Plastic Pollution का दुष्प्रभाव हमारे पर्यावरण के साथ जंगल में रहने वाले जानवरों पर भी होना लगा है। उत्तराखंड में यह अब वन्यजीवों की जान का दुश्मन बन चुका है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि राज्य के संरक्षित क्षेत्रों में भी प्लास्टिक पहुंच चुका है। यह जानवरों के लिए जानलेवा बन रहा है। राजाजी टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सक डॉ राकेश नौटियाल के मुताबिक, अब तक कई हाथी, सांभर और हिरण जैसे वन्यजीवों के शरीर से पोस्टमार्टम के दौरान प्लास्टिक मिला है। यह साबित करता है कि जंगलों में प्लास्टिक पहुंच चुका है और वन्यजीव इसे खाने लगे हैं। जिससे उनके पाचन तंत्र पर गहरा असर पड़ रहा है। कई बार मौत का कारण भी बन जाता है।
उत्तराखंड के कई संरक्षित क्षेत्रों में इंसानी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। कई क्षेत्रों में रेलवे ट्रैक और सड़कें जंगलों को चीरती हुई गुजर रही हैं। सफर के दौरान यात्री खाने-पीने के सामान के साथ प्लास्टिक जंगलों में फेंक देते हैं, जो सीधा वन्यजीवों तक पहुंच रहा है। खाने की सुगंध से आकर्षित होकर ये जानवर कचरे तक पहुंचते हैं और खाद्य पदार्थ के साथ प्लास्टिक भी निगल जाते हैं। जंगलों में पानी की बोतलें सबसे ज्यादा फेंकी जाती हैं। जिसके कारण उन्हें कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसका असर आसपास के ईको सिस्टम पर भी पड़ने लगता है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़े
प्लास्टिक युक्त कचरे की वजह से वन्यजीव जंगलों से बाहर निकलने लगे हैं और उनके पीछे शिकार करने वाले जीव भी इंसानी बस्तियों की तरफ आ रहे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इस मामले में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि इस समस्या पर लगातार काम हो रहा है। रेलवे विभाग से बातचीत चल रही है और जंगलों के पास सफाई के निर्देश भी दिए गए हैं लेकिन जब तक आम लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक यह संकट टलने वाला नहीं है।
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