27 मार्च को लैंसेट एचआईवी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के बड़े देशों जैसे-अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और नीदरलैंड की ओर से HIV वायरस की फंडिंग में कटौती करने के कारण अगले पांच सालों में यानी 2030 तक एक करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही 30 लाख लोगों की मौत भी हो सकती है। ये पांच देश इस मद में 90 फीसदी से ज्यादा योगदान देते हैं। इस फंड की मदद से जागरूकता कार्यक्रम के साथ उपचार भी किया जाता है। बतादें कि दुनिया के प्रमुख देश इस मद में आठ से 70 फीसदी फंड की कटौती की घोषणा की है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में बर्नेट इंस्टीट्यूट की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन में 2026 तक वैश्विक एचआईवी फंडिंग में अनुमानित 24 प्रतिशत की कमी के प्रभाव का मॉडल बनाया गया है। इसी आधार पर यह अनुमान लगाया गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर अमेरिका और ब्रिटेन सहित शीर्ष पांच दाता देशों द्वारा प्रस्तावित फंडिंग कटौती को कम नहीं किया जाता है तो अनुमान है कि 2025 और 2030 के बीच बच्चों और वयस्कों में करीब 44 लाख से 1.8 करोड़ अतिरिक्त नए एचआईवी संक्रमण और 30 लाख मौतें हो सकती हैं। बर्नेट इंस्टीट्यूट की सह-अध्ययन लेखिका डॉ. डेबरा टेन ब्रिंक का कहना है कि अमेरिका ऐतिहासिक रूप से एचआईवी के उपचार और रोकथाम के वैश्विक प्रयासों मेंसबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है, लेकिन अब अपने हाथ खींच रहा है। अगर यह देखते हुए अन्य देश भी इस फंड में कटौती करते हैं तो दशकों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
अफ्रीकी देशों में अधिक असर
अध्ययन में बताया गया है कि यह फंडिंग रुकने से अफ्रीकी देशों पर बुरा असर पड़ेगा। ये देश वर्तमान में अन्य देशों के मुकाबले इस संक्रमण से ज्यादा पीड़ित हैं। यहां पर हाशिए पर रहने वाले समूह एचआईवी संक्रमण का सामना कर रहे हैं। ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोग, यौनकर्मी और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष, साथ ही बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
संस्थान के सह-लेखक डॉ. रोवन मार्टिन-ह्यूजेस ने अध्ययन में बताया है कि परीक्षण और उपचार कार्यक्रमों को सीमित करने के अलावा, अफ्रीकी देशों में कई कार्यक्रम बंद करने पड़ेंगे। जैसे-कंडोम वितरित करना और प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी – एक दवा, जो एचआईवी होने के जोखिम को कम करती है) बांटना आदि। ब्रिंक ने अध्ययन में कहा कि फंडिंग रोकने का परिणाम विनाशकारी हो सकता है। यहां खतरा सिर्फ अफ्रीकी देशों पर नहीं है। अगर एक बार इसका फैलाव फिर से शुरू हो गया तो दुनिया भर में इसे तेजी पकड़ने में देर नहीं लगेगी।
ट्रंप ने रोकी सभी सहायता
20 जनवरी को शपथ लेने के साथ ही ट्रंप ने एचआईवी फंडिंग अमेरिका की ओर से दी जाने वाली सहायता रोक दी। अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक योगदान देने वाला था। इसकी खूब आलोचना भी की गई। लेकिन, अपने स्वाभाव के अनुरूप ट्रंप ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अध्ययन में खुलासा किया गया है कि एड्स राहत के लिए राष्ट्रपति की आपातकालीन योजना (पीईपीएफएआर) के नुकसान के साथ-साथ अन्य फंडिंग कटौती के कारण अब 2030 तक वैश्विक स्वास्थ्य संकट के रूप में एचआईवी/एड्स को समाप्त करने की दिशा में प्रगति उलटने का खतरा है। यानी, दुनिया भर में यह संक्रमण तेजी से फैल सकता है।