17 साल बाद मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक गवाह ने दावा किया है कि ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और गोरखपुर से तत्कालीन सांसद व वर्तमान में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी फंसाने की प्लानिंग थी। गवाह मिलिंद जोशी ने बताया कि उन पर योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के मोहन भागवत को फंसाने का दबाव डाला गया था। उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा गया और प्रताड़ित किया गया ताकि वे इन नेताओं का नाम लें। साथ ही जांच अधिकारी महबूब मुजावर ने भी दबाव बनाकर प्रमुख नेताओं को फंसाने की प्लानिंग की बात कही है। उनका कहना है कि भगवा आतंकवाद की फर्जी कहानी बनाने का दबाव था। संघ प्रमुख भागवत को गिरफ्तार नहीं किया तो उनका कैरियर बिगाड़ दिया गया। वह कहते हैं कि तत्कालीन सरकार हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में बृहस्पतिवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले पर विपक्ष के कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। इस बीच एक ऐसा खुलासा हुआ है, जो सभी को हैरान कर रहा है। दरअसल, इस मामले में कुल 39 गवाहों में से एक गवाह ने ऐसा खुलासा किया है। गवाह ने कहा ने बताया कि उसपर योगी आदित्यनाथ और आरएसएस तथा दक्षिणपंथी संगठनों के अन्य कई लोगों को फंसाने का भी दबाव डाला गया था। सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने कोर्ट में बताया कि उनपर योगी आदित्यनाथ और RSS का नाम लेने का दबाव बनाया गया था। इसके लिए उनको कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ उस समय भी हिदुत्व का फायरब्रांड चेहरा थे। गवाह के मुताबिक मालेगांव ब्लास्ट केस में योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को फंसाने की कोशिश की जा रही थी। वहीं, इस मामले की जांच अधिकारी रहे महबूब मुजावर ने कहा कि केस को इस तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिससे भगवा आतंकवाद का नैरेटिव स्थापित किया जा सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, महबूब मुजावर ने कहा कि तत्कालीन सरकार का उद्देश्य हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी। इस मामले में सरकारी गवाह मिलिंद जोशी पर दबाव था कि वह असीमानंद और योगी आदित्यनाथ का नाम इस मामले में लें। इसके लिए जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित भी किया था।

कोर्ट ने कहा- आतंकवाद का नहीं होता धर्म
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को मालेगांव ब्लास्ट मामले में मुंबई की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला दिया। कोर्ट ने इस मामले में सभी सात आरोपियों बरी कर दिया। मालेगांव ब्लास्ट मामले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहगिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी आरोपी थे। सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया। न्यायालय ने फैसले के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। और कोई भी धर्म हिंसा को सही नहीं ठहराता है। कोर्ट ने कहा मामले में कोई भी पुख्ता सबूत रखने में जांच एजेंसियां सफल नहीं हो सकी हैं। सिर्फ कहानियों के आधार पर सोच बना लेना सही नहीं है।
तो इसलिए प्रज्ञा ठाकुर को मिला सांसदी का टिकट
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मध्यप्रदेश के भोपाल संसदीय सीट से मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी बनाई गई प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर को लेकर कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद की थ्योरी दी थी। इसी के विरोध में उनको यह टिकट दिया गया। प्रज्ञा ठाकुर वह चुनाव जीत कर सांसद बन गई थी। हालांकि, 2024 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
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