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    Home»ओपिनियन»क्या अवैध खनन बिगाड़ रहा देवभूमि का स्वरूप, खनन सचिव के दावे और हकीकत!
    ओपिनियन

    क्या अवैध खनन बिगाड़ रहा देवभूमि का स्वरूप, खनन सचिव के दावे और हकीकत!

    खड़िया माइनिंग ने बागेश्वर का क्या हाल कर दिया है, यह किसी से छिपा नहीं है। हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ गया। ऊधमसिंह नगर में भी अवैध खनन पर हाईकोर्ट चिंता जता चुका है। कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। कुल मिलाकर मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
    teerandajBy teerandajMarch 30, 2025Updated:April 1, 2025No Comments
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    उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में उत्तराखंड के चार जिलों में हो रहे अवैध खनन का मुद्दा दूसरी बार संसद में उठाया। इसके बाद राज्य में खलबली मच गई। राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। भाजपा सरकार के लिए यह असहज करने वाली स्थिति रही। क्योंकि यह मुद्दा पार्टी के ही सांसद, पूर्व सीएम रह चुके त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उठाया था। इसके बाद अधिकारियों ने कुछ आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि अवैध खनन नहीं हो रहा है। हमारा राजस्व बढ़ा है। सवाल यह है कि क्या राजस्व बढ़ना यह साबित करता है कि अवैध खनन नहीं हो रहा है? बागेश्वर जिले को ही लें। खड़िया माइनिंग ने जिले का क्या हाल कर दिया है। यह किसी से छिपा नहीं है। हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ गया। बागेश्वर ही नहीं, ऊधमसिंह नगर में भी अवैध खनन पर हाईकोर्ट चिंता जता चुका है। कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।

    27 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में कहा कि उत्तराखंड के चार जिलों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि सरकारी राजस्व को भी हानि पहुंच रही है। देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून में रात के समय अवैध खनन में लगे ट्रक धड़ल्ले से चल रहे हैं। इस कारण हादसे भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा, स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के कारण यह हो रहा है। उन्होंने मांग की कि रात के समय ट्रकों के संचालन पर रोक लगाई जाए। साथ ही इस मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाए। उन्होंने अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करने की मांग की थी।

    इसके बाद खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने बयान जारी कर दावा किया कि खनन से होने वाला राजस्व पिछले वर्षों की तुलना में इस साल सबसे अधिक रहा है। उन्होंने कहा कि अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए सरकार ने टेक्नोलॉजी और टास्क फोर्स का सहारा लिया है, जिससे चोरी का खनन रुका है और राजस्व में इजाफा हुआ है। संत ने कहा, आज तक जब भी वित्त विभाग ने टारगेट दिया, हमने उसे न केवल पूरा किया, बल्कि 200 करोड़ रुपये ज्यादा सरप्लस राजस्व जुटाए। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, शेर कभी कुत्तों का शिकार नहीं करते। पूर्व सीएम का बयान खनन सचिव बृजेश कुमार संत के राजस्व बढ़ने के दावे के बाद आया। इसके अलावा पूर्व सीएम ने कहा, मेरे बयान के दो घंटे के भीतर ही क्या जांच पूरी हो गई। क्या वह खनन माफिया से मिले तो नहीं हैं?

     

    प्रश्न काल के दौरान आज संसद में देहरादून-हरिद्वार-नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में रात्रि के समय अवैध रूप से संचालित खनन ट्रकों के बेहद ही गंभीर और संवेदनशील विषय की और सरकार का ध्यान आकर्षित किया| pic.twitter.com/zrZWOsKgEh

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) March 28, 2025

    इसके बाद राज्य की सियासत गरमा गई। कांग्रेस ने भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान को लपकते हुए धामी सरकार पर हमला बोल दिया। उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि कांग्रेस यह मुद्दा लंबे समय से उठा रही थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर मुहर लगाई है। हरिद्वार में गेट नंबर एक और दो पर 18 लाख रुपये के घोटाले का मामला सामने आ चुका है। दो कर्मचारियों पर कार्रवाई कर बाकी को बचा लिया गया है। उनके बयान में दम नहीं होता है इस तरह प्रतिक्रिया नहीं आती। इस मामले में मैं त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हूं। उन्होंने भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता नीति पर सवाल भी उठाया। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो-दो बार यह मुद्दा संसद में उठाया है। केंद्र और राज्य सरकार आंख में अंगुली डाल कर बैठी हुईं हैं। नदियां खुद रही हैं।

