Research : हैजा जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव का एक और टीका भारत में तैयार हो गया है। चिकित्सा के क्षेत्र में इसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। सभी परीक्षणों में यह टीका खरा पाया गया है। यानी, सफल हुआ है। कंपनी ने इसके तीसरे चरण के परिणाम भी जारी कर दिए हैं। भारतीय शोधकर्ताओं ने इस टीके को हिलचोल नाम दिया है। खास बात यह है कि एक साल के बाद सभी आयु वर्ग लोगों पर सुरक्षित और असरदार पाया गया है। कुछ औपचारिकताओं के बाद इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। हालांकि, कंपनी ने कोई समय सीमा नहीं बताई है। इस परीक्षण को वैक्सीन नामक जर्नल में प्रकाशित किया है। इसके अनुसार, तीसरे चरण के परीक्षण में कुल 1,800 लोगों को शामिल किया। इसमें हिस्सों से वयस्क, बच्चे और एक से पांच साल तक के शिशुओं को शामिल किया।
यह हैजा बैक्टीरिया के दो प्रमुख स्ट्रेन ओगावा और इनाबा के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करने में सक्षम हैं। इस परीक्षण यह भी कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुमति प्राप्त दुनिया भर में मौजूद हैजा के टीका और भारत के इस हिलचोल के परिणामों में बड़ा अंतर नहीं है। भारत बायोटेक ने जारी बयान में कहा है कि टीका की 14 दिन के भीतर दो खुराक देना अनिवार्य है। कंपनी ने बताया कि यह हिलचोल एक सिंगल स्ट्रेन टीका है। यह विनियो कोलेरा जीवाणु के दो स्ट्रेन को निष्क्रिय करके बनाया है। इसमें खास किस्म की तकनीक का इस्तेमाल किया है जो अन्य टीकों में नहीं किया जाता है। इससे यह हैजा के दो अलग-अलग स्ट्रेन के खिलाफ एक जैसी सुरक्षा देने में मदद करता है।
पिछले नौ सालों में 263 लोगों की जान ले चुका है हैजा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल एक हजार लोगों की आबादी पर औसतन 1.6 हैजा मामले मिल रहे हैं। जबकि तीव्र दस्त को लेकर एक हजार की आबादी पर औसतन 40 मामले मिल रहे हैं। साल 2011 और 2020 के बीच देश के अलग अलग हिस्सों में 565 वार हैजा का प्रसार बढ़ने के मामले पाए गए हैं, जिनमें करीब 45,759 लोग इस बीमारी की चपेट में आए और उनमें से 263 लोगों की मौत हुई।
क्या है हैजा
विब्रियो कोलेरा एक जीवाणु है जो हैजा नामक एक संक्रामक बीमारी के होने का कारण बनता है। हैजा अक्सर दूषित पानी पीने से फैलता है। हैजा से ग्रस्त कुछ लोगों को गंभीर दस्त और डिहाइड्रेशन का सामना करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और जिनमें लक्षण दिखते हैं उनमें हल्के से मध्यम गंभीरता होती है। लगभग 10 में 1 संक्रमित व्यक्ति को गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं। यदि उन्हें समय पर सहायता नहीं मिलती है, तो इन लक्षणों वाले लोग कुछ ही घंटों में मर भी सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, विब्रियो कोलेरा लक्षण दिखाने से पहले शरीर में पांच दिनों तक पनप सकता है, यानी लक्षण 5 से 12 दिनों के बीच में दिखाई दे सकते हैं। हैजा से जुड़े डिहाइड्रेशन के कारण आपके रक्त से आवश्यक खनिजों का तेजी से नुकसान भी इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का कारण बन सकता है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन मांसपेशियों में ऐंठन और हाइपोवोलेमिक शॉक पैदा कर सकता है, जो रक्तचाप और ऑक्सीजन की आपूर्ति में गंभीर कमी का कारण बन सकता है। उपचार न करने पर शॉक और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से मृत्यु भी हो सकती है। कम रक्त शर्करा और किडनी की विफलता अन्य संभावित चिंताएं हैं।
हैजा के लक्षण
- दस्त
- उल्टी और मतली
- थका हुआ या सुस्त महसूस करना
- डिहाइड्रेशन
- मांसपेशियों में ऐंठन
- तेज धड़कन
- चक्कर आना और संवेदी उत्तेजनाओं (सेंसोरियम) में बदलाव
- पेशाब ठीक से न आना और अत्यधिक प्यास लगना
- त्वचा का शुष्क होना, श्लेष्म झिल्ली (जैसे नाक के अंदर या पलकें) का शुष्क होना, और मुंह सूखना