बात बहुत पहले की नहीं है, डेढ़ साल पुरानी है। भराड़ीसैंण से सटे सारकोट की तस्वीर ऐसी नहीं थी, जैसी आज नजर आ रही है। इस गांव को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे ये विकास की दौड़ में पीछे कहीं छूट गया है। ‘अतुल्य उत्तराखंड’ और ‘तीरंदाज लाइव’ की टीम अक्टूबर 2023 में सारकोट आई थी, यहां के हालात और परेशानियों को बहुत करीब से जाना, समझा और उचित मंच पर उठाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगस्त और नवंबर 2024 के बीच दो बार इस गांव का दौरा किया…। उन्होंने गांव को गोद लेने और सारकोट ग्रामसभा को आदर्श ग्राम सभा बनाने का ऐलान किया। क्या यह महज घोषणा बनकर रह गई है या फिर जमीन पर भी काम हो रहा है, इसी की पड़ताल करने एक साल छह महीने 26 दिन बाद हमारी टीम सारकोट पहुंची। कहते हैं, सब्र का फल मीठा होता है। सारकोट वालों को इसका बखूबी अहसास भी हो रहा है। जब पूरा उत्तराखंड पलायन के दंश को झेल रहा था। लोग मजबूर होकर अपना गांव छोड़कर शहरों की ओर ख कर रहे थे। तब सारकोट के लोग मजबूती से अपनी माटी पर डटे रहे। तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए भी यहीं अपनी आजीविका के प्रबंध में लगे रहे। उनका यही सब्र काम आया।
कहा जाता है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी को यही बात भा गई। इसलिए उन्होंने इसी गांव को गोद लेने का फैसला किया। आज यहां की तस्वीर बदल गई है। ऐसा नहीं है, यहां के लोगों को सबकुछ मुफ्त में मिल रहा है। बल्कि सीएम धामी के निर्देशन में सरकारी मशीनरी ने उन्हें स्वाबलंबन की राह दिखाई। अधिकारी उनके बीच पहुंचे। इसके बाद सारकोट के लोगों ने दिखा दिया कि अगर सही नेतृत्व हो तो गांवों में सबकुछ किया जा सकता है।
लोगों ने बैंकों से लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया है, समय पर अपनी बैंक के कर्ज की किस्तें जमा कर रहे हैं। अभी तक कोई डिफाल्टर नहीं हुआ है। सारकोट को देखकर यह बातें सच लगने लगती है- अगर स्वर्ग कहीं हैं तो यहीं हैं। पहाड़ से खड़े होकर देखने पर सारे मकान एक रंग में रंगे दिखाई देते हैं। यही एकरूपता गांव की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। हंसते-खिलखिलाते बच्चों को देखकर आपके चेहरे पर मुस्कान खुद तैर जाएगी। खेतों की निराई करतीं महिलाएं आपको ठिठकने पर मजबूर कर देंगी। गांव के घरों में मशरूम के छोटे-छोटे कमरे आपको अचंभित करेंगे। दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे स्लोगन आकर्षित करते हैं। इसमें प्रकृति से प्रेम करने के संदेश के साथ जागरूकता भी फैलाई जा रही है। गाय-भैंसों के सामने रखी हरी-हरी घास, उनकी आवाज से पशुपालक समझ लेते हैं कि वह भूखी है या प्यासी। गांव के बीच चबूतरे पर इकट्ठे लोगों को योजनाओं की जानकारी देते सरकारी विभाग के अधिकारी। यह सब देखना वाकई अद्भूत लगता है। इसे देखकर किसी के मन में यह आ सकता है कि अगर सारकोट में यह संभव है तो उत्तराखंड के अन्य गांवों में क्यों नहीं।
सारकोट के पूर्व प्रधान राजे सिंह नेगी चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ गांव में हुए कामों के बारे में बताते हैं, वह कहते हैं, जैसे ही सीएम ने इस गांव को गोद लिया, सभी विभागों के अधिकारी यहां पहुंचे। कार्यों की समीक्षा भी करते हैं। यहां पर चार-पांच पानी के टैंक बने हैं। जिससे लोग पेयजल के साथ खेतों की सिंचाई भी कर रहे हैं। पांच पॉलीहाउस बने हैं। बागबानी विभाग चार पॉलीहाउस बना रहा है, वहां फूलों की खेती की जाएगी। 20-25 लोगों को पशुपालन विभाग की ओर एक-एक दुधारू गाय दी गई है। अब लोग दूध बेचकर पैसे भी कमा रहे हैं। गांव में ही आंचल डेयरी यूनिट की स्थापना की गई है। लोग यहीं पर दूध बेचते हैं। इसके अलावा कई लोगों ने घरों में मशरूम की हट भी लगा रखी है। मशरूम पैदा कर रहे हैं। कुछ साल पहले तक लोगों ने मशरूम का नाम ही सुना था, अब लगभग सभी घरों में मशरूम की सब्जी बन रही है। लोग खा भी रहे हैं, बेच भी रहे हैं। वह कहते हैं, अगर विकास की गति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले वर्षों में यहां और बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सारकोट ऐसा आदर्श ग्राम बनेगा जो उत्तराखंड को ही नहीं बल्कि पूरे देश को राह दिखा सकता है।
