read More
    Leave A Reply Cancel Reply

    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Top Posts

    Delhi Election Result… दिल्ली में 27 साल बाद खिला कमल, केजरीवाल-मनीष सिसोदिया हारे

    February 8, 202513K

    Delhi Election Result : दिल्ली में पहाड़ की धमक, मोहन सिंह बिष्ट और रविंदर सिंह नेगी बड़े अंतर से जीते

    February 8, 202512K

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202511K

    UCC In Uttarakhand : 26 मार्च 2010 के बाद शादी हुई है तो करा लें रजिस्ट्रेशन… नहीं तो जेब करनी होगी ढीली

    January 27, 202511K
    हमारे बारे में

    पहाड़ों से पहाड़ों की बात। मीडिया के परिवर्तनकारी दौर में जमीनी हकीकत को उसके वास्तविक स्वरूप में सामने रखना एक चुनौती है। लेकिन तीरंदाज.कॉम इस प्रयास के साथ सामने आया है कि हम जमीनी कहानियों को सामने लाएंगे। पहाड़ों पर रहकर पहाड़ों की बात करेंगे. पहाड़ों की चुनौतियों, समस्याओं को जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में सबकुछ गलत ही हो रहा है, हम ऐसा नहीं मानते, हम वो सब भी दिखाएंगे जो एकल, सामूहिक प्रयासों से बेहतर हो रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की सही तस्वीर सामने रखने का है।

    एक्सक्लूसिव

    EXCLUSIVE: Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    November 14, 2024

    Inspirational Stories …मेहनत की महक से जिंदगी गुलजार

    August 10, 2024

    Startup हो तो ऐसा, उत्तराखंड से दुनिया में बजा रहे टैलेंट का डंका

    August 5, 2024
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202511K

    Digital Arrest : ठगी का हाईटेक जाल… यहां समझिए A TO Z और बचने के उपाय

    November 16, 20248K

    ‘विकास का नहीं, संसाधनों के दोहन का मॉडल कहिये…’

    October 26, 20237K
    तीरंदाज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest LinkedIn WhatsApp Telegram
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    • About Us
    • Atuly Uttaraakhand Emagazine
    • Terms and Conditions
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
    © 2025 Teerandaj All rights reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.