Uttarakhand के जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग अभी से कवायद में जुट गई है। निर्णय लिया गया है कि जंगलों में बनाई गई फायर लाइन पर उगे पांच लाख पेड़ों की कटाई की जाएगी। बतादें कि 1996 से इन फायर लाइन की सफाई नहीं की गई है। दरअसल, गोधा वर्मन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद इन पेड़ों की कटाई पर रोक लग गई थी। आदेश के मुताबिक, एक हजार मीटर से ऊंचाई के पेड़ों को कटाने पर रोक लगी थी। इस वजह से यहां पर सफाई नहीं की जाती थी।
28 वर्षों में यह पेड़ विशालकाय हो गए हैं। फायर लाइन जंगल में तब्दील हो चुकी है। वन विभाग को फायर लाइन की पहचान करने में भी काफी मशक्कत करनी होगी। इस वजह से जंगलों में आग लगने की दशा में उसे बुझाने में काफी परेशानी आती है। 18 अप्रैल 2023 को एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय बदला है। इसपर लगी रोक हट गई है। इसके बाद प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) ने 28 अक्तूबर को सभी डीएफओ को फायर लाइन साफ करने के आदेश दिए थे।
वन विभाग 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन मानता है। इस दौरान जंगल में आग की घटनाएं होती हैं। सीजन शुरू होने से पहले जंगल को आग से बचाने को जरूरी कदम उठाने होते हैं। इसी क्रम में अब वन विभाग राज्य की फायर लाइन में खड़े हुए पांच लाख पेड़ों को काटने की तैयारी कर रहा है।
क्या है फायर लाइन
जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग की ओर जंगली भूभाग को छोटे-छोटे भागों में बांट कर फायर लाइन तैयार किया जा रहा है। जिससे जंगल की आग पर काबू पाने मे आसानी हो सके। गर्मी के दिनों में जंगलों में आग लगी की घटनाएं खूब होती हैं। जिससे वन एवं वन्य जीवों की बड़े पैमाने पर क्षति होती है। फायर लाइन होने के दशा में आग बुझाने में सहूलियत होती है। यहां पर पानी पहुंचाना आसान रहता है। साथ ही फायर लाइन होने से आग दूसरी तरफ नहीं पहुंच पाती है।