विधानसभा सचिवालय की भर्तियों पर दायर जनहित याचिका पर Uttarakhand High court ने धामी सरकार से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश देहरादून निवासी अभिनव थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अभिनव थापर ने विधानसभा भर्तियों में बैकडोर भर्ती, भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप लगाकर याचिका दाखिल की थी।
हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार और विधानसभा सचिवालय से पूछा है कि पूर्व के आदेश पर क्या कार्यवाही हुई है। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। बतादें कि हाईकोर्ट ने पूर्व में हुई सुनवाई में राज्य सरकार, विधानसभा सचिवालय को निर्देश दिए थे कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्यवाही कर शपथपत्र के माध्यम से रिपोर्ट पेश करें लेकिन इसे तय समय में पेश नहीं किया गया है। इस पर राज्य सरकार और सचिवालय ने रिपोर्ट पेश करने के लिए पुनः तीन हफ्ते का समय मांगा।
यह है मामला
देहरादून निवासी अभिनव थापर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर भर्ती, भ्रष्टाचार और अनियमितता को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि विधानसभा ने एक जांच समिति बनाकर 2016 के बाद की विधान सभा सचिवालय में हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया जबकि उससे पहले की नियुक्तियों को नहीं।
आरोप है कि सचिवालय में यह खेल 2000 में राज्य बनने से अब तक होता रहा है। याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों के खिलाफ जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराई जाए। इन लोगों से सरकारी धन की वसूली कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। याचिका में कहा गया है कि सरकार का 6 फरवरी 2003 का शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 187 का उल्लंघन है।