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    Home»कवर स्टोरी»Uttarakhand Forest Fire : आखिर क्यों जंगलों की आग बुझाने में फेल हो गया सिस्टम, चार वनकर्मियों की मौत के बाद उठ रहे सवाल
    कवर स्टोरी

    Uttarakhand Forest Fire : आखिर क्यों जंगलों की आग बुझाने में फेल हो गया सिस्टम, चार वनकर्मियों की मौत के बाद उठ रहे सवाल

    अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में चार वनकर्मियों की मौत के बाद सवाल उठ रहे हैं कि पिछले ढाई महीने से सुलग रहे जंगल क्यों नहीं बुझाए जा सके। क्या राज्य सरकार की मशीनरी आग बुझाने में अक्षम है? या जिम्मेदारों की लापरवाही से नहीं बुझ रही जंगलों की आग
    teerandajBy teerandajJune 14, 2024No Comments
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    जानलेवा होती जा रही उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग।
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    Uttarakhand Forest Fire : पिछले चार महीनों से उत्तराखंड के जंगल सुलग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकारी मशीनरी क्यों आग नहीं बुझा पा रही है। जबकि, इस आग ने अब तक बहुमूल्य वनसंपदा के साथ नौ लोगों की जान ले ली है। बृहस्पितवार को जब अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में चार वनकर्मियों की जान चली गई तो लोग राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। इस दुखद घटना से पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा हो रहा है। यह स्थिति क्यों पैदा हुई? ग्राउंड से जो सूचनाएं आ रही हैं, उससे साफ है कि आग पर काबू पाने के लिए संसाधन विहीन वन कर्मी ही जूझ रहे हैं।

    उत्तराखंड के जंगलों में आग… आखिर हर साल एक जैसी कहानी क्यों?

    राज्य के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए रणनीति बनाने के बजाय विभाग के बड़े अफसर दो दिन से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रोटोकॉल बजाने में व्यस्त थे, जबकि कॉर्बेट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भीमताल, नैनीताल से लेकर अल्मोड़ा तक के जंगलों में लगातार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अफसरों को लगातार निर्देश दे रहे हैं कि ग्राउंड पर जाकर स्थिति देखें, लेकिन सचिवालय से लेकर वन मुख्यालय तक के अफसर व मंत्री कार और कमरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। मातहतों का उनकी ओर से मार्गदर्शन नहीं किया जा रहा है। मौत की घटनाओं को भी पूरी मशीनरी बेहद हल्के में ले रही है।

    Uttarakhand Forest Fire : चार वनकर्मियों की मौत के बाद सिस्टम पर खडे़ हो रहे सवाल।

    फायर वाचरों को समय पर नहीं होता भुगतान

    जानकार बताते हैं कि कुमाऊं सहित पूरे राज्य में जिस तरह से आग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं उसका मुख्य कारण यह है कि फायर सीजन शुरू होने से पहले फायर लाइनों की सफाई नहीं की गई। सफाई के नाम पर खानापूरी की गई। बजट की कमी का हवाला देकर फायर वाचरों को समय से नहीं रखा जाता है। इस साल का बजट अगले साल मिलता है। बजट मिलता भी है तो आधा-अधूरा। इस कारण फायर वाचरों का समय पर भुगतान नहीं हो पाता। ऐसे में फायर वाचर पूरी तत्परता के साथ से काम नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा फायर वाचरों को समय से ट्रेनिंग देने की व्यवस्था भी नहीं होती। संसाधनों के अभाव में आज भी आग को पारंपरिक तरीकों से ही कंट्रोल किया जा रहा है। संवादहीनता के कारण ग्रामीण भी पहले की तरह आग बुझाने में सहयोग करने से परहेज कर रहे हैं।

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    सेना के हेलिकॉप्टर फिर मोर्चे पर डटे
    अल्मोड़ा के जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए भारतीय वायुसेना की मदद ली जा रही है। एमआई-17 हेलीकॉप्टर के जरिए जंगलों में लगी आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। वायु सेना के एमआई 17 के हेलिकॉप्टर की मदद से भीमताल झील से पानी उठाकर अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में डालने का काम शुरू कर दिया है। वायुसेना के हेलिकॉप्टर की ओर से शुक्रवार की दोपहर 2 बजे तक जंगल में लगी आग में पानी डालकर बुझाने का रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा। भीमताल झील से हेलिकॉप्टर द्वारा पानी उठाए जाने से पुलिस ने झील में नौकायन का संचालन रोक दिया है। इससे स्थानीय नौकायन संचालकों ने कारोबार के प्रभावित होने पर नाराजगी जाहिर की है।

    आखिर ढाई महीने बाद भी क्यों नहीं बुझ पा रही आग।

    मृतकों में वन विभाग के कर्मचारी और पीआरडी जवान शामिल
    बिनसर अभयारण्य स्थित गैराड़ के जंगल में आग बुझाने के दौरान दावानल की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में वन विभाग के स्थायी, अस्थायी कर्मचारी और पीआरडी जवान शामिल हैं। कर्मचारी आग लगने की सूचना के बाद उसे रोकने जंगल पहुंचे थे। घटना के बाद स्वजन में कोहराम मचा हुआ है। जबकि चार कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को आपातकालीन सेवा 108 की मदद से बेस चिकित्सालय लाया गया। जहां उपचार के बाद गंभीर रूप से घायल कृष्ण कुमार और कुंदन सिंह को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। वहीं आग की चपेट में वाहन भी जलकर खाक हो गया।

    Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड के जंगलों में आग
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