देश के पहले Uniform Civil Code (UCC) में बहुत कुछ खास है। इसके मुताबिक, संतान की मृत्यु होने की दशा में माता-पिता भी उसकी संपत्ति में हिस्सेदार होंगे। अब तक ऐसे मामलों में पत्नी ही चल-अचल संपत्ति की मालकिन होती थी। बतादें कि हाल फिलहाल में ऐसे ढेरों केस आए थे जिसमें बच्चे की मृत्यु के बाद संपत्ति को लेकर विवाद सामने आया है। इस लिए इस प्रावधान को विशेष माना जा रहा है।
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शुक्रवार को सीएम को सौंपे गए ड्राफ्ट में इस तरह के प्रावधान हैं। अंग्रेजी भाषा बने इस ड्राफ्ट का हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है। इसके बाद इसे विधि विभाग के सामने तकनीकी परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। बताया जा रहा है कि धामी सरकार मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर इसे लागू करने की घोषणा कर सकती है। बतादें कि इसके लिए तैयारी जोरशोर से चल रही है।
दो वाल्यूम और चार हिस्से
यह ड्राफ्ट दो बॉल्यूम और चार 200 और दूसरे में 410 पन्ने हैं। इनमें विवाह और विवाह विच्छेद, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाओं को तय किया गया है। यह नियमावली ही स्पष्ट करेगी कि यदि विवाह, विवाह विच्छेद, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म-मृत्यु का पंजीकरण नहीं करवाया तो क्या कार्रवाई हो सकती है। उसकी प्रक्रिया कैसी होगी। इन्हीं नियमों के तहत यूसीसी लागू होने के बाद उन सभी पति-पत्नी को विवाह का पंजीकरण कराने के लिए छह माह का समय दिया जाएगा, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले शादी की। छह महीने बीतने के बाद उन जोड़ों को तीन महीने का समय दिया जाएगा, जिन्होंने यूसीसी लागू होने के बाद शादी की।
इससे पहले शुक्रवार को जब यह ड्राफ्ट सीएम धामी को सौंपा गया था तो उन्होंने कहा था सभी को समान न्याय और समान अवसर मिले इसके लिए यूसीसी लागू किया जा रहा है। हाल ही में सीएम धामी ने घोषणा की थी कि यूसीसी को नौ नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर लागू किया जाएगा। ऐसे में अब समीति के फाइनल नियमावली का ड्राफ्ट सौंपने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी उत्तराखंड में नौ नवंबर को लागू हो जाएगा।
यूसीसी में ये है खास
नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग हैं। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्य पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाएं हैं।
ऑनलाइन मिल सकेगी सारी जानकारी
जन सामान्य की सुलभता को देखते हुए यूसीसी के लिए एक पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार की गई है, इसमें पंजीकरण और अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके।