Uttarakhand : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ड्रीम प्रोजेक्ट पॉलीहाउस योजना की अफसरों ने हवा निकाल दी है। ग्रामीण लोगों की आजीविका बढ़ाने में यह योजना बेहद कारगर मानी जा रही थी। धामी सरकार ने इसका जमकर प्रचार भी किया था। मगर, सिस्टम की सुस्ती का आलम यह है कि अब तक जमीन पर कोई काम नहीं दिखाई दे रहा है। अफसर कह रहे हैं कि एक महीने में काम शुरू हो जाएगा। मगर, यहां सवाल यह है कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में भी लेटलतीफी का हाल यह है तो बाकी की योजनाओं की दशा क्या होगी? यही हाल पिरूल योजना का है। गर्मियों में जब उत्तराखंड के जंगल धधक रहे थे तब यह योजना तैयार की गई थी। मगर, इसकी फाइल अभी ऑफिस-ऑफिस घूम रही है।
पॉलीहाउस योजना में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। सरकार पिछले साल से इस योजना का प्रचार करती आई है। इसके तहत सरकार चरणबद्ध ढंग से 50 हजार पॉलीहाउस स्थापित कर फल एवं सब्जी की पैदावर के क्षेत्र में नई क्रांति लाने की सोच रही है। नीति नियामकों का दावा है कि योजना के पूरी तरह से जमीन पर उतरने के बाद राज्य के हजारों किसानों की आर्थिकी में बड़ा सुधार होगा। लोगों की आजीविका बढ़ेगी। इस योजना की नीति तैयार हो चुकी है। देरी की वजह पॉलीहाउस निर्माण और सामग्री की दरें (एसओआर) का निर्धारण न हो पाना बताया जा रहा है। एसओआर लोनिवि के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में बनी कमेटी को तय करना है, लेकिन कमेटी अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाई है।
एक माह में तैयार होगी योजना
उद्यानिकी एवं कृषि सचिव एसएन पांडेय के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि एक महीने में योजना बनकर तैयार हो जाएगी। इनका कहना है कि पॉलीहाउस योजना की पूरी तैयारी है। अब सिर्फ पॉलीहाउस निर्माण से संबंधित दरों का निर्धारण होना है। इसके लिए लोनिवि के प्रमुख अभियंता की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द दे देगी। एक महीने में पॉलीहाउस योजना पर काम शुरू हो जाएगा।
क्या है पॉलीहाउस योजना
योजना के तहत पहाड़ी क्षेत्र के किसानों के लिए 50 वर्ग मीटर से लेकर 500 वर्ग मीटर तक जबकि तराई के किसानों के लिए 100 वर्ग मीटर से लेकर 500 वर्ग मीटर की भूमि की उपलब्धता के अनुसार पॉलीहाउस लगा सकते हैं। किसान अपने पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जी, फल और फूलों की खेती कर सकते हैं जिससे कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। योजना के तहत, किसानों को नाबार्ड की ओर से 80% और ज़िला योजना के तहत 10% सब्सिडी मिलेगी। साल 2023 में, उत्तराखंड में 330 पॉलीहाउस स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था। पॉलीहाउस चारों तरफ से घिरा हुआ एक ऐसा स्थान होता है जहां किसी भी फसल को सही जलवायु और पोषक तत्व मिलते हैं।
पिरूल : खरीद मूल्य बढ़ाने में अब तक चल रहा मंथन

यह योजना जंगल में चीड़ की पत्तियों (पिरूल) की खरीद मूल्य को बढ़ाने और इसमें आमूलचूल बदलाव करने से जुड़ी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसी वर्ष फायर सीजन के दौरान पिरूल के वर्तमान तीन रुपये खरीद मूल्य को बढ़ाने की घोषणा की थी। घोषणा पर वन विभाग को मंथन करने में महीनों लग गए। नई दरों का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक नई दर का निर्धारण नहीं हो पाया है। दावा है कि पिरूल के खरीद मूल्य को बढ़ाकर लोगों की आजीविका बढ़ेगी और वनाग्नि रोकने में मदद मिलेगी। इस योजना के बारे में भी कहा जा रहा है कि अगर सुस्ती का आलम यह रहा तो आगामी फायर सीजन तक भी यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाएगी। क्योंकि, नीति तैयार होने के बाद भी योजना को धरातल पर उतारने में समय लगेगा।
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इस बाबत मीडिया रिपोर्ट्स में वन विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु के हवाले से कहा गया है कि पिरूल का खरीद मूल्य बढ़ाने और योजना में बदलाव करने के संबंध में वन मुख्यालय से प्रस्ताव शासन को प्राप्त हो गया है। यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। वित्त विभाग की मंजूरी के बाद इसे मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाएगा। हमें जल्द प्रस्ताव लौटने की उम्मीद है। उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रस्ताव बनाने में देरी क्यों हुई। वित्त विभाग मंजूरी देने में देरी क्यों कर रहा है।