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    Home»कवर स्टोरी»Next Of Kin के नियमों में होने चाहिए बदलाव! बलिदानियों के जन्मदाताओं का दर्द सुनकर छिड़ी बहस
    कवर स्टोरी

    Next Of Kin के नियमों में होने चाहिए बदलाव! बलिदानियों के जन्मदाताओं का दर्द सुनकर छिड़ी बहस

    Next Of Kin यानी निकटतम परिजन के नियमों में बदलाव के लिए देश में फिर बहस छिड़ गई है। हाल ही में जांबाजी के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने जो दर्द बयां किया है। ऐसे मामले अक्सर आते रहते हैं।
    teerandajBy teerandajJuly 15, 2024Updated:August 10, 2024No Comments
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    Next Of Kin (नेक्स्ट ऑफ किन यानी निकटतम परिजन) के नियमों में बदलाव के लिए देश में फिर बहस छिड़ गई है। हाल ही में जांबाजी के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने जो दर्द बयां किया है। ऐसे मामले अक्सर आते रहते हैं। अंशुमान सिंह के माता-पिता के सवाल उठाने के बाद जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो देहरादून में एक शहीद की मां का जख्म भी उभर आया। एयर क्राफ्ट क्रैश के दौरान ट्रेनी पायलट को बचाने में कमांडर निशांत सिंह ने बलिदान दे दिया। उस समय उनकी शादी को महज चार महीने ही हुए थे। निशांत की मां प्रमिला बतातीं हैं- बहू निशांत की सभी यादें ले गई। पेंशन का पूरा लाभ सिर्फ बहू को मिल रहा है। शहीद की मां के पास जीवन जीने का कोई सहारा नहीं बचा। न ही कमाई का कोई जरिया।

    जायज है अंशुमान के माता-पिता की आवाज

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शहीद निशांत की बुजुर्ग मां कहती हैं बलिदानी बेटे की पेंशन में माता-पिता को भी अंश मिलना चाहिए। अंशुमान के माता-पिता की मांग जायज है। अगर ऐसी उपेक्षा बलिदानियों को जन्म देने वालों की होती रही तो कोई भी मां-बाप अपने बेटे को सेना में नहीं भेजेगी। सहस्त्रधारा रोड पर गंगाकुंज अपार्टमेंट में रहने वाली निशांत की मां के पास आय का कोई साधन नहीं है। पति से बहुत पहले तलाक हो चुका है। उनके करीबी व नजदीकी लोग उनका ध्यान रखते हैं। वह कहती हैं, तलाक के दौरान बेटे ने पिता से उन्हें गुजारा भत्ता नहीं लेने दिया था। इसलिए उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। वह कहती हैं, बेटे की पेंशन का 50 प्रतिशत हिस्सा मां को मिलना चाहिए, ताकि स्वाभिमान के साथ वह जीवन यापन कर सकें। इसके साथ ही सैन्य अस्पतालों में उपचार की सुविधा दी जाए।

    रक्षामंत्री से बात करने पर भी कुछ नहीं हुआ

    कैप्टन निशांत की मां

    नवंबर 2020 में निशांत मिग-29 एयर क्राफ्ट क्रैश की उड़ान पर था। अरब सागर में उनका प्लेन क्रैश हो गया। भारतीय नौसेना ने कमांडर निशांत सिंह को मरणोपरांत नौसेना पदक से नवाजा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्ग प्रमिला कहतीं हैं-बहू को एक लाख 80 हजार रुपये पेंशन मिलती है। मैंने अपने बेटे का 35 साल पालन किया। उसे सेना के लिए तैयार किया। लेकिन उसकी पेंशन का एक पैसा मुझे नहीं मिलता। वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलीं, उन्हें अपनी पीड़ा बताई। रक्षामंत्री ने उन्हें मदद का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं हो सकी।

    यह है नियम

    अगर सैनिक की शहादत होती है तो उस स्थिति में अलग अलग आर्थिक मदद मिलती है। तीन तरह की फैमिली पेंशन होती है। पहली है सामान्य फैमिली पेंशन। यह उस स्थिति में एनओके को मिलती है जब किसी बीमारी की वजह से या सामान्य स्थिति में सैनिक की मौत होती है। यह आखिरी सैलरी का 30 पर्सेंट होता है। दूसरी पेंशन है स्पेशल फैमिली पेंशन। यह उस स्थिति में एनओके को मिलती है जब सैनिक की ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी की वजह से मौत होती है। यह सैलरी का 60 पर्सेंट होता है। तीसरी पेंशन होती है लिबरलाइज्ड फैमिली पेंशन। यह बैटल कैजुवल्टी होने पर एनओके को मिलती है। यह सैलरी का 100 पर्सेंट होता है। नियमों के मुताबिक पेंशन के हकदार एनओके ही होते हैं। इसके अलावा अगर सैनिक को वीरता के लिए कोई गैलेट्री अवॉर्ड मिलता है तो वह भी एनओके को ही जाता है। इसके साथ मिलने वाली राशि भी एनओके के पास ही जाती है।

    क्या मिलता है माता पिता को

    अगर सैनिक शादीशुदा थे तो Next Of Kin पत्नी ही होंगी। ऐसी स्थिति में माता-पिता को क्या मिलता है। सैनिक की जो इंश्योरेंस की राशि होती है, जो पीएफ की राशि होती है, जो एक्स ग्रेशिया होता है और जो ग्रेच्युटी होती है, उसके लिए सैनिक जिसे चाहें उसे नॉमिनी बना सकते हैं। उन्हें अपनी विल लिखनी होती है, जिसकी पूरी डिटेल सेना के पास होती है। सैनिक ने जिसे नॉमिनी बनाया है और जितने पर्सेंट का बनाया है उसे यह मिलेगा। चाहे वह माता-पिता हो, पत्नी हो या फिर बच्चे। साथ ही डिपेंडेंड पैरंट्स को मेडिकल फैसिलिटी मिलती रहती है।

    Anshuman Singh Indian Army Kirti Chakra Next of Kin
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