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    Home»उत्तराखंड 360»NCRB DATA: महिलाओं के खिलाफ अपराध… हिमालयी राज्यों में ‘नंबर वन’, बड़ा डरावना है ये ‘तमगा’
    उत्तराखंड 360

    NCRB DATA: महिलाओं के खिलाफ अपराध… हिमालयी राज्यों में ‘नंबर वन’, बड़ा डरावना है ये ‘तमगा’

    उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों को बताते NCRB डेटा पर नजर दौड़ाते हैं, तो यहां पर हर 2.01 घंटे में महिला अपराध से जुड़ी एक एफआईआर दर्ज हो रही है। यह वह आंकड़ा है, जो दर्ज हो रहे हैं। संभव है कि छोटे-मोटे अपराध ऐसे भी होंगे, जो रिपोर्ट नहीं हो पाते।
    Arjun Singh RawatBy Arjun Singh RawatSeptember 26, 2024Updated:September 29, 2024No Comments
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    देवों की भूमि उत्तराखंड…। यहां बड़े गर्व के साथ कहा जाता है कि देवभूमि के कण-कण में ईश्वर का वास है। इसी देवभूमि में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी आती जा रही है। हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब इस पावन भूमि पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों को बताते NCRB DATA पर नजर दौड़ाते हैं, तो मन विचलित हो जाता है। अपराध की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर हर 2.01 घंटे में महिला अपराध से जुड़ी एक एफआईआर दर्ज हो रही है। यह वह आंकड़ा है जो दर्ज हो रहे हैं। सर्वमान्य सत्य यह भी है कि छोट-मोटे अपराध ऐसे भी होते हैं जिन्हें रिपोर्ट नहीं किया जाता। फिलहाल, दर्ज आंकड़ों पर ही बात करेंगे।

    “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला” यानी, जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवी-देवता निवास करते हैं और जहां नारियों का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं। अक्सर जब बात बेटियों की होती है, इसी श्लोक का हवाला दिया जाता है। लेकिन देवभूमि उत्तराखंड में इस श्लोक का हवाला महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों को सामने रखते हुए देना पड़ेगा…हम देश के नंबर वन राज्य बनने का सपना देख रहे हैं, कई मामलों में ‘नंबर वन’ बन भी गए हैं, लेकिन हिमालयी राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में देवभूमि का शीर्ष पर होना शर्मसार करता है। ‘नंबर वन’ का ये तमगा बहुत भारी है, कोई भी इस मामले में ‘नंबर वन’ नहीं आना चाहेगा।

    देहरादून के चहल-पहल वाले आईएसबीटी बस अड्डे में एक बस में किशोरी से गैंपरेप की घटना सिहरन पैदा कर देती है। आईएसबीटी एक ऐसी जगह है, जहां दिन-रात सरगर्मी रहती है। यहां गेट से कुछ मीटर की दूरी पर पुलिस की चौकी है, बावजूद इसके ऐसी घटना घटी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवभूमि में ‘दानव’ बेखौफ हैं। किशोरी से रेप करने वालों में ड्राइवर-कंडक्टर और रोडवेज का कैशियर तक लिप्त पाया गया। यह कोई इकलौती घटना नहीं है। अल्मोड़ा जिले के सल्ट में भाजपा नेता पर जंगल में बकरी चलाने गई एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का आरोप लगा। चमोली के नंदानगर में सैलून चलाने वाले मुस्लिम युवक ने नाबालिग से छेड़छाड़ की और फिर फरार हो गया। हालांकि उसे बिजनौर से गिरफ्तार कर लिया गया है। हल्द्वानी में एक स्कूल में पढ़ने वाली 10वीं की छात्रा के साथ शिक्षक ने छेड़छाड़ की। आरोपित शिक्षक के विरुद्ध दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई है। रुड़की में एक नाबालिग के साथ तीन लोगों ने दुष्कर्म किया। इसमें नाबालिग की मां पर गंभीर आरोप लगे।

    यह भी पढ़ें – अंकिता भंडारी : दो साल वही सवाल… न्याय आखिर कब?

