विवाह के समय जब सात फेरे लिए जाते हैं तो हर फेरे के साथ इक-दूजे को एक वचन दिया जाता है। हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाने का वचन। यहां एक अनचाहा साथ निभाना पड़ रहा है। हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि अगर पति-पत्नी में किसी को High Blood Pressure की बीमारी है तो दूसरे साथी को उच्च रक्तचाप की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। एमोरी यूनिवर्सिटी अटलांटा और जार्ज इंस्टीट्यूट दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा भारतीय जोड़ों पर किए गए अध्ययन में यह बातें सामने आईं हैं। बात तो विचित्र है लेकिन महत्वपूर्ण है।
शोध में बताया गया है कि अगर दंपती में किसी को भी यह समस्या है तो दूसरे साथी को यह बीमारी होने की समस्या बढ़ जाती है। शोध के मुताबिक, अगर महिला उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो उसके पति को हाई बीपी की समस्या होने की संभावना 32 फीसदी बढ़ जाती है। वहीं, दूसरी ओर पुरुष को उच्च रक्तचाप है तो पत्नी को यह बीमारी होने की 37 प्रतिशत की संभावना हो जाती है। दरअसल, पति-पत्नी की साझा जीवनशैली दोनों के स्वास्थ्य को बराबर प्रभावित करती है। यह अध्ययन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों पर आधारित है।
136432 जोड़ों पर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 136432 जोड़ों के स्वास्थ्य आंकड़ों के अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। सटीक परिणाम के लिए शोधकर्ताओं ने एक सर्वे का भी सहारा लिया। इसमें दंपतियों से कई सवाल पूछे गए। साथ ही व्यक्तिगत व घरेलू कारको पर भी विचार किया गया।
अध्ययन की खास बातें
- सर्वे के मुताबिक 29.1 प्रतिशत पति और 20.6 पत्नियां उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।
- सर्वे में पाया गया कि 40 से कम उम्र की महिलाओं में उच्च रक्तचाप की आशंका 55 फीसदी से अधिक पाई गई।
- सर्वे में यह भी पाया गया कि 40 से कम उम्र की वो महिलाएं जिनके पति उच्च् रक्तचाप से पीड़ित हैं उनमें भी हाई बीपी की आशंका ज्यादा पाई गई।
इस सर्वे से यह साबित होता है कि विवाह के बाद साझा जीवनशैली से दंपती का स्वास्थ्य प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि दंपतियों को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शोध में यह बात भी सामने आई है कि निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में उच्च रक्तचाप की बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है।
High Blood Pressure क्या है?
उच्च रक्तचाप (High blood pressure) या (हाइपरटेंशन) एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो रक्त के दबाव को बढ़ाती है। यह दिल, शरीर के अन्य भागों और खून के प्रवाह को बढ़ा देती है।
शरीर के अंदर खून का दबाव 120/80 mmHg होता है। यह सामान्य है। इससे ज्यादा होने पर हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है। ब्लड प्रेशर दो तरीकों से मापा जाता है, सिस्टोलिक प्रेशर और डायस्टोलिक प्रेशर। उच्च रक्तचाप को 130 एमएमएचजी या उससे अधिक के सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग या 80 एमएमएचजी या उससे अधिक के डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग के रूप में किया गया है। उदाहरण के लिए, जब ब्लड प्रेशर 120/80 होता है, तो सिस्टोलिक प्रेशर 120 होता है और डायस्टोलिक प्रेशर 80 होता है।
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हाई बीपी के लक्षण
हाई ब्लड प्रेशर या हाई बीपी के लक्षण आमतौर पर अस्थायी होते हैं और ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या की शुरुआत होने से पहले कुछ लोगों को कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को हाई ब्लड प्रेशर के आम लक्षण महसूस होने लगते हैं। यह लक्षण लंबे समय तक नहीं बने रहते हैं और जब तक व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की वजह से गंभीर समस्याओं में नहीं होता है, तब तक यह लक्षण अस्थायी होते हैं।
हर व्यक्ति में हाई ब्लड प्रेशर के संकेत अलग अलग होते है। इनमें से कुछ लक्षण हैं-
सिरदर्द (Headache)
धुंधली दृष्टि
श्वास में तकलीफ
नाक से खून बहना
सीने में दर्द
कानों में घंटी बजना
खून से भरी उल्टी
नाक से अधिक बहता हुआ पानी
याददाश्त कमजोर होना
नींद नहीं आना
नाक से बहुत ज़्यादा खून बहना