    पूर्व सीएम के बयान के निहितार्थ क्या थे, इस बात को छोड़ दें। उत्तराखंड में माइनिंग के काम में अनियमितता की बात से शायद ही कोई इत्तफाक न रखता हो। क्योंकि जनवरी महीने में नैनीताल हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले में खनन पर रोक लगा दी थी। कारण, कुछ ग्रामीणों की शिकायत थी कि उनके घरों में दरार पड़ने लगी है। ग्रामीणों का आरोप तो यहां तक था कि डीएम और प्रशासन के कई अधिकारियों से शिकायत भी की गई थी। लेकिन, उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना था कि पहले खड़िया खनन से क्षेत्रवासियों को रोजगार मिलता था, लेकिन अब अधिक धन कमाने के लिए खुदान मालिक मशीनों से खुदाई कर रहे हैं। इस कारण घरों, मंदिरों, पहाड़ियों और स्कूलों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। यदि अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई तो बागेश्वर जिले के हालात जोशीमठ की तरह हो सकते हैं। इस बाबत कई समाचार पत्रों में खबरें छपीं। इसी का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मामले में सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में कोर्ट कमिश्रनर भी नियुक्त किया था। कोर्ट कमिश्नर जो रिपोर्ट दी उसके मुताबिक खड़िया खनन करने वालों ने वनभूमि के साथ सरकारी भूमि में भी नियम विरुद्ध खनन किया है। पहाड़ी दरकने लगी है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यही नहीं, एक हजार साल पुराना कालिका मंदिर भी इससे प्रभावित हुआ है। खड़िया खनन करने के कारण पूरा जिला आपदा की जद में आ गया है। यहां खनन पर रोक अब तक जारी है। हाईकोर्ट ने सरकार व विपक्षियों को नोटिस जारी कर 19 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है।

    इसके अलावा 28 मार्च को नैनीताल हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर के बाजपुर में कोसी नदी के बख्सी गेट, दीपक गेट व अन्य स्थानों पर हो रहे अवैध खनन पर संबंधित एसएचओ को संज्ञान लेने व मशीनों को सीज करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा था कि अवैध खनन में संलिप्त लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चार अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई में रिपोर्ट दी जाए। ऊधमसिंह नगर के एसएसपी को कहा कि याचिकाकर्ता को अगर धमकी मिल रही है तो उनकी जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

    ऊधम सिंह नगर के सुल्तानपुर पट्टी निवासी सलीम अहमद ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि जिले के बाजपुर में कोसी नदी में बिना पट्टा आवंटित हुए अवैध खनन किया जा रहा है। अवैध खनन की जद में आ रहे पानी को पम्पों से दूसरी जगह डाला जा रहा है, ताकि उनको खनन में कोई दिक्कत न हो। इसकी वजह से नदी का जल स्तर नीचा गिर रहा है और उनकी कृषि भूमि प्रभावित हो रही है। यही नहीं जंगली जानवर व जलीय जीव भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए इसपर रोक लगाई जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह क्षेत्र कृषि क्षेत्र घोषित है। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद रविवार को बागेश्वर में स्टोन क्रशर से 26 डंपर जब्त कर लिए।

    खनन सचिव कुछ भी दावा करें लेकिन हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों और प्रशासन की कार्रवाई से सवाल उठ रहे हैं । ऐसा नहीं होता तो बागेश्वर, ऊधमसिंह नगर में प्रशासन को कार्रवाई नहीं करनी पड़ती। राजस्व बढ़ा है, इससे यह साबित नहीं होता कि अवैध खनन नहीं हो रहा है। उत्तराखंड जैसे राज्य में अवैध खनन से नदियों-पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इस पर भी अध्ययन की जरूरत है। कुल मिलाकर इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

    अवैध खनन त्रिवेंद्र सिंह रावत
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