अगले साल से केदारनाथ धाम जाने वाले यात्रियों को दो पैदल मार्ग उपलब्ध होंगे। 2013 में आई आपदा में ध्वस्त हुए पुराने मार्ग को फिर से बहाल किया जाएगा। इसे बनाने का काम शुरू हो गया है। इसके बाद नए और पुराने पैदल मार्ग से आवागमन होगा। दोनों मार्ग वन-वे रहेंगे। यानी, एक से यात्री बाबा धाम जाएंगे। दूसरे का उपयोग धाम से लौटने वाले यात्रियों के लिए किया जाएगा। पुराना मार्ग बन जाने के बाद गरुड़चट्टी फिर से गुलजार हो जाएगा।
केदारनाथ के पुराने पैदल मार्ग को रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुनर्जीवित करने का काम शुरू हो गया है। 5.35 किलोमीटर का यह रास्ता तैयार होने के बाद पैदल यात्रा सरल हो जाएगी। साथ ही इस रास्ते के बनने से पैदल यात्रियों को केदारनाथ धाम में पहुंचने में सहूलियत होगी। इसके अलावा वर्तमान मार्ग पर बढ़ते दबाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।
बतादें कि जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक सात किमी रास्ता ध्वस्त हो गया था। तब, केदारनाथ तक पहुंच के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दाईं ओर से केदारनाथ तक नौ किमी नया रास्ता बनाया। 10 वर्ष से इसी रास्ते से पैदल यात्रा का संचालन हो रहा है। प्रतिवर्ष बढ़ रही यात्रियों की संख्या से पैदल मार्ग पर भी दबाव बढ़ रहा है। इसी वर्ष 31 जुलाई को आई आपदा से इस नए मार्ग को व्यापक क्षति भी पहुंची है।
इन दिनों मार्ग का सुधारीकरण किया जा रहा, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते भूस्खलन से यहां लगातार खतरा बना हुआ है। इस कारण पुराने रास्ते को भी बनाया जा रहा है। ताकि, विषम परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जा सके। साथ ही इसके बन जाने के बाद नए रास्ते का लोड भी कुछ कम हो जाएगा। पुराने मार्ग का सर्वेक्षण कर लिया गया है। बीते दो सप्ताह से यहां रामबाड़ा से गरुड़चट्टी पर लोक निर्माण विभाग की टीम कटान कर रही है। बताया जा रहा है कि पुराने मार्ग को इस तरह बनाया जा है ताकि, लोगों को पैदल चलने में असुविधा न हो। यात्रियों की गरुड़चट्टी तक पहुंच आसान हो। इस रास्ते के पूरा बनते ही केदारनाथ तक पहुंच हो जाएगी, क्योंकि गरुड़चट्टी-केदारनाथ तक 3.5 किमी रास्ता पूर्व में बन चुका है। साथ ही इस रास्ते को मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर पुल भी बनकर तैयार है।
पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ पैदल यात्रा को वन-वे किया जाएगा। जिसके तहत नए रास्ते से यात्री धाम भेजे जाएंगे और दर्शन कर पुराने रास्ते से वापस लौटेंगे। बताया जा रहा कि नए रास्ते से घोड़ा खच्चरों का संचालन और पुराने रास्ते से पैदल आवाजाही भी कराई जा सकती है। ऐसे में गरुड़चट्टी में आपदा के बाद से पसरा सन्नाटा भी खत्म हो जाएगा। बे समय से चल रही थी कार्रवाई
वर्ष 2015 से पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने की कार्रवाई शुरू हो गई थी।
तीन चरणों में भूमि सर्वेक्षण के बाद अन्य औपचारिकताएं पूरी की गई। इस वर्ष के शुरू में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने के लिए 0.983 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति दी गई। इसके बाद मार्च-अप्रैल में वन संपदा क्षतिपूर्ति की राशि जमा की गई और रास्ता पुनर्जीवित कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई। अगस्त के तीसरे सप्ताह से लोनिवि ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया। रामबाड़ा-गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी रास्ते को पुनर्जीवित किया जा रहा है। अभी तक लगभग एक किमी कटान हो चुका है। पांच करोड़ की लागत से इस रास्ते को निर्माण किया जाएगा। दूसरे चरण में रास्ते को सुरक्षित करने के लिए रेलिंग और अन्य कार्य किए जाएंगे।