उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित देश के सर्वाधिक मूल्यवान निगमों में से एक ONGC (तेल एवं प्राकृतिक गैस लिमिटेड) को दिल्ली भेजने की तैयारी हो रही है। चर्चाओं का बाजार फिर गर्म हो चुका है। विरोध के स्वर भी मुखर हो चुके हैं। ओएनजीसी स्टाफ यूनियन ने सीएम पुष्कर धामी को एक पत्र लिखा है। यूनियन ने सीएम से आग्रह किया है कि वह इस मामले में दखल दें। पिछले एक दशकों में कई महत्वपूर्ण मुख्यालय दिल्ली या अन्यत्र स्थानों पर शिफ्ट हो चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्टाफ यूनियन के महामंत्री अजय शर्मा ने सीएम से मुलाकात का समय भी मांगा है। उनका कहना है कि इस तरह की किसी भी कवायद का कड़ा विरोध किया जाएगा। ओएनजीसी मुख्यालय को कई बार दिल्ली शिफ्ट करने की तैयारी हो चुकी है। यूनियन के विरोध के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।
2018 में पैन शिफ्टिंग की हुई थी कवायद
ओएनजीसी मुख्यालय शिफ्ट करने की आशंका बेबुनियाद नहीं है। वर्ष 2018 में भी इस तरह की कवायद हुई थी। तब ओएनजीसी का स्थायी खाता संख्या (पैन) को देहरादून से दिल्ली शिफ्ट करने का प्रयास किया गया था। ONGC की तरफ से उत्तराखंड के मुख्य आयकर आयुक्त को इस बाबत पत्र भी लिखा गया था। यूनियन ने कड़ा विरोध किया तब जाकर यह कवायद रुकी थी। यूनियन के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट धरने पर बैठ गए थे। तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल के बाद ओएनजीसी ने एक पत्र जारी कर मुख्यालय को देहरादून से शिफ्ट न करने की बात कही थी। तब जाकर विरोध प्रदर्शन रुका था।
यूनियन ने सीएम को भेजे पत्र में क्या लिखा है
यूनियन ने सीएम को भेजे पत्र में लिखा है कि पिछले दो दशकों के भीतर देहरादून से कई विभाग स्थानांतरित हो चुके हैं। अगर ओएनजीसी भी यहां से शिफ्ट गया तो राष्ट्रीय स्तर का कोई भी प्रमुख विभाग यहां रह जाएगा। देहरादून खाली हो जाएगा।
अब तक स्थानांतरित हुए विभाग
मुख्य स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण, कॉरपोरेट खाते, कॉरपोरेट बजट, कॉरपोरेट एमएम, केंद्रीय पेरोल, हेड स्पोर्ट्स,ओएनजीसी फुटबॉल एवं हॉकी टीम, ईडी सुरक्षा, मुख्य भूभौतिकीय सेवाएं, कॉरपोरेट सतर्कता व प्री ऑडिट विभाग प्रमुख हैं।
इनको भेजने की तैयारी
एसटी सेल, कॉरपोरेट डीएंडए, कॉरपोरेट नीति, कॉरपोरेट प्रतिष्ठान, सीपीएफ ट्रस्ट, पीआरबीएस ट्रस्ट, सीएसएसएस ट्रस्ट सहयोग ट्रस्ट, ग्रेच्यूटी ट्रस्ट को शिफ्ट किया जा सकता है। इसके अलावा नए भर्ती किए गए स्नातक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देने के लिए स्थापित ओएनजीसी अकादमी और जीटी हॉस्टल को गोवा भेजने की तैयारी है।

कभी 28000 कर्मचारी थे, अब महज 1300 बचे
ओएनजीसी के देहरादून स्थित मुख्यालय में कभी 2800 कर्मचारी हुआ करते थे। धीरे-धीरे तमाम विभाग की शिफ्टिंग कर दी गई। अब यहां महज 1300 के करीब कर्मचारी ही बचे हैं। चीफ ईआर के अधीन 11 कार्यालय हैं। यूनियन चाहती है कि चीफ एचआरडी को देहरादून स्थानांतरित किया जाए। मुख्य भू भौतिकीय सेवाओं को भी वापस देहरादून लाया जाए। क्यों कि मुंबई में एक भी जीपीएस फिल्ड पार्टी नहीं है। कॉरपोरेट खाते, कॉरपोरेट बजट, कॉरपोरेट एमएम, सर्तकता, प्री ऑडिट और ओएनजीसी फुटबॉल एवं हॉकी टीम को देहरादून वापस लाया जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओएनजीसी स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि पहले भी ऐसी कोशिश हो चुकी है। मगर, यूनियन ऐसा होने नहीं देगी। हम लोगों ने सीएम को पत्र भेज दिया है। सीएम से मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।
एनडी तिवारी सरकार में भी स्थानांतरण की हो चुकी है कोशिश
जुलाई 2006 में राज्य में एनडी तिवारी की सरकार थी। उस समय भी ओएनजीसी मुख्यालय को नई दिल्ली में शिफ्ट करने की चर्चा हो चुकी थी। इससे पहले 2002 में तत्कालीन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री राम नाईक ने आश्वत किया था कि ओएनजीसी मुख्यालय को देहरादून से शिफ्ट नहीं किया जाएगा।
राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
ओएनजीसी अपने कर्मचारियों का सालाना करीब आठ हजार रुपये से ज्यादा का आयकर जमा करता है।उत्तराखंड की ओर से आयकर का सबसे बड़ा अंशधारक है ओएनजीसी। ऐसे में ओएनजीसी बाहर जाता है तो राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रकूल प्रभाव पड़ेगा।