Report : देश की राजधानी दिल्ली वायु तो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून ध्वनि प्रदूषण से परेशान है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से सितंबर तक राज्य के कई जिलों में ध्वनि प्रदूषण की जांच कराई है। इसमें रुद्रपुर काशीपुर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्थिति में हैं। वहीं, देहरादून में भी ध्वनि प्रदूषण मानक से बहुत ज्यादा है। सर्दियों के मौसम में अखबारों और चैनलों में दिल्ली में वायु प्रदूषण की खबरें सुर्खियां बनती हैं। ऐसा पिछले कई वर्षों से हो रहा है। अब शांत वातावरण के विख्यात देवभूमि में भी शोर-शराबा चरम पर पहुंच चुका है।
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गाड़ियों के शोर से शहर में मौजूद अस्पतालों में मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। देहरादून के हालात तो यह हैं कि दून अस्पताल के पास भी ध्वनि 75 डेसीबल से अधिक रहा। यह बेहद चिंताजनक बात है। अस्पताल के पास तो हॉर्न तक बजाना मना होता है। लेकिन, इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। देहरादून के व्यावसायिक क्षेत्रों के हालात भी बेहतर नहीं है। साथ ही यहां के आवासीय क्षेत्र की बात करें तो रेस कोर्स में फरवरी में 75.05 और नेहरू कॉलोनी में जून में 65.5 डेसीबल रहा है। वहीं, काशीपुर के आवासीय क्षेत्र में 85.67 और रुद्रपुर में मार्च में 84.14 डेसीबल तक ध्वनि का स्तर रहा है। यह स्तर खतरनाक माना जाता है। इसका बड़ा कारण शहरों में गाड़ियों की बढ़ती संख्या के साथ निर्माण कार्यों को माना जा रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
ध्वनि प्रदूषण के विशेषज्ञ कहते हैं, इसको लेकर लोगों को भी अपने स्तर से प्रयास करना होगा। कुछ लोग ट्रैफिक सिग्नल आदि जगहों पर वेवजह हार्न बजाते हैं। इससे भी शोर उत्पन्न होता है। इसको लेकर पुलिस के सहयोग से जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। नब्बे डेसीबल से अधिक की आवाज कानों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
राज्य के चार जिलों में की गई जांच
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में देहरादून (सात जगह), हल्द्वानी (तीन), रुद्रपुर (तीन), काशीपुर (तीन) नैनीताल और हरिद्वार में एक एक जगह ध्वनि प्रदूषण की जांच कराई है। यह जांच भी व्यवसायिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र और साइलेंस जोन में कराई गई है। जनवरी से सितंबर के बीच हुई जांच रिपोर्ट चिंताजनक होने की तरफ इशारा कर रही है। ईएनटी रोग विशेषज्ञों के अनुसार 90 और उससे अधिक डेसीबल की आवाज कान के सुनने क्षमता की प्रभावित कर सकती है। वहीं रुद्रपुर के डीडी चौक (कामर्शियल जोन) में अगस्त के महीने में औसत ध्वनि का स्तर 93.45 डेसीबल रिपोर्ट हुआ है। यानी यहां आपके कानों को नुकसान पहुंच सकता है।
ध्वनि प्रदूषण का कारण
ध्वनि प्रदूषण के कई कारण हैं। आजकल शादियों में डीजे का चलन है। आप गौर किए होंगे कि उसकी आवाज इतनी तेज होती है कि आपके कान झन्ना जाते हैं। लोग इसके नजदीक खड़े होकर नाचते हैं। ईएनटी विशेषज्ञ इसे बेहद खतरनाक मानते हैं। ऐसे कई केस आ चुके हैं जिसमें किशोर, युवा की सुनने की झमता प्रभावित हो गई। तेज आवाज जब कानों में पड़ती है वह नसों के जरिए दिल तक पहुंचती है। जब लगातार डीजे का तेज साउंड कानों में पड़ता है तो हार्ट बीट्स बढ़ जाती हैं। इससे स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डर बढ़ता है। ऐसी स्थिति में कान की नसों में खून गाढ़ा होने लगता है। कई बार यह स्ट्रोक का कारण भी बन जाता है। वैसे, देश में अभी तक ध्वनि प्रदूषण को लेकर लोग संवेदनशील नहीं हैं। यही कारण है कि इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि, विशेषज्ञ इसे वायु प्रदूषण की तरह ही खतरनाक मानते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के साइड इफेक्ट
उच्च रक्तचाप
बहरापन
सर्कैडियन लय (नींद चक्र) को प्रभावित कर सकता है
संज्ञानात्मक कार्यों को ख़राब करना
चिड़चिड़ापन, उच्च तनाव
ध्वनि प्रदूषण के कारण
लॉन घास काटने की मशीन और पत्ती ब्लोअर
निर्वात मार्जक
लाउडस्पीकर या स्टीरियो
ट्रक, बसें, हवाई जहाज़, या यातायात
हीटिंग और एयर कंडीशनिंग इकाइयां