प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में बैठने जा रहे बच्चों से ‘परीक्षा पे चर्चा’ (Pariksha Pe Charcha) की। परीक्षा से पहले बच्चों के तनाव को कम करने के लिए पीएम मोदी द्वारा यह पहल की गई है। यह इस देशव्यापी कार्यक्रम का 7वां संस्करण था। दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान खटीमा के छिनकी फॉर्म स्थित डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल एकेडमी की छात्रा स्नेहा त्यागी ने ऑनलाइन माध्यम से पीएम मोदी से सवाल पूछा। देश भर 15 बच्चों का चयन पीएम से सवाल पूछने के लिए किया जाता है। स्नेहा उत्तराखंड से चयनित हुई अकेली छात्रा हैं।
उन्होंने पीएम मोदी से पूछा, हम भी आपकी तरह सदैव सकारात्मक कैसे रह सकते हैं? इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, सदैव चुनौतियों को चुनौती देनी चाहिए, स्वयं को कभी भी अकेला न समझें, प्रत्येक छात्र को अपना सामर्थ्य बढ़ाना चाहिए। सदैव स्वयं पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए।
सुनिये स्नेहा का सवाल और पीएम मोदी का पूरा जबाब
खटीमा के थारू-बुक्सा जनजाति बहुल इलाके में स्थित डायनेस्टी मॉर्डन गुरुकुल को शिक्षा में अपने अभिनव प्रयोगों के लिए जाना जाता है। स्कूल के प्रबंध निदेशक धीरेंद्र चंद्र भट्ट ने कहा कि आज के कार्यक्रम में हमारी छात्रा का चुना जाना और पीएम मोदी से प्रश्न पूछना इस क्षेत्र और पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का पल है। प्रधानमंत्री को हम अपने स्कूल की तरफ से धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा, पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का इंतजार बच्चों को रहता है और बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले बच्चों के लिए यह वार्तालाप संजीवनी का काम करेगा। कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की डायरेक्टर श्रीमती प्रेमा भट्ट, प्रधानाचार्य चंद्रकांत पनेरु, प्रशासनिक अधिकारी मनीष चंद, एकेडमिक डायरेक्टर विक्टर आईवन समेत स्कूल के समस्त विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक उपस्थित रहे।
जीरो पीरियड बना गेम चेंजर
इस स्कूल के बनने और जीरो ऑवर की कहानी बड़ी दिलचस्प है, कुछ समय पहले teerandaj.com की टीम इस स्कूल पहुंची थी। तब जीरो ऑवर के कांसेप्ट के बारे में धीरेंद्र भट्ट ने कहा था, हमें बच्चों को वह नहीं बनाना चाहिए जो हम चाहते हैं, हमें बच्चों को वह बनाना चाहिए जो बच्चे के अंदर बात है। हो सकता है कि मेरा बच्चा बहुत अच्छा मैथ्स, फिजिक्स नहीं जानता है, तो क्या बच्चा सक्सेसफुल नहीं बन सकता है। अक्सर उस बच्चों को हम स्लो लर्नर मान लेते हैं। मैं मानता हूं कि वह बच्चा अच्छा म्यूजिशियन हो सकता है, वह एक अच्छा आर्टिस्ट हो सकता है, वह अच्छा डांसर हो सकता है, अच्छी एक्टिंग कर सकता हो। इसलिए हम जीरो पीरियड में सारी एक्टिविटीज करवाते हैं। जो बच्चे स्टडीज में इंटरेस्टेड है वह स्टडीज के लिए जाते हैं, जिन्हें किसी कंपटीशन की तैयारी करनी होती है वह कंपटीशन की तैयारी करते हैं, जो साइंस में इंटरेस्टेड हैं वह लैब में जाएं, जो बच्चे पढ़ने के शौकीन होते हैं उन्हें लाइब्रेरी भेज देते हैं। ऐसे ही जो बच्चे म्यूजिक में इंटरेस्टेड है, उसमें भी तीन पार्ट हैं, जो बच्चा तबला में इंटरेस्टेड है हम तबला टीम में भेज देते हैं। हमारे पास म्यूजिक के तीन टीचर हैं। ऐसे ही स्पोर्ट्स में भी हम बच्चे को जो स्पोर्ट्स पसंद हैं, डिफरेंट कोचेस के माध्यम से हम उन्हें भी तैयारी करवाते हैं। जीरो पीरियड के पीछे हमारा मकसद यही है कि बच्चों के फ्रेश ब्रेन में जो हम देना चाहते हैं वो न दें, जो बच्चे के अंदर है उसे बाहर निकालें। स्कूल की शुरुआत ही उसी से होनी चाहिए। जीरो पीरियड के कॉन्सेप्ट की बदौलत हम पिछले 8 साल से कोविड से पहले हम पूरे स्टेट में उत्तराखंड संस्कृत एकेडमी के माध्यम से ड्रामा चैंपियन हैं, हम डांस में पूरे स्टेट में नंबर वन रहे हैं। भारत विकास परिषद में ग्रुप सॉन्ग कंपटीशन में पूरे देश में हम फर्स्ट पोजीशन लेकर आए। इसके अलावा हम स्पोर्ट्स के डिफरेंट फील्ड्स में भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। साइंस के फील्ड में भी बहुत अच्छा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी GGIC कौलागढ़, देहरादून से वर्चुअली इस कार्यक्रम में जुड़े थे। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री द्वारा लिखी पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ भी प्रदान की।