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    Home»दुनिया भर की»50 साल से कम उम्र वालों में बढ़ रहा Prostate Cancer का खतरा
    दुनिया भर की

    50 साल से कम उम्र वालों में बढ़ रहा Prostate Cancer का खतरा

    चिंताजनक : प्रख्यात शोध जर्नल 'लैंसेट' के एक हालिया रिसर्च पेपर की मानें तो भारत में 2040 तक प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने होकर हर साल 71 हजार तक पहुंच जाएंगे।
    teerandajBy teerandajNovember 17, 2024No Comments
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    Prostate Cancer जैसी बीमारी के बारे में माना जाता है कि ये आम तौर पर बुजुर्गों में विकसित होती है, लेकिन भारत में अब 50 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। यही नहीं, देरी से पता चलने के कारण यह जानलेवा भी साबित हो रहा है। अगर समय पर पता चल जाए तो आसानी से इसका इलाज संभव है। प्रख्यात शोध जर्नल ‘लैंसेट’ के एक हालिया रिसर्च पेपर की मानें तो भारत में 2040 तक प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने होकर हर साल 71 हजार तक पहुंच जाएंगे। अभी इस बीमारी के 33 हजार से 42 हजार नए मामले सामने आते हैं।

    यह भी पढ़ें : ठगी का हाईटेक जाल… यहां समझिए A TO Z और बचने के उपाय 

    विशेषज्ञों के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह महानगरीय जीवनशैली है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महानगरीय क्षेत्रों में रहने वाले 35 से 44 वर्ष आयु वर्ग के पुरुष इसकी चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को इसका पता चलने में काफी देर लग जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 100,000 की आबादी में 4-8 मामले आते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर के मामलों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है वहीं पिछले 25 सालों में शहरी आबादी में प्रोस्टेट कैंसर 75-85 फीसदी बढ़ा है।

    यह भी पढ़ें :   Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार पिछले एक दशक में प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़े हैं लेकिन पश्चिमी देशों की तुलना में दो-तीन गुना कम हैं। हालांकि, ये डेटा हर अस्पताल से नहीं लिया जाता है। ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर के मौजूदा मामलों में से कहीं ज्यादा हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर के मामले इसलिए भी कम आते हैं क्योंकि स्क्रीनिंग प्रोग्राम नहीं है इसलिए पता ही नहीं चल पाता लेकिन पश्चिमी देशों में ज्यादा स्क्रीनिंग होती है। हालांकि, इससे कितनी मौत हुई है इसका आकलन करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इससे होने वाली मौत की रिपोर्टिंग कम होती है।

    जेनेटिक बीमारी

    डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो जेनेटिक भी होती है यानी अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर है तो आशंका बनी रहती है कि सदस्यों को कैंसर हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि अगर किसी परिवार में प्रोस्टेट कैंसर या कोई अन्य कैंसर है तो जांच करा लेनी चाहिए। अगर परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर रहा है तो परिवार के पुरुष सदस्यों को 45 वर्ष के बाद हर दो साल में पीएसए की जांच करवा लेनी चाहिए।

    • ऐसे समझें खतरे को…
    • 65 फीसदी प्रोस्टेट कैंसर के मरीज गंवा देते हैं जान
    •  37,948 भारतीय पुरुष साल 2022 में इसकी चपेट में आए।
    •  03 फीसदी है देश में कैंसर के कुल 14 लाख मामलों का

    प्रौद्योगिकी ने आसान किया इलाज
    रोबोटिक सर्जरी और सटीक विकिरण जैसी चिकित्सा प्रौद्योगिकी ने प्रोस्टेट कैंसर का इलाज काफी हद तक आसान कर दिया है। इम्यूनोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा और कीमोथेरेपी जैसी आधुनिक उपचार विधियां मरीजों को नया जीवन दे रही हैं।
    जागरूकता से रुक सकती हैं मौतें
    विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता बढ़ाकर इसके कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका में जागरूकता की वजह से ही 80 फीसदी मरीजों का सही समय पर इलाज हो जाता है जबकि 20 फीसदी देर से जान पाते हैं। लेकिन भारत में आंकड़े उलट हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुरुषों को पेशाब में कठिनाई, बार-बार पेशाब आने, मूत्र या वीर्य में खून आने कूल्हों और पीठ में दर्द जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

    देश                         कुल मामले                                               प्रतिशत (1 लाख की जनसंख्या में)
    1 अमेरिका                230,125                                                          75.2
    2 चीन                       134,156                                                           9.7
    3 जापान                   104,318                                                          50.1
    4 ब्राजील                   102,519                                                          76.3
    5 जर्मनी                     65,269                                                           54.2
    6 फ्रांस                      57,357                                                            82.3
    7 इंग्लैंड                     55,485                                                           74.0
    8 रूस                       52,712                                                            47.4
    9 इटली                     38,180                                                            49.5
    10 भारत                    37,948                                                           5.6
    दुनिया                       1,467,854                                                       29.4
    स्रोत : वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल

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