Kedarnath Byelection: भाजपा ने केदारनाथ विधानसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा है। भाजपा की आशा नौटियाल ने 5099 वोटों से कांग्रेस के मनोज रावत को हरा दिया है। यहां भाजपा को 43.22 प्रतिशत तो कांग्रेस को 33.69 प्रतिशत मत मिले। आशा को कुल 23130 मत मिले। वहीं, मनोज रावत को 18031 वोट हासिल हुए।
इसी के साथ भाजपा मुख्यालय में जश्न का दौर शुरू हो गया। कार्यकर्ता ढोल-नगाड़ों के साथ सड़कों पर नाचना शुरू कर दिया है। उधर, कांग्रेस खेमे में मायूसी है। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन ने सबको चौंका दिया। तीसरे स्थान पर रहे त्रिभुवन ने 9266 मत हासिल किए।
भाजपा की उम्मीदों पर आशा खरी उतरीं। प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी केदारनाथ विधानसभा की सीट पर भाजपा ने कब्जा बरकरार रखा। इस उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन ने सबको चौंका दिया। साथ ही कांग्रेस के मनोज रावत उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके। यह सीट पार्टी की विधायक शैला रानी रावत के निधन से खाली हुई थी। इसके बाद से कई लोग इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे थे। स्व. शैला रानी की बेटी ऐश्वर्या भी इस सीट के लिए जोर आजमाइश कर रही थी लेकिन परिवार के सदस्य को सीट देने के बजाय भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक आशा नौटियाल को तरजीह दी। भाजपा का यह दांव काम कर गया।
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत जनता की जीत है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केदारनाथ में हो रहे विकास कार्यों की जीत है: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी#KedarnathbyeElection#UttarakhandElection#PmNarendraModi#KedarnathDevelopment#BypollResult pic.twitter.com/ELgIV8RmLr
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) November 23, 2024
केदारनाथ सीट के धार्मिक महत्व को देखते हुए यह सीट भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गई थी। बीते लोकसभा चुनाव में अयोध्या में हुई हार की टीस अब तक भाजपा को खलती है। विपक्ष अब तक इसे मुद्दा बनाए हुए है। साथ ही बद्रीनाथ उपचुनाव भी भाजपा नहीं जीत पाई। यही कारण है कि वह केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को गंभीरता से ले रही थी।
सीएम धामी ने संभाली थी कमान
पार्टी की गंभीरता का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद इस कमान संभाले थे। सीट रिक्त होने के बाद ही वह लगातार केदारनाथ के लोगों से संवाद बनाए रखे। यहां तक कहा था कि जब तक नया विधायक नहीं चुना जाता है वह ही यहां के विधायक हैं। साथ ही ताबड़तोड़ योजनाओं को मंजूरी दीं। वर्षों पुरानी लंबित मांगों को पूरा किया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे भाजपा को काफी फायदा मिला है।
टिकट पर हुई थी माथापच्ची
भाजपा की ओर से इस सीट पर कुलदीप रावत, कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) दावेदार थे। साथ ही दिवंगत विधायक की पुत्री ऐश्वर्या रावत और धर्मपुत्र जयदीप बर्त्वाल ने भी मुखर दावेदारी की थी। सियासी हलको में चर्चा थी कि अगर ये सब बगावती तेवर अख्तियार करते हैं भाजपा के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। लेकिन, पार्टी ने इन सबको मनाने में सफल रही। यही कारण है कि भाजपा यहां से जीत दर्ज की।
पहले विधानसभा चुनाव में आशा ही जीती थीं
बतादें कि राज्य गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में केदारनाथ सीट से भाजपा से आशा नौटियाल ने ही जीत दर्ज की थी। दूसरा चुनाव भी वही जीती थीं। कांग्रेस ने पहली बार यहां से 2012 में अपना खाता खोला था। तब शैलारानी रावत ने आशा नौटियाल को पराजित किया।वर्ष 2017 में यहां भाजपा को फिर हार का सामान करना पड़ा और पार्टी चौथे स्थान पर रही। तब भाजपा ने शैलारानी रावत पर दांव खेला, जिससे आशा नौटियाल बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरी। लेकिन दोनों महिला उम्मीदवार हार गईं और कांग्रेस के मनोज रावत विधायक चुने गए।
वर्ष 2022 में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। भाजपा की शैलारानी रावत निर्दलीय कुलदीप रावत को पराजित कर दूसरी बार विधायक चुनी गई। इस वर्ष शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विस में उपचुनाव हुआ। यहां एक बार फिर भाजपा ने बाजी मार ली।