केंद्र सरकार ने PM Surya Ghar Yojana लॉन्च की है। इसपर करीब 40 फीसदी सब्सिडी भी दी जा रही है। लोग अपनी छतों पर सोलर पैनल लगवाकर अपना बिजली का बिल कम करने में जुट गए हैं। केंद्र सरकार की मानें तो इस योजना को काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। अपने राज्य उत्तराखंड में बहुत से लोग सोलर पैनल का इस्तेमाल करने लगे हैं। बहुत से ऐसे भी हैं जो इस लगवाने की इच्छा रखते हैं। इन सबके बीच एक अहम सवाल यह है कि अगर आपके सोलर पैनल खराब हो गए या कुछ गड़बड़ी हो गई तो क्या करेंगे। शायद इस ओर बहुत कम लोगों को ध्यान गया हो। खुशखबरी यह है कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इसका इंतजाम हो रहा है। राज्य की स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं आपके घरों की छतों पर लगे सोलर पैनल की मरम्मत कर उसे ठीक कर देंगी। जी हां, राज्य की कई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मरम्मत करने की ट्रेनिंग ले रहीं हैं। यह सब हो रहा है नाबार्ड के सहयोग से। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट ने अपनी दूरगामी सोच के साथ महिलाओं को सोलर पैनल मेंटीनेंस की ट्रेनिंग देने की पहल की है।
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आम तौर में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बारे में धारणा होती है कि वह कृषि,बागवानी, सिलाई-कढ़ाई जैसे कार्य ही करती हैं। लेकिन, आपको यह जानकार हैरत होगी कि अब हमारी पहाड़ की महिलाएं परंपरागत कामों से इतर भी हाथ आजमा रही हैं। एलईडी बल्ब बनाना भी इसमें शामिल है। सोलर पैनल की मरम्मत इससे आगे की कड़ी है। नाबार्ड के अधिकारियों के मुताबिक, आने वाले समय में जिन लोगों को सोलर पैनल मरम्मत के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। चूंकि, अब तक सोलर पैनल की संख्या बहुत कम थी। इसलिए इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की संख्या बेहद कम है। जो कंपनियां सोलर पैनल बनाती थीं वही रिपेयर भी करती थी। अब जब हर दूसरे-तीसरे घर में सोलर पैनल होंगे तो मरम्मत या मेंटेनेंस करने वालों की मांग भी बढ़ेगी।
नाबार्ड उत्तराखंड रीजनल सेंटर के सीजीएम विनोद कुमार बिष्ट ने बताया कि केंद्र सरकार सोलर ऊर्जा को प्रोत्साहन दे रही है जाहिर, है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी खूब होंगे। इसलिए हम लोग स्वयं सहायता समूह को सोलर रिपेयरिंग का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। सीजीएम के मुताबिक, सोलर पैनल को साल भर मेंटेनेंस की जरूरत होती है। यह प्रोग्राम पिछले वर्ष ही शुरू किया गया है। यह प्रोग्राम हम लोगों के लिए भी एक चैलेंज था। क्योंकि यह परंपरागत कामों से हटकर था। महिलाएं इसमें अच्छा भी कर रही हैं। उनका कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में इसका असर दिखने लगेगा। जो भी इस काम को अभी सीख रहा है उसे फायदा भी खूब होगा। हालांकि, लोगों का कहना है कि छतों पर चढ़कर सोलर पैनल की रिपेयरिंग करने में महिलाओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, कुछ का कहना है कि जरूरी नहीं की सब पैनल छत पर ही लगे हों। खैर, नाबार्ड की इस पहल की जमकर सराहना की जा रही है।
रिपेयरिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप में खूब संभावनाएं
नाबार्ड उत्तराखंड रीजनल सेंटर के सीजीएम विनोद कुमार बिष्ट के मुताबिक, युवाओं के लिए भी यह सुनहरा अवसर है। वह इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। क्यों कि कुछ वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में यह गेमचेंजर साबित होने जा रहा है। इतनी बड़ी संख्या में जब सोलर पैनल होंगे तो मरम्मत या रिपोयरिंग कंपनियों के बस की बात नहीं होगी। उसे या तो कर्मचारी हायर करने पड़ेंगे। या किसी मरम्मत करने वाली कंपनी से मदद लेनी होगी। हमारे यहां के लोगों की सोच भी ऐसी है कि वह हर काम के लिए कंपनी को फोन नहीं करेंगे। वह आसपास ऐसे लोगों को खोजेंगे जिन्हें यह काम आता हो।
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उम्मीद भरी खबर नाबार्ड का यह कार्यक्रम सराहनी है