La Nina Effect : उत्तराखंड में शायद पहली है कि मानसून की विदाई की बेला में ऐसी बरसात हुई है। मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि यह ला नीना का प्रभाव है। इसके कारण उत्तराखंड में जमकर बारिश हो रही है। ज्यादा बारिश से लोगों को परेशानी तो हो ही रही है साथ में खेती भी प्रभावित हो रही है। सबसे ज्यादा असर आवागमन पर पड़ा है। कई रास्ते बह गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग तक बंद करने पड़ गए हैं। पहाड़ से बोल्डर गिर रहे हैं। कुछ रास्ते तो बेहद खतरनाक हो गए हैं। देहरादून से लेकर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि विदाई की बेला में मानसून को इस तरह बरसते नहीं देखा है। यह बारिश अब डराने लगी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी अफसरों के साथ बैठक कर दिशा-निर्देश दे रहे हैं। चारधाम समेत कई जगहों पर तीर्थ यात्री फंसे हैं।
चीन सीमा को जोड़ने वाली धारचूला-तवाघाट सड़क दूसरे दिन भी नहीं खुल सकी। इस कारण दो दिन से 50 से अधिक कैलाश यात्री धारचूला में फंसे हैं। पिथौरागढ़ की दारमा, व्यास घाटियों में सीजन का पहला हिमपात हुआ। टनकपुर में भारी बारिश के चलते किरोड़ा और बाटनागाढ़ नाला उफान पर आने से पूर्णागिरि मार्ग बाधित हो गया। बागेश्वर में बारिश से दो मकान क्षतिग्रस्त हो गए। इसके अलावा मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया है।
चंपावत में मूसलाधार बारिश से टनकपुर- पिथौरागढ़ एनएच गुरना संतोला के पास बंद होने से बड़ी संख्या में वाहन फंसने से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सेना के जवान समेत कई यात्रियों ने जान जोखिम में डालकर पहाड़ी से गिर रहे मलबे को पार किया। अल्मोड़ा जिले में बारिश के कारण सल्ट-अल्मोड़ा मार्ग सर्वाधिक प्रभावित हुआ। मोहान के पास छोटे पुल का पिलर हिल जाने से भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है। छोटे वाहनों को रोक-रोक कर निकाला जा रहा है। दन्यां क्षेत्र में सड़क में कटाव हो जाने के कारण वाहनों को सावधानी पूर्वक निकाला गया।
चमोली सर्वाधिक प्रभावित, 93 सड़कें बंद
गढ़वाल मंडल में बारिश और भूस्खलन से राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग, बार्डर रोड से लेकर ग्रामीण मोटर मार्ग समेत 93 मार्ग बंद हैं। इसमें सबसे अधिक प्रभावित चमोली जिला है। यहां पर 29 ग्रामीण मोटर मार्ग, एक राज्य मार्ग और एक मुख्य जिला मार्ग बंद है। टिहरी में 17, रुद्रप्रयाग में 15, पौड़ी गढ़वाल में 13, देहरादून में आठ और उत्तरकाशी में छह मार्ग बंद हैं। मार्ग बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा। वहीं लोक निर्माण विभाग के अनुसार, बाढ़ और बारिश से अब तक 50 पुलों को नुकसान पहुंचा है। इसमें 15 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि 35 पुल आंशिक क्षतिग्रस्त हैं। लोनिवि ने मागों, सेतुओं और भवनों को पूर्व की स्थिति में लाने के लिए 35,008.67 लाख खर्च होने का अनुमान लगाया है। विभिन्न विभागों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 15 जून से अब तक इस मानसूनी सीजन में 72 से ज्यादा लोगों की प्राकृतिक आपदाओं में मौत हो गई है।
वरुणावत पर्वत के नीचे बसे लोग पर खतरा बरकरार
बीते 27 अगस्त को वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था। इसके बाद यहां रुक-रुककर दो से तीन बार बोल्डर व मलबा गिर चुका है। तीन सितंबर को बारिश में ही रात के समय पर्वत से भूस्खलन की तेज आवाज ने लोगों को डराया था। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने करीब 32 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए नोटिस जारी किए। प्रशासन की हिदायत पर कई परिवार घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर रहने चले गए थे। जो परिवार अभी तक यही पर हैं उनके ऊपर खतरा मंडरा रहा है।
LIVE: देहरादून में उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का निरीक्षण
https://t.co/ABvM0vXpRi— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 13, 2024
क्या है ला नीना?
यह प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है। ऐसी घटना जिमसें तेज हवाएं समुद्र की सतह पर गर्म पानी उड़ाती है। ला नीना के कारण भारत में मानसून पर असर पड़ता है। आमतौर ज्यादा बारिश होती है। उत्तराखंड में ला नीना का प्रभाव चरम पर है जिससे पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव हो गया है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक बारिश होने की संभावना है। किसानों को धान की फसल की सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का मिजाज बदला है।