देश के प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालय GB Pant University के वैज्ञानिक पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में रूस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर शोध करेंगे। पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में यह एक बड़ी उपलब्धि है। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी पहुंची चार सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। अगले कुछ दिन में रूस के कुछ और विश्वविद्यालयों से भी इस तरह के करार के लिए बातचीत होनी है।
रूस से डॉ. चौहान ने teerandaj.com की टीम को बताया कि यह कदम अभूतपूर्व है। इसके परिणाम दूरगामी और देश के लिए बेहद फायदेमंद साबित होंगे। एमओयू के तहत जीबी पंत विश्वविद्यालय के छात्र, फैकेल्टी तथा वैज्ञानिक सेंट पीटर्सबर्ग रिसर्च एंड अकादमी जाएंगे और वहां हो रहे शोधों का अध्ययन करेंगे। वहीं सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय के छात्र एवं फैकल्टी तथा वैज्ञानिक जी.बी. पंत यूनिवर्सिटी पंतनगर में आएंगे। यहां जो भी अकादमिक और रिसर्च में एडवांस कार्य हो रहा है, उसके बारे में जानकारी लेंगे। दोनों विश्वविद्यालय अपनी रिसर्च तकनीक का समय-समय पर आदान-प्रदान करेंगे, जिससे वेटरनरी एंड एनिमल साइंस में विकास होगा। इसके साथ-साथ आपस में कल्चरल एक्सचेंज भी होगा।
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी में डॉ. चौहान ने पशु चिकित्सा क्षेत्र में देश की उपलब्धियां गिनाईं। क्लोनिंग में उनके प्रयोगों के बारे में जानकार रूस के वैज्ञानिक भी हतप्रभ दिखे। सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के रेक्टर प्लेम्याशोव क्रिसिलवी ने कहा कि भारत के साथ यह करार मील का पत्थर साबित होगा। बेहद खुशी है कि हमें प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ शोध करने का मौका मिलेगा। दोनों देशों के लिए यह मौका बेहद खास है। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां सराहनीय है। इससे पहले कुलपति डॉ. चौहान ने विवि में हुए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। एनिमल क्लोनिंग, ओवम-पिक-अप तकनीक, जीन कैरेक्टरेराइजेशन, वैक्सीन उत्पादन के बारे में बताया।
डॉ. चौहान ने कहा कि इस एमओयू के परिणाम शानदार आएंगे। इससे जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय को काफी लाभ होगा। वीसी ने बताया कि भारत में विकसित हैंड- गाइड क्लोनिंग तकनीक विशेष रूप से सराही गई है। बतादें कि डॉ. चौहान के नेतृत्व में ही क्लोनिंग की तकनीकी विकसित की गई है। सेंट पिटर्सबर्ग विश्वविद्यालय भारत में विकसित क्लोनिंग की तकनीकी को अपना कर अपने यहां मांस प्रोडक्शन में लाना चाहती है।
इस प्रतिनिधिमंडल में अंतरराष्ट्रीय मामलों के निदेशक डॉ. शिवा प्रसाद, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डॉ. केपी रावेरकर और विभागाध्यक्ष पशुचिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार विभाग डॉ. एससी त्रिपाठी शामिल हैं। इस मौके पर सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के कोंसुल एंड हेड ऑफ चांसरी निर्मेश कुमार शोध में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।
गाय-भैंस की क्लानिंग के लिए विख्यात डॉ. चौहान के आने के बाद पंतनगर विश्वविद्यालय ने कई संस्थाओं के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। दो माह पहले भी कानपुर आईआईटी के साथ भी कृषि प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए करार किया गया था। डॉ. चौहान कहते हैं, मैं अपनी टीम को हमेशा कहता हूं कि नया क्या कर रहे हो। नवाचार से ही छात्रों को लाभ मिलेगा। यूनिवर्सिटी आगे बढ़ेगी। इसका परिणाम भी दिख रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान विश्व स्तरीय रेटिंग में पंत विवि 50 स्थान ऊपर आया है। इसके अलावा पंत विवि में दलहन की सात नई किस्मों की खोज की गई। इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 17 नवंबर, 1960 को इसकी शुरुआत की थी। तब इसका नाम उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय था। वर्ष 1972 में इसका नाम महान स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर किया गया। यह विश्वविद्यालय भारत में हरित क्रांति का अग्रदूत माना जाता है।