देश में खाद्य पदार्थों का वैज्ञानिक मानक तय करने वाली संस्था उच्चतम खाद्य नियामक फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने बोतल बंद पानी को उच्च जोखिम श्रेणी में डालने का फैसला किया है। इसके लिए वह अपनी निरीक्षण नीति में संशोधन किया है। 29 नवंबर 2024 को इस आशय का आदेश जारी किया है। अब बोतलबंद यानी पैक्ड वाटर की सप्लाई करने वाली कंपनियों पर सख्त नियामक नियंत्रण और सालाना निरीक्षण अनिवार्य किए गए हैं।
इसके मुताबिक, कंपनियों की साल में एक बार जांच होगी। पानी की क्वालिटी चेक के लिए यह काम किया जाएगा। एफएसएसएआई के इस नए आदेश से इन उत्पादों के निर्माताओं के लिए अनिवार्य जोखिम निरीक्षण, निगरानी और तीसरे पक्ष के ऑडिट के अधीन करने का रास्