किसान मेला : विश्वविद्यालय किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। किसानों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जिससे उन्हें कृषि संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी, नई तकनीकें, बाजार से जुड़ी खबरें और सरकारी योजनाओं की जानकारी सीधे मोबाइल पर मिल सके। यह बातें 117वें किसान मेले के समापन पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहीं। उन्होंने बताया कि किसान मेले के दौरान प्रत्येक दिन एक हजार से अधिक किसानों को गोष्ठियों के माध्यम से लाभान्वित किया गया। इन गोष्ठियों में विशेषज्ञों ने उन्नत कृषि तकनीकों, जैविक खेती, समेकित कृषि प्रणाली, जल संरक्षण तकनीकों और स्मार्ट खेती के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी।
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उधमसिंह नगर के डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने कहा, जब तक किसानों की आय नहीं बढ़ेगी, तब तक समग्र विकास संभव नहीं है। सतत कृषि पद्धतियों (सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रैक्टिस), ब्लॉकचेन तकनीक, फार्म-टू-फूड एग्रीकल्चर चेन और किसानों की आय दोगुनी करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों को नवाचारों और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। टेक्नोलॉजी के समावेश से कृषि उत्पादन क्षमता और लाभ दोनों में वृद्धि हो सकती है। डीएम ने देवल गांव का विशेष रूप से उल्लेख किया गया, जो जैविक खेती को अपनाकर पूरी तरह से ऑर्गेनिक गांव बनने की दिशा में अग्रसर है।

इससे पहले चार-दिवसीय 117वें किसान मेले के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा ने बताया कि यहां 30 लाख के बीज, पौधे व कृषि साहित्यों की बिक्री की गई। उन्होंने बताया कि इस मेले में विभिन्न फर्मों, विश्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के छोटे-बड़े लगभग 385 स्टॉल लगाये गए व लगभग 25 हजार से अधिक पंजीकृत एवं अपंजीकृत किसानों ने मेले का भ्रमण किया। उन्होंने अल्मोड़ा की एक महिला किसान द्वारा मंडुआ और मशरूम से तैयार मोमो बेचकर 2 से 3 लाख रुपये की आय अर्जित करने का उदाहरण प्रस्तुत किया। जिससे महिला उद्यमिता को नई दिशा मिली। वहीं, साहीवाल गाय की रिकॉर्ड 1 लाख 1 हजार रुपये में नीलामी हुई, जो मेले का ऐतिहासिक क्षण रहा। मेले में कृषि से संबंधित पुस्तकों के स्टॉल से 5 से 6 लाख रुपये की आय अर्जित की गई।
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इसके अलावा, ‘हेलो मंडी’ स्टार्टअप ने किसानों को बाजार में अपनी उपज की मार्केटिंग और विपणन की जानकारी दी। इस बार किसान मेले में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण सुविधा भी उपलब्ध कराई गई, जिससे किसानों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने का अवसर मिला। ग्रीष्मकालीन धान (समर राइस) के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को अपनाने के लिए विशेष किसान गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों ने आधुनिक कृषि तकनीकों पर जानकारी साझा की। हरियाणा के एक किसान द्वारा उगाई गई विशाल लौकी भी आकर्षण का केंद्र रही।
विश्वविद्यालय में चल रहे चार-दिवसीय किसान मेले के समापन समारोह में प्रदर्शित किए गए चयनित स्टालों को पुरस्कृत किया। सर्वोत्तम स्टाल के लिए मैसर्स पंजाब मोटर्स, रूद्रपुर तथा सर्वोत्तम प्रदर्षन के लिए मैसर्स मनराज एग्रो इंडस्ट्रीज, गदरपुर को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर मेले में किसानों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए महिला क्लब को, विवि के सुरक्षाधिकारी एवं उनकी टीम को सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए पुरस्कृत किया गया।

इसके अतिरिक्त इस अवसर पर किसान मेले में आयोजित पशु प्रदर्शनी एवं अन्य प्रतियोगिता में विभिन्न स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कार प्रदान किए गए। साथ ही मेले में लगाए गए विभिन्न वर्गों के स्टॉलों को भी उनके प्रदर्शन व बिक्री के आधार पर पुरस्कृत किया गया। समापन समारोह में डॉ. एएस नैन ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद दिया।
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