आपको यह जानकर अचरज होगा कि दुनिया में करीब 40 देशों में भांग की खेती की जाती है। यह अलग बात है कि नशे के लिए नहीं बल्कि इसका इस्तेमाल व्यावसायिक होता है। अब उत्तराखंड में भी भांग की कुछ किस्मों की खेती की जाएगी। सगंध पौधा केंद्र (कैप) सेलाकुई इस पर शोध कर रहा है। उत्तराखंड में उगने वाली भांग की सभी किस्मों के बीज इकट्ठे किए जा चुके हैं। इसमें ट्रेटा हाइड्रो कैनाबिनॉल (टीएचसी) की मात्रा का पता लगाया गया। इसके अलावा भांग की जिन बीजों में टीएचसी की मात्रा 0.3 से कम है। उन बीज से नई किस्म तैयार की जा रही है। जिसके तने से फाइबर और बीज का इस्तेमाल मसाले, चटनी, बेकरी व अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में किया सकेगा। बतादें कि ट्रेटा हाइड्रो कैनाबिनॉल ही वह रासायनिक तत्व है जिसके कारण नशा होता है। भांग की कई किस्मे ऐसी होती हैं जिनमें नशा नहीं होता है। इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका, चीन जैसे देश भी इसकी खेती करते हैं। यह चिकित्सा क्षेत्र के अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी काम आता है।
बतादें कि प्रदेश में कई वर्षों से भांग की कुछ किस्मों के बीज और रेशे का पारंपरिक इस्तेमाल होता है। जैसे साबुन, लिनोलियम, पेंट और वार्निश आमतौर पर भांग के बीज के तेल से तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा ग्लूकोमा और कैंसर के उपचार, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने वाली दवाओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक साक्ष्य सामने नहीं आया है कि यह कितना कारगर होता है। खास बात यह भी कि दुनिया के करीब 40 देशों में भांग की किस्म औद्योगिक हैंप की व्यावसायिक खेती होती है। त्रिवेंद्र सरकार के समय उत्तराखंड ने भी औद्योगिक हैंप की व्यावसायिक खेती की शुरुआत के लिए कदम बढ़ाए थे। ट्रायल के तौर पर कई लोगों को औद्योगिक हैंप की खेती के लिए लाइसेंस भी दिए थे। दुरुपयोग रोकने के लिए नियमावली बनाने का काम किया। लेकिन, इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पद से हट गए इसके बाद यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
यही वजह है कि अभी तक राज्य में बड़े स्तर पर औद्योगिक हैंप की खेती शुरू नहीं हो पाई। औद्योगिक हैंप की उपयोगिता और मांग को देखते हुए सगंध पौध केंद्र के सेलाकुई फार्म में नई किस्म तैयार की जा रही है। जिसके बाद नई किस्म में टीएचसी मात्रा की जांच व अन्य मानकों को परखा जाएगा। जानकारों का कहना है कि अगर इसकी खेती की शुरुआत हो जाती है तो यहां के किसानों को काफी फायदा होगा। क्यों कि इसका व्यावसायिक इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर किया जाता है।
40 देशों में भांग की खेती और व्यापार
प्रदेश की जलवायु औद्योगिक भांग की खेती के बेहद अनुकूल है। लेकिन अभी हैंप को प्रदेश में व्यावसायिक रूप नहीं मिला है। विश्व के 40 देशों में हैंप की खेती और व्यापार किया जा रहा है। इसमें प्रमुख देश अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, डेनमार्क, चीन, थाईलैंड,ब्राजील, चीन शामिल हैं।
हैंप के फाइबर का ऑटोमोबाइल व फर्नीचर में होता है इस्तेमाल
औद्योगिक हैंप के तने से फाइबर तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, टैक्सटाइल व पेपर बनाने में किय जाता है। साथ ही इसके बीज से स्नैक्स फूड, सूप, चटनी, मसाला, बेकरी, पास्ता, चॉकलेट, पेय पदार्थ, एनर्जी ड्रिंक, जूस बनाने में किया जाता है।
36 लोगों को मिला है लाइसेंस
प्रदेश में औद्योगिक हैंप की खेती के लिए देहरादून, पौड़ी, बागेश्वर, चंपावत, चमोली, अल्मोड़ा जिले में आबकारी विभाग के माध्यम से 36 को लाइसेंस दिए गए हैं। मीडिया से बातचीत में सगंध पौध केंद्र के निदेशक नृपेंद्र सिंह चौहान बताते हैं- औद्योगिक हैंप की नई किस्म तैयार करने पर शोध किया जा रहा है। प्रदेश भर से एकत्रित किए बीज से पौधे तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें टीएचसी की मात्रा 0.3 से कम होगी। जल्द ही सगंध पौध केंद्र को इसमें कामयाबी मिलेगी।