High court ने उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड में हुई करोड़ों रुपये की अनियमतताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हुई। जिसमें खेल सचिव अमित सिन्हा से 24 घंटे के भीतर हल्द्वानी व देहरादून स्पोर्ट्स स्टेडियम को खोलने को कहा गया। मामले की अगली सुनवाई जुलाई प्रथम सप्ताह में रखी है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा है कि उत्तराखंड में आज तक आईपीएल का एक भी मैच क्यों नहीं कराया गया। अदालत ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) से अपेक्षा कि है कि जल्द ही देहरादून और हल्द्वानी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर और आईपीएल के मैच कराएं जाएंगे।
शुक्रवार को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड में अनियमितताओं के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह बात कही। एकलपीठ ने कहा कि देहरादून और हल्द्वानी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बने हैं। सरकार और सीएयू के बीच एमओयू किया जाए ताकि एसोसिएशन अपनी गतिविधियों को इन स्टेडियमों में संचालित कर सके, क्रिकेट का विकास हो और क्रिकेटर बनने के इच्छुक बच्चों को यहां ट्रेनिंग मिल सके। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड बैठक कर उपाध्यक्ष के लिए निर्वाचन कर सकती है। देहरादून निवासी संजय रावत और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने अनियमितता के खिलाफ लोकपाल के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
पूर्व में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने 27 अप्रैल 2025 को सीएयू की विशेष आम बैठक के लिए नोटिस पेश किया जो 19 मई 2025 को 11 बजे आयोजित की जानी थी। इसमें कहा गया था कि कई कार्य किए जाएंगे, जैसे 11 फरवरी 2025 को आयोजित पिछली वार्षिक आम बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि करना, उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव (एक पद), नए सदस्य को शामिल करने पर चर्चा करना आदि। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि याचिका 2022 से लंबित है और आज तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है। प्रतिवादियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट की अन्य बेंच ने 26 मार्च 2025 को एक आदेश दिया था जिसके तहत राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने तथा यह बताने का निर्देश दिया गया था कि यदि संज्ञान का मामला बनता है तो एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। इस आदेश के बावजूद अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष लोकपाल की ओर से 15 मई 2025 को पारित आदेश भी पेश किया गया जिसके तहत याचिकाकर्ता की सदस्यता भी रद्द कर दी गई।