उत्तराखंड में पंचायतों में OBC Reservation अब जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होगा। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए राज्य की ओबीसी आबादी को मानक माना जाएगा। यानी, जिस जिले में ओबीसी की जितनी आबादी होगी उसी हिसाब से आरक्षण दिया जाएगा। जनसंख्या के अनुसार अनुसूचित जाति और ओबीसी के लिए दो-दो सीटें आरक्षित हो सकती हैं। अन्य पदों के लिए जिले और ब्लॉक की जनसंख्या को आधार माना जाएगा। ओबीसी आरक्षण 50% से अधिक नहीं होगा।
आयोग की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए गठित उपसमिति के मुताबिक किसी जिले में यदि ओबीसी की आबादी कम है, तो उस जिले में उसी हिसाब से ओबीसी आरक्षण मिलेगा। टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली सहित कई ऐसे जिले हैं, जिनमें ओबीसी की आबादी कम है। जबकि उतरकाशी जिला सहित कुछ ऐसे क्षेत्र है, जहां इनकी आबादी अधिक हैं। उप समिति के अध्यक्ष वन मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार यदि किसी जिले में ओबीसी की आबादी दो प्रतिशत है तो उस जिले में ओबीसी को दो प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। वहीं, अधिक आबादी वाले जिले में 28 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक एसएसी, एसटी और ओबीसी के 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान में एससी के लिए 18 प्रतिशत और एसटी के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसे में यदि किसी जिले में शत प्रतिशत ओबीसी है, तो भी उन्हें अधिकतम 28 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए राज्य की जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण तय होगा।
ओबीसी आरक्षण को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की शनिवार को हुई बैठक में यह जानकारी दी गई। बताया गया कि जनसंख्या के आधार पर सभी 13 जिला पंचायतों में अनुसूचित जाति व ओबीसी के लिए दो-दो सीटें आरक्षित हो सकती हैं। शेष नौ सीटें सामान्य होंगी। यह भी जानकारी दी गई कि जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह जिला पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख पदों के लिए जिले की जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का निर्धारण किया जाएगा।
इसके अलावा क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान पदों पर आरक्षण के लिए ब्लाक की जनसंख्या को आधार माना जाएगा। त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) में अनुसूचित जाति के लिए 18 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए चार प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है। पूर्व में ओबीसी आरक्षण के लिए 14 प्रतिशत की सीमा तय थी, जिसे अब खत्म कर दिया गया है। ओबीसी आरक्षण का ही नए सिरे से निर्धारण होना है। यद्यपि, ये साफ किया गया है कि एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं नहीं होगा। इस परिदृश्य में जनसंख्या के मानक के आधार पर कुछ पंचायतों में ओबीसी आरक्षण की सीमा अब 28 प्रतिशत तक जा सकती है, जबकि कुछ में शून्य भी हो सकती है।