ग्रामीण निर्माण विभाग के काम के बारे में राजे सिंह कहते हैं, हमें भी देख कर अच्छा लगता है। सारे घरों के रंग एक से हैं। कुंदन सिंह परोड़ा ने बताया कि यहां पर बहुत सारी योजनाएं आईं। सबसे अच्छी बात यह है कि इन योजनाओं की समीक्षा भी समय-समय पर होती रहती हैं। गांव में ही मशरूम की खेती कर रहे भारत सिंह नेगी मुख्यमंत्री धामी और उद्यान विभाग को दिल से धन्यवाद देते हैं। उनको उद्यान विभाग ने मशरूम कैसे उगाएं, देखभाल कैसे करें, इसकी 45 दिन की ट्रेनिंग दी थी। साथ ही कई लोगों को मशरूम बैग भी उपलब्ध कराए गए। अब भारत अपने घर में मशरूम पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा वह बकरियां भी पाल रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण बैंक से लोन ले रखा है। वह कहते हैं, आय अच्छी हो रही है इसलिए हम समय से बैंक को किस्त चुका रहे हैं। बचत भी हो रही है। सोनू रावत कहते हैं, मशरूम उत्पादन से लेकर, उद्यानीकरण, फलों के पौधों, कृषि बीजों का वितरण और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पशुपालन विभाग और डेयरी विभाग भी हमारे यहां तमाम कवायदें चला रहा है।
बदर सिंह नेगी तो सीएम पुष्कर सिंह धामी के मुरीद हो गए हैं। वह कहते हैं कि हम लोगों ने कभी सोचा नहीं था कि हमारे गांव की तस्वीर इस तरह बदल जाएगी। सभी लोगों के पास काम है। आज सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को हुआ है, हमारे यहां का दूध सिमली डेयरी को जा रहा है। उन्होंन अच्छी आय हो रही है। 24 मई को हमारी टीम सारकोट की ग्राउंड रिपोर्ट कवर कर रही थी तब संयोगवश सीएम धामी की टीम के मुख्य समन्यवक अधिकारी इंद्र सिंह कराकोटी वहां समीक्षा बैठक के लिए पहुंचे हुए थे। हमने भी सारकोट गांव को गोद लेने की सोच, विकास कार्यों की मॉनिटरिंग से लेकर कई तरह के सवालों की बौछार कर दी। वह बताते हैं, सीएम पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में जब यह आया कि यहां के लोगों ने पलायन नहीं किया है, कृषि, पशुपालन इनका मुख्य व्यवसाय है। उन्हें यही बात सबसे अच्छी लगी। उन्होंने सभी अधिकारियों के साथ बैठककर फैसला किया कि इस गांव को गोद लेंगे। इसके बाद उनके निर्देशन में कई योजनाओं का खाका खींचा गया।
कराकोटी बताते हैं कि आपको जो बदलाव दिख रहा है उसपर महज छह महीने में ही काम किया गया है। अभी बहुत से काम प्रस्तावित है। आने वाले दिनों में सारकोट पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बनेगा। उन्होंने कहा कि धरातल पर नजर आ रहा हर काम एक बेहतर समन्वय के साथ संभव हुआ है। सीएम धामी, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, सभी विभागों के अधिकारियों ने इस गांव पर विशेष फोकस किया है। आज कई तरह की योजनाएं यहां चल रही हैं। सबसे बड़ी बात है मॉनिटरिंग। यहां चल रहे हर काम की नियमित रूप से मॉनिटरिंग हो रही है। यही वजह है कि काम तेजी से भी हो रहा है और नजर भी आ रही है।
सौदर्यीकरण ने मोहा सबका मन
सारकोट ग्रामसभा की सभी पांच तोक सारकोट, लाटूसैंण, कनख्वाली, स्कूलधार और छजगाड़ में सभी विभागों ने मिलकर काम किया है। ग्रामीण निर्माण विभाग गांवों के सौंदर्यीकरण का काम कर रहा है। हर कोई यहां के घरों में साजसज्जा का जिक्र कर रहा है। एक रंग में रंगे घरों की आभा देखते ही बनती है। प्राइमरी स्कूल में भी नवीनीकरण का काम चल रहा है। इसके अलावा आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र के लिए भी बजट स्वीकृत हो चुका है, उस पर काम शुरू हो गया है। जल्दी ही भराड़ीसैंण से सारकोट के प्रवेशद्वार को बनाने का काम हो शुरू हो जाएगा। इसे पहाड़ी संस्कृति के अनुरूप तैयार किया जाएगा। इस गांव को देखकर लगता है कि काश सभी जनप्रतिनिधि एक-एक गांव को गोद ले लें। इसी तरह विकास करें तो उत्तराखंड की तस्वीर बदल जाएगी।
