उत्तराखंड शासन (Uttarakhand Government) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 12 जिलों के जिला पंचायत अध्यक्षों को छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी हो गई है। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल, उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 (यथा संशोधित उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम, 2020) की धारा 130 की उपधारा 6 के तहत मिली शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तराखंड राज्य की समस्त गठित जिला पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) में कार्यकाल समाप्त होने की तारीख (दिनांक 01.12.2024) के बाद कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छह महीने के लिए अनधिक अवधि के लिए अथवा नई जिला पंचायत के गठन होने तक अथवा अग्रिम आदेशों तक जो भी पहले हो, प्रशासक के रूप में, संबंधित के जिला पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष को नियुक्त करने हेतु संबंधित जिलों के जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट को अधिकृत करते हैं। इस फैसले पर प्रदेश प्रधान संगठन ने नाराजगी जाहिर की है और रविवार को कोर कमेटी की बड़ी बैठक बुलाई है। इसमें इस फैसले के व्यापक विरोध की रणनीति तैयार की जाएगी।
प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भास्कर संबल के मुताबिक, सरकार का यह फैसला राज्य के 8 हजार ग्राम प्रधानों, 4 हजार क्षेत्र पंचायत सदस्यों और 400 जिला पंचायत सदस्यों के खिलाफ है। प्रधान संगठन इसका पुरजोर विरोध करेगा।
रूटीन कार्य कर सकेंगे
Uttarakhand Government की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त प्रशासक / निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा संबंधित जिला पंचायत के प्रशासक का कार्यभार गठित जिला पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति (दिनांक 01.12.2024) के पश्चात् तत्काल ग्रहण कर लिया जाएगा । इस प्रकार नियुक्त किए गए प्रशासकों द्वारा सामान्य रूटीन कार्यों का ही निर्वहन किया जाएगा तथा नीतिगत निर्णय नहीं लिए जाएंगे। विशेष परिस्थिति में यदि नीतिगत निर्णय लिया जाना आवश्यक हो तो प्रकरण यथा प्रकिया संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखंड शासन को संदर्भित किया जाएगा तथा राज्य सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
यहां देखें अधिसूचना –
जिलाध्यक्ष प्रधान संघ चमोली और उत्तराखंड प्रधान संघ के प्रदेश महामंत्री मोहन नेगी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस फैसले के खिलाफ ग्राम प्रधान संगठन और क्षेत्र पंचायत संगठन हाईकोर्ट की शरण में जाएगा। उन्होंने कहा, आखिर हम ग्राम प्रधानों,ब्लाक प्रमुखों एवं सदस्य क्षेत्र पंचायतों से क्यों इतना भेदभाव क्यों किया जा रहा है।एक तरफ त्रिस्तरीय पंचायत एक्ट के अनुसार 27 नवंबर से 2 दिसंबर तक त्रिस्तरीय पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने की प्रक्रिया में,ग्राम पंचायत एवं क्षेत्र पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं,लेकिन जिला पंचायतों में अध्यक्ष जिला पंचायत को प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है,जबकि एक साल से हम त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक बनाने की मांग कर रहे थे, जब एक्ट में एक समान व्यवस्था है तो हमारे साथ भेदभाव क्यों हो रहा है। यह हमारे साथ नाइंसाफी है।