कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। इसके बाद उम्मीद बढ़ गई है कि केंद्र सरकार Diesel Petrol की कीमतों में कमी करेगी। हालांकि, मीडिया से बातचीत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने कहा है कि अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है तो तेल कंपनियां ईंधन की कीमतें कम करने पर विचार करेंगी। बतादें कि कई राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 90 रुपये प्रति लीटर पर बनी हुई हैं।
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पिछले महीने से कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बना हुआ है। इस गिरावट से भारत को सबसे ज्यादा फायदा होगा। क्योंकि हमारा देश अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल बाहर से मंगाता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि अमेरिका और चीन में मंदी की चिंता के कारण तेल के दाम घट रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि तेल के दाम घटने से पेंट, तेल वितरण कंपनियों व एयरलाइंस क्षेत्र को अधिक फायदा होगा।
चुनाव से पहले दो रुपये घटे थे दाम
दो साल पहले वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का दाम 90 से 100 डॉलर के बीच था। अब यह 70 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया है। कच्चे तेल के दाम में गिरावट के बावजूद घरेलू बाजार में कीमतें जस की तस बनी हुई है। ग्राहकों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। तेल कंपनियों ने 18 माह में पहली बार इस साल आम चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल व डीजल के दाम में दो रुपये प्रति लीटर कटौती की थीं। इस बार फिर उम्मीद बढ़ गई है कि दामों में कुछ कटौती कर आम लोगों को राहत दी जाए।
2021 के बाद देखने को मिला बदलाव
एएफपी की एक रिपोर्ट बताती है कि ब्रेंट क्रूड का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया था और ऐसा दिसंबर 2021 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब कच्चे तेल का भाव 70 डॉलर से भी कम हुआ है। एएफपी के अनुसार, दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की रफ्तार कम होने को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई हैं। इन चिंताओं ने कच्चे तेल की डिमांड को प्रभावित कम हुआ है, जिसका असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है।
6 महीने पहले हुई थी दाम में कटौती
देश में तीन सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम डीजल व पेट्रोल की खुदरा बिक्री करती हैं। तीनों कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव के हिसाब से डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बदलाव करती हैं। डीजल और पेट्रोल के खुदरा दाम में लगभग 6 महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ है। आम लोगों को आखिरी बार 14 मार्च 2024 को राहत दी गई थी। उस समय डीजल और पेट्रोल के दाम में 2-2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी।
इंटरनेशनल मार्केट का दिख सकता है असर
इंटरनेशनल लेवल पर कच्चे तेल के भाव में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले सप्ताह ब्रेंट क्रूड का भाव करीब 8 फीसदी गिरा था, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के भाव में लगभग 6% की गिरावट आई थी। इस सप्ताह भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का दौर बना हुआ है। मौजूदा आर्थिक हालात इशारा कर रहे हैं कि कच्चा तेल और सस्ता हो सकता है। तेल उत्पादक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती करने से जिस सपोर्ट की उम्मीद की जा रही थी, वह भी फिलहाल टल गई है। ओपेक प्लस में शामिल देश उत्पादन बढ़ाने की योजना को अक्टूबर-नवंबर तक टालने के लिए सहमत हुए हैं। कुल मिलाकर होली के बाद अब दशहरा-दिवाली से पहले डीजल-पेट्रोल के भाव गिरने की मजबूत संभावनाएं बनी हुई हैं।