देश में कूड़ा प्रबंधन एक बड़ा मसला है। राजधानी दिल्ली में तो यह चुनाव की दशा-दिशा तक तय कर देता है। आए दिन कूड़ा प्रबंधन से संबंधित खबरें हिंदी-अंग्रेजी के साथ चैनलों की सुर्खियां बनती हैं। इन सबके बीच ऋषिकेश ने कूड़ा प्रबंधन में देश के निकायों के सामने एक नायाब उदाहरण पेश किया है। देशभर में इसकी सराहना की जा रही है। नगर निगम प्लास्टिक कूड़े को न सिर्फ सफलता पूर्वक एकत्रित कर रहा है, बल्कि इसे रीसाइकिल के जरिए फिर कई तरह से इस्तेमाल भी कर रहा है।
ऋषिकेश देश का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है। यहां पर वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। साथ ही राफ्टिंग कैंपिंग के प्रमुख केंद्र के रूप में भी उभरा है। इसलिए यहां पर देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। इस वजह से यहां पर प्लास्टिक कूड़े की भरमार रहती है। यहां प्लास्टिक कूड़ा का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण काम है।
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इन सब चुनौतियों को देखते हुए ऋषिकेश नगर निगम के नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी ने आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट और वीरभद्र में प्लास्टिक बैंक की स्थापना की। इसमें खास बात यह थी कि प्लास्टिक बैंक के बॉक्स बनाने के लिए पुरानी प्लास्टिक बोतलों का ही इस्तेमाल किया गया। जिसमें लोग खुद खाली बोतलें या अन्य प्लास्टिक कचरा डालते हैं, इन प्लास्टिक बैंक से अब तक करीब 400 किलो तक प्लास्टिक रीसाइकिल हो चुका है। इस प्रयोग की सफलता को देखते हुए नगर निगम अब नटराज, ट्रांजिट कैंप, रेलवे स्टेशन में भी प्लास्टिक बैंक स्थापित करने जा रहा है।
वेस्ट टू वंडर पार्क
ऋषिकेश नगर निगम ने परिसर में प्लास्टिक वेस्ट से ‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क भी तैयार किया है, जिसमें पुराने टायर, खराब हो चुकी स्ट्रीट लाइट, साइकिल- स्कूटर जैसे सामान से बच्चों के झूले और सजावटी सामान तैयार किए गए हैं। साथ ही नगर निगम रीसाइकिल प्लास्टिक से बैंच, ट्री कार्ड, प्लास्टिक बैंक बॉक्स भी तैयार कर रहा है।
महिला समूहों को जोड़ा अभियान से
ऋषिकेश नगर निगम में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होने के बावजूद पहले यूजर चार्ज महज तीन लाख महीने तक ही जमा हो पाता था। इसके बाद नगर निगम ने यूजर चार्ज वसूलने का काम, महिला स्वयं सहायता समूहों (त्रिवेणी सेना) को दे दिया। यह प्रयोग बेहद सफल रहा। अब नगर निगम का कलेक्शन 13 लाख के पार चला गया है। इसमें से नगर निगम महिला समूहों को 25 प्रतिशत लाभांश देता है। इस तरह करीब 250 महिलाओं को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला है।
बेहतर काम करने वाले निकाय होंगे पुरस्कृत
ऋषिकेश नगर निगम की पहल की सफलता पर सीएम धामी भी खुश हैं। वह कई मौकों पर सफाई को लेकर कह चुके हैं कि आने वाले श्रद्धालु यहां के बारे में अच्छी तस्वीर मन में लेकर जाएं। इसलिए वह सभी निकायों को प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। सीएम कहते हैं, इस दिशा निकायों के स्तर पर कई नवीन प्रयास किए जा रहे हैं, कुछ जगह क्यूआर कोड के जरिए भी प्लास्टिक की वापसी की जा रही है। सरकार इस दिशा में बेहतर काम करने वाले निकायों का पुरस्कृत भी कर रही है।
ई-कचरा निस्तारण में देश में दूसरे स्थान पर उत्तराखंड
पर्यावरण और समाज के लिए भविष्य में बड़े खतरे के तौर पर सामने आ रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन, एकत्रीकरण और पुनर्चक्रण के मामले में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है। राज्य में 51541.12 मीट्रिक टन ई-कचरे को रिसाइकिल किया जा रहा है। 2023 में राज्यसभा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु सरीखे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है। हिमालयी राज्यों में हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर ईृ-कचरा एकत्र कर उसको रिसाइकिल करने के मामले में बहुत पीछे है।