अफ्रीका के करीब 13 देशों में तबाही मचा रहा Monkeypox Virus का एक मामला देश में आया है। इससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। लोगों को कोरोना की बुरी यादें ताजा होने लगीं हैं। सबके दिमाग में अहम सवाल यह है कि क्या यह कोरोना की तरह तबाही मचाएगा? या समय रहते इसपर काबू पा लिया जाएगा। हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ कहते हैं कि यह कोरोना की तरह महामारी का रूप नहीं लेगा। लेकिन, सावधानी की जरूरत है। हालांकि, जिस युवक में इस वायरस की पुष्टि हुई है, वहां किस देश आया है? किस राज्य का है इस बात का खुलासा नहीं किया गया है। फिलहाल उसे मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए निर्धारित किए गए दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में आइसोलेट किया गया है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) भी पूर मामले को देख रही है। WHO ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। इसे ग्रेड-3 में रखा गया है। यानी तत्काल ध्यान देनी की जरूरत। साल में दूसरी बार विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करना पड़ा है।
बतादें कि कई देशों में पहले से ही बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए भारत पहले से ही अलर्ट पर है। दिल्ली में मंकीपॉक्स से संबधित मरीजों के इलाज के लिए लोक नायक अस्पताल, बाबा साहब आंबेडकर सहित एक अन्य अस्पताल में विशेष वार्ड बनाए हैं। इनके अलावा एम्स और सफदरजंग में भी कक्ष आरक्षित हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने सभी केंद्र शासित और राज्यों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। आइए जानते हैं कि क्या है मंकीपॉक्स? कैसे करें बचाव आदि…
क्या है Monkeypox Virus
वैज्ञानिकों ने 1958 में पहली बार मंकीपॉक्स वायरस की पहचान की थी। दरअसल, एमपॉक्स वायरस उसी परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक होता है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक, यह वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के त्वचा या मुंह या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह संक्रमण कपड़ों या लिनेन जैसी दूषित वस्तुओं के उपयोग, टैटू की शॉप, पार्लर या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कॉमन इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं से फैल सकती है। साथ ही जिस जानवर को यह संक्रमण हो वह किसी को काट लेता है या खरोंच लेता है तो भी फैलने की संभावना रहती है।
क्या है लक्षण
मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर दाने पड़ जाते हैं। यह दाने हाथ, चेहरे, छाती, मुंह या जननांगों के आसपास हो सकते हैं। मवाद से भरे यह दाने ठीक होने से पहले पपड़ी बनाते हैं। इसके अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों के दर्द शामिल हैं।
21 दिनों के भीतर दिखने लग जाते हैं लक्षण। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 1 से 17 दिनों तक इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसके बाद लक्षण तेजी से उभरते हैं। एमपॉक्स का कोई अलग इलाज नहीं है। दुनिया में कुछ टीके हैं जो इससे बचाव करते हैं। विश्वस्वास्थ्य संगठन ने कुछ टीकों की सिफारिश भी की है। हालांकि, कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है।
घबराए नहीं, बचाव करें
हालांकि, देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सीधा संपर्क के इस संक्रमण की होने की संभावना काफी कम है इसलिए यह महामारी का रूप लेगा इसकी संभावना बेहद कम है। फिर भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए। मीडिया से बातचीत में नई दिल्ली स्थित एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे बताते हैं- इस संक्रमण की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर अब भी अधिक है, लेकिन संक्रमण केवल करीबी संपर्कों के मामलों में ही संभव है। इसलिए प्रभावित देशों से यात्रा कर लौटे लोगों की विशेष निगरानी की आवश्यकता है।