तमिलनाडु में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के पहले Pamban Bridge को राष्ट्र को समर्पित किया। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि है। इसकी लागत 550 करोड़ रुपये से अधिक है। यह ब्रिज 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 99 स्पैन (खंभों के बीच की दूरी) हैं और इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है, जो 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है। इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं और ट्रेन सेवा भी बिना बाधा जारी रह सकती है।
पहला पंबन ब्रिज 1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था। यह एक कैंटिलीवर (धातु या लकड़ी का एक लंबा टुकड़ा जो पुल के अंत को सहारा देने के लिए दीवार से बाहर निकलता है) डिजाइन का ब्रिज था। इसमें एक शेरजर रोलिंग लिफ्ट हिस्सा था। यह समुद्र में खुलकर जहाजों को रास्ता देता था। एक सदी से अधिक वक्त तक यह ब्रिज तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और व्यापारियों के लिए जीवनरेखा की तरह काम करता रहा। लेकिन समुद्री माहौल से नुकसान और बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए सरकार ने फरवरी 2019 में नए तकनीकी और मजबूत पंबन ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी।
इसके बाद पीएम ने एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, आज राम नवमी का पावन पर्व है, अब से कुछ समय पूर्व अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला का सूर्य की किरणों ने भव्य तिलक किया है। भगवान श्रीराम का जीवन, उनके राज्य से मिलने वाली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार है। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में भारत ने अपनी इकोनॉमी का साइज दोगुना किया है। इतनी तेज ग्रोथ का एक बड़ा कारण हमारा शानदार मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर भी है।
बीते 10 वर्षों में हमने रेल, रोड, एयरपोर्ट, पानी, पोर्ट, बिजली, गैस पाइप लाइन… ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट करीब 6 गुना बढ़ाया है। पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में बहुत तेजी से बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है। आप उत्तर में देखेंगे तो जम्मू कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज में से एक ‘चिनाब ब्रिज’ बना है। पश्चिम में जाएंगे तो मुंबई में देश का सबसे लंबा सी ब्रिज ‘अटल सेतु’ बना है। पूर्व में जाएंगे तो असम के ‘बोगीबील ब्रिज’ के दर्शन होंगे। दक्षिण में आते हैं तो दुनिया के गिने-चुने वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज में से एक ‘पंबन ब्रिज’ का निर्माण पूरा हुआ है।