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( NCRB) के 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, हिमालयी राज्यों में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या में उत्तराखंड अव्वल है। राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो उत्तराखंड देश में छठे स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और दो केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी), जम्मू और कश्मीर सहित नौ हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए।

    उत्तराखंड में 2022 में महिला अपराध के कुल 4,337 मामले रिपोर्ट किए गए। 2021 में 3431 मामलों की तुलना में यह 907 अधिक हैं। यानी 26 प्रतिशत की वृद्धि। 2020 में 2846 मामले सामने आए थे। 2022 में आंकड़ों में महिला अपहरण के 778 मामले शामिल हैं। 905 महिलाओं से दुष्कर्म के केस दर्ज किए गए। उत्तराखंड में दहेज हत्या के 70 मामले दर्ज किए गए। जबकि, पड़ोसी राज्य हिमाचल में एक मामला सामने आया है।

    यह भी पढ़ें – मैं अंकिता भंडारी …याद हूं ना, मुझे न्याय दिलाना है…

    एक साल में 8670 घंटे होते हैं। उत्तराखंड में 4337 मामले दर्ज हुए। इस हिसाब से हर 2.01 घंटे में एक मामला दर्ज किया जा रहा है। दुखद बात यह है कि यह आंकड़ा हर साल बढ़ ही रहा है। 2020 से ज्यादा मामले 2021 में दर्ज किए गए। 2021 से ज्यादा मामले 2022 में। 2023 की रिपोर्ट अब तक आई नहीं है। पिछले साल की तुलना में महिला अपराध के मामले 26 प्रतिशत बढ़े हैं।

    एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में उत्तराखंड में बलात्कार के कुल 867 मामले दर्ज किए गए। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में 369 मामले और जम्मू-कश्मीर में 287 मामले दर्ज किए गए। अन्य राज्यों में, मेघालय में ऐसे 75 मामले, त्रिपुरा में (62), मणिपुर में (42), मिजोरम में (14), सिक्किम में (13) और नागालैंड में (7) मामले दर्ज किए गए।

    पोर्नोग्रॉफी में बच्चों का इस्तेमाल

    उत्तराखंड में पोर्नोग्रॉफी में बच्चों के इस्तेमाल के सात मामले दर्ज किए गए। महिलाओं की शील भंग करने के इरादे से उन पर हमले के 699 मामले और शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिलाओं के अपहरण के नौ मामले दर्ज किए गए। जब यह आंकड़ा सामने आया था तो पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का कहना था कि पुलिस महिला अपराधों के लिए खासी संवेदनशील है, ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। इसलिए यह आंकड़ें बढ़े हैं। गजब का तर्क है! इस पर किसी अधिकारी का बयान नहीं आया कि आखिर क्यों देवों की भूमि में अपराध इतना बढ़ गया है।

    जरा देश का हाल भी जान लीजिए

    एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2018 से 2022 तक महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या में 12.9% की वृद्धि हुई है। एनसीआरबी के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों को तुरंत संज्ञान में लिया जा रहा है इसलिए आंकड़ों में वृद्धि हुई है। 2022 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 445,000 से अधिक मामले दर्ज हुए। अगर औसत निकाला जाए तो यह प्रति घंटे औसतन 51 प्राथमिकी (एफआईआर) है।

    कड़े कानून के बाद भी बढ़ रहे अपराध

    दिल्ली में चलती बस में निर्भया की रेप के बाद जघन्य हत्या के बाद देश भर में जमकर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद दबाव में आई सरकार ने महिला अपराध पर कानून को और कड़ा कर दिया। दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी रख दिया। इसके अलावा कई अन्य धाराओं में सजा और भी कठोर कर दी गई। बावजूद इसके महिला के खिलाफ अपराधों में कोई कमी नहीं आई। इससे साफ है कि समाज को अपना रवैया बदलना होगा। हम सब को अपनी सोच बदलनी होगी तभी महिला अपराध रुकेगा

    देवभूमि में इस तरह बढ़े मामले

    •  वर्ष 2022 में पुलिस के समक्ष 956 ऐसे मामले पहुंचे। इनमें महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदार ने पीटा या अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया।
      इसके अलावा 10 मामलों में मारपीट के बाद गर्भपात करा दिया गया। एक एसिड अटैक का मामला भी सामने आया है।
      3.उत्पीड़न से आजिज आकर या अन्य कारणों से वर्षभर में 24 महिलाओं ने आत्महत्या जैसा कदम भी उठाया। अपहरण के मामले भी बढ़े वर्ष 2022 में प्रदेश में महिला अपहरण के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई।
      वर्ष 2021 में 696 अपहरण के मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2022 में 778 महिलाओं का अपहरण हुआ। दुष्कर्म की कोशिश के भी 18 मामले सामने आए।

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    पत्रकारिता का लंबा करियर। एजेंसी,टीवी, अखबार, मैग्जीन, रेडियो और डिजिटल मीडिया का अनुभव। राष्ट्रीय मीडिया में 15 साल काम करने के बाद पहाड़ों का रुख। पहाड़ के मुद्दों पर खुलकर बोलने का दम। जमीन पर काम करने का जज़्बा और जुनून आज भी वैसा ही, जैसा पहले दिन था।

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