दिसंबर 2019 की बात है। अपने देश में भी कहीं-कहीं कोरोना वायरस पर बातें होने लगी थीं। लेकिन, उसमें गंभीरता कम, गॉसिप ज्यादा थी। माह के आखिर तक अखबारों में यह आने लगा। जनवरी 2020 की शुरुआत होते ही यह प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक्स चैनलों की सुर्खियों में था। तीसरे हफ्ते में भारत में भी एक मरीज पाया गया। इसके बाद जो कुछ हुआ वह सबके जेहन में मौजूद होगा। मार्च में देश ने लॉकडाउन देखा। यह अजीब बात थी। जिस शब्द के बारे में देश के अधिकांश लोगों को पता ही नहीं था, अब उनकी जुबां पर बैठ गया। उसके दो साल तक यह महामारी खूब कहर ढाई। पहली लहर से ज्यादा दूसरी, दूसरी से ज्यादा तीसरी। इस महामारी ने लाखों जिंदगियां लील लीं। पिछले तीन साल से इस लाखों के लिए काल बना यह वायरस गुमनाम सा हो गया है। हम भूले तो नहीं है लेकिन यह किस्सों-कहानियों का हिस्सा बन गया है।
हाल ही में आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और एम्स भोपाल ने एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। बताया गया कि यह वायरस अब भी जिंदा है। यह म्यूटेट हो रहा है। वहां अलग-अलग स्थानों से मल एवं सीवेज से सैंपल एकत्र किए गए। उसमें यह वायरस मिला है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई रिपोर्ट्स में लोगों को सावधान करते रहे हैं कि कोरोना जैसे आरएनए वायरस लगातार म्यूटेट होते रहते हैं जिससे एक नए वैरिएंट का खतरा बना रहता है, इसे ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को सावधानी बरतते रहना चाहिए।
आईसीएमआर और भोपाल एम्स की इस रिपोर्ट्स में लोगों को सावधान करते हुए कहा गया है कि कोरोना के मामले भले ही सामने नहीं आ रहे हैं पर इसे पूरी तरह से खत्म नहीं माना जा सकता है। ये वायरस अब भी हमारे आस-पास है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, संक्रमित के शरीर से निकलने के बाद भी वायरस सीवेज में जिंदा रह सकता है। यहां से वायरस के एक नए वैरिएंट के सामने आने और इसके फिर से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहना चाहिए।
इस अध्ययन के बाद अब देश के कई अन्य हिस्सों में भी सीवेज और गंदे पानी की जांच करके ये समझने की कोशिश की जा रही है कि क्या ये वायरस अन्य स्थानों पर भी मौजूद हो सकता है। हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईसीएमआर एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है, जो संक्रमण के संकेत पहले ही दे सके। कुछ देशों में में ऐसा सिस्टम पहले से लागू है, जहां से संक्रामक बीमारियों की निगरानी की जाती है।
खुद को जिंदा रखने के लिए म्यूटेट होता है वायरस
कोरोना के नए वैरिएंट्स को लेकर पहले के भी कुछ अध्ययनों में इस बात की चिंता जताई जाती रही है कि वायरस अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए लगातार म्यूटेट होता रहता है, इससे फिर से संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है। कोविड वैक्सीन और व्यापक रूप से फैले संक्रमण के चलते हर्ड इम्युनिटी बन गई है, जिसके चलते अब भले ही इसका ज्यादा असर न देखा जा रहा हो पर सभी लोगों को अलर्ट रहना जरूरी है।
यूरोपीय देशों में पिछले साल पाया गया था कोरोना
पिछले साल अगस्त-सितंबर में कोविड-19 चर्चा में रहा था। यूरोपीय देशों में कोरोना का एक नया वैरिएंट एक्सईसी सामने आया था। एक्सईसी (XEC Covid) के बारे में विशेषज्ञों ने बताया था कि ये शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को आसानी से चकमा देकर संक्रमण फैला सकता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले या फिर पहले से कोमोरबिडिटी के शिकार लोगों के लिए ये खतरनाक भी हो सकता है। हालांकि धीरे-धीरे इसके मामले भी कम होने शुरू हो गए थे। पिछले दिनों चीन में सार्स-सीओवी2 से ही मिलते-जुलते एक नए कोरोनावायरस की भी खबरें सामने आई थीं। चीन में वैज्ञानिकों ने एचकेयू5-सीओवी-2 नामक नए कोरोनावायरस का पता लगाया था जिसके मनुष्यों में तेजी से फैलने और गंभीर रोगों का खतरा बताया जा रहा है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स में चीनी वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि एचकेयू5-सीओवी-2 कई मामलों में कोविड-19 रोग का कारण बनने वाले वायरस (सार्स-सीओवी-2) से मिलता-जुलता माना जा रहा है। यह भी कोविड-19 की ही तरह ह्यूमन ACE2 रिसेप्टर्स से बाइंड होकर श्वसन तंत्र में उसी तरह से प्रवेश कर सकता है और श्वसन रोगों का कारण बन सकता है।
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