उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से कैंसर मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। हर वर्ष करीब बाहर हजार मामले सामने आ रहे हैं। चिंताजन बात यह है कि लाइलाज बीमारी हर साल छह हजार से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। इस बीच Swami Ram Cancer Hospital अस्पताल के विस्तार की खबर ने इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सुकून पहुंचाया है। केंद्र सरकार ने अस्पताल के विस्तार को मंजूरी दे दी है। संस्थान के विस्तार के लिए 103.65 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। साथ ही 250 पद सृजित किए जाएंगे। यह अस्पताल 196 बेडों को होगा। चिकित्सा क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि अस्पताल बन जाने के बाद राज्य के लोगों को काफी सहूलियत होगी।
Central Govt has given in-principle approval for the expansion of Swami Ram Cancer Hospital in Haldwani. Ministry of Forest and Environment has given permission to cut 44 trees here. After this, the way for expansion of the hospital has become easier: Uttarakhand Health Secretary
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 12, 2024
उत्तराखंड में अब तक एक भी स्तरीय कैंसर अस्पताल नहीं था। यहां के मरीजों को मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों की दौड़ लगानी पड़ती थी। राज्य में कुछ अस्पताल हैं लेकिन, वहां पर सभी प्रकार की जांचें व उपचार की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा यहां पर भीड़ भी काफी होती है। इसके बनने के बाद प्रदेश के रोगियों को एक ही अस्पताल में सभी प्रकार की जांचें व उपचार की सुविधा मिलने लगेगी। बताया जा रहा है कि अस्पताल का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। अस्पताल के लिए उच्च स्तरीय मशीनों की खरीद प्रक्रिया चल रही है। उपकरणों की खरीद पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यहां पर मरीजों और उनके तीमारदारों के ठहरने के लिए 141 बेड का रेन बसेरा भी बनाया जाएगा।
प्रदेश में फेफड़ों के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा
चिंताजनक बात यह है जिस राज्य को स्वास्थ्यवर्धक हवाओं के लिए जाना जाता है, वहां पर पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले सबसे ज्यादा आए हैं। इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा और डिम्बग्रंथि के कैंसर का नंबर है। चिकित्सकों के मुताबिक, देश में कैंसर के लगभग 40% मामले तंबाकू की वजह से होते हैं। खराब आहार और शारीरिक गतिविधि की कमी से 10% मामले होते हैं। अगर कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए, तो उसके ठीक होने की संभावना 90% तक होती है।
दो साल पहले लोकसभा में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की रिपोर्ट के हवाले से जो आंकड़े पेश किए थे वह उत्तराखंड के लिए डराने वाले थे। 2018 में उत्तराखंड में 10932 कैंसर के मामले सामने आए थे। 2020 तक कैंसर के मामले बढ़कर 11482 मामले हो गए। यह संख्या चार से पांच फीसद की दर से बढ़ रही है। इतना ही नहीं राज्य में हर साल छह हजार से अधिक लोगों की मौत की वजह कैंसर बन रहा है।
उत्तराखंड में कैंसर के मामले
वर्ष 2018 2019 2020
मामले 10,932 11,216 11482
मौतें 6,028 6,184 6,337
हिमालयी राज्यों में कैंसर के मामले
राज्य 2018 2019 2020
उत्तराखंड 10,932 11,216 11,482
हिमाचल 8,412 8,589 8,799
जम्मू और कश्मीर 12,071 12,396 12,726
अरुणाचल प्रदेश 991 1,015, 1,035
सिक्किम 437 443 445
नागालैंड 1,684 1,719 1,768
मणिपुर 1,803 1,844 1,899
मिजोरम 1,742 1,783 1,899
मेघालय 2,741 2,808 2,879
स्रोत : राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट
शराब, बीड़ी व सिगरेट बड़े कारण
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि पर्वतीय राज्य में पुरुषों में बीड़ी, सिगरेट व शराब का सेवन कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। उनकी राय में शराब के साथ बीड़ी-सिगरेट कैंसर की संभावना को कई गुना बढ़ा देती है। उनकी राय में मिलावटी खानपान व फास्ट फूड का सेवन भी कैंसर की मुख्य कारणों में से हैं। इसके कारण कम आयु के लोगों में भी कैंसर के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।