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    Home»दुनिया भर की»शोध … दुनिया भर में बढ़ रही मिर्गी रोगियों की संख्या, 30 सालों में 11 फीसदी बढ़े
    दुनिया भर की

    शोध … दुनिया भर में बढ़ रही मिर्गी रोगियों की संख्या, 30 सालों में 11 फीसदी बढ़े

    अंतरराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 से 2021 के बीच मिर्गी से पीड़ित लोगों की संख्या में 10.8 फीसदी की वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके पीछे की एक वजह मिर्गी के मामलों की बेहतर पहचान भी है।
    teerandajBy teerandajMarch 1, 20251 Comment
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    शोध … मिर्गी यानी एपिलेप्सी से पीड़ित मरीजों की संख्या दुनिया भर में बढ़ रही है। यह दुनिया का चौथा सबसे आम तंत्रिका संबंधी विकार है। यह आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। हाल ही आए अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में 5.2 करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुई है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी 2021 (जीबीडी) पर आधारित इस अध्ययन के मुताबिक 1990 से 2021 के बीच मिर्गी से पीड़ित लोगों की संख्या में 10.8 फीसदी की वृद्धि हुई है।

    गरीब देशों पर ज्यादा मार
    खास बात यह है कि मिर्गी रोगियों की संख्या अमीर देशों के मुकाबले गरीब देशों में ज्यादा हैं। 2021 में कम और मध्यम आय वाले देशों में मिर्गी के तीन से चार गुना अधिक मामले और मौतें दर्ज की गई, जबकि कम आय वाले देशों में नए मामलों की संख्या 82.1 फीसदी तक बढ़ गई और इनकी तुलना में मौतें 84.7 फीसदी अधिक थीं। शोध के दौरान उन क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां मिर्गी के मामले सबसे अधिक हैं। इससे वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को बेहतर इलाज और रोकथाम के उपाय विकसित करने में मदद मिलेगी।

    यह भी पढ़ें : पहाड़ों पर स्टार्टअप के लिए सुहाना नहीं है मौसम

    मौतों में 14.5 फीसदी की गिरावट
    अध्ययन में यह भी पाया गया कि 1990 से 2021 के बीच मिर्गी से होने वाली मौतों में 14.5 फीसदी की गिरावट आई है। इसका श्रेय बेहतर इलाज और समय पर सही पहचान को दिया जा सकता है। हालांकि, शोध से यह भी सामने आया है कि मिर्गी समय से पहले मृत्यु के जोखिम को तीन गुना तक बढ़ा सकती है।

    जलवायु परिवर्तन भी उत्तरदायी
    कुछ महीनों पहले अंतरराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित एक शोध में बताया गया कि जलवायु परिवर्तनक के कारण मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को गहरा प्रभाव पड़ा है। यह शोध यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के नेतृत्व में किया गया था। अध्ययन यूसीएल क्वीन स्क्वायर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर संजय सिसौदिया के नेतृत्व में किया गया है, जिसमें शोधकर्ताओं ने 1968 और 2023 के बीच प्रकाशित 332 शोधों की समीक्षा की है। शोधकर्ताओं ने समीक्षा में पाया कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे लोगों पर पड़ा है। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2016 अध्ययन के आधार पर तंत्रिका तंत्र संबंधी 19 स्थितियों की जांच की है। इनमें स्ट्रोक, माइग्रेन, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस, मिर्गी और मल्टीपल स्केलेरोसिस शामिल हैं।

    मिर्गी को समझें
    मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जिससे व्यक्ति को दौरे पड़ने के साथ-साथ बेहोशी आ सकती है। इस दौरान शरीर में अचानक झटके लग सकते हैं। साथ ही इसके लक्षणों में आंखों का घूमना, शरीर का अकड़ना, कुछ भी याद न रहना शामिल हैं। इस दौरान शरीर में सनसनी या झुनझुनी महसूस हो सकती है। इसके बाद रोगी में तेज सिर दर्द, शरीर में दर्द की समस्‍या देखने को मिल सकती है। वहीं कभी कभार भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है, जो अगले कुछ घंटों तक जारी रह सकती है। बता दें कि इस बीमारी का शिकार लोगों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता था। यहां तक की अपना परिवार भी मरीजों से दूरी रखता था। हालांकि समय के साथ काफी हद तक लोगों की सोच में बदलाव आया है, जिसकी वजह से पहले से कहीं ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक यह विकार किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। पहले इस बीमारी का शिकार लोगों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता था। यहां तक की अपना परिवार भी मरीजों से दूरी रखता था। हालांकि समय के साथ काफी हद तक लोगों की सोच में बदलाव आया है, जिसकी वजह से पहले से कहीं ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं।

    शोध हेल्थ न्यूज
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