सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक की नियुक्ति पर उत्तराखंड के CM Dhami को कड़ी फटकार लगाई है। भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के पद पर उनकी नियुक्ति पर सीएम के फैसले पर सवाल उठाया है। क्योंकि सीएम ने जिस अधिकारी को नियुक्त किया है उनपर पहले अवैध तरीके से पेड़ कटवाने का आरोप लग चुका है। मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने धामी सरकार को नसीहत देते हुए सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के महत्व पर जोर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सामंती युग में नहीं है। जहां राजा जो भी बोलेगा… कोर्ट ने कहा- मामले में विवेक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। सीएम का अपने मंत्री और मुख्य सचिव से मतभेद था। वह सीएम हैं इसलिए क्या वह कुछ भी कर सकते हैं। उस अधिकारी को बरी कर देना चाहिए या उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही बंद कर देनी चाहिए?
राज्य सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने मुख्यमंत्री के फैसले का बचाव करते हुए तर्क दिया कि मुख्यमंत्री के पास ऐसी नियुक्तियां करने का विवेकाधिकार है। सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने मुख्यमंत्री को अपने फैसले को स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने पर विचार किया। हालांकि, वकील की दलीलों के बाद, पीठ ने इसे अपने आदेश में दर्ज न करने पर सहमति जताई, साथ ही राज्य ने अगली सुनवाई के दौरान विस्तृत स्पष्टीकरण देने का वादा किया।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि यह मामला सीबीआई जांच के अधीन है। राज्य ने इसकी जानकारी होने के बावजूद अभी तक अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप नहीं दिया है। इसके बजाय उन्हें राजाजी टाइगर रिजर्व में निदेशक नियुक्त कर दिया है। बतादें कि सीईसी की रिपोर्ट अधिवक्ता अभिजय नेगी द्वारा दायर शिकायत पर आई थी।
यह है मामला
राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पद पर राहुल की तैनाती की गई। आरोप लगा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वन मंत्री और मुख्य सचिव की आपत्तियों को नजरअंदाज कर यह नियुक्ति की। हालांकि, यह मामले सामने आने के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए मंत्री, मुख्य सचिव और अन्य सभी को नजरअंदाज कर दिया। यह पूरी तरह से गलत है। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। मुख्यमंत्री और मेरी सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया है। वन मंत्री की सफाई के बाद भी मामले ने तूल पकड़ लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में धामी सरकार की किरकिरी हुई है। आने वाले समय में इस मामले को विपक्ष मुद्दा भी बना सकता है। उसके पास मुख्यमंत्री को घेरने के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।
बतादें कि पांखरो टाइगर सफारी में कथित अनियमितताओं के मामले में राज्य सरकार ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल के विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही आरंभ करते हुए उन्हें वन विभाग के प्रमुख के कार्यालय से संबद्ध कर दिया था । राहुल के खिलाफ यह जांच अभी लंबित है। इसलिए उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हुए। इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही है। उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के स्तर पर भी यह प्रकरण विचाराधीन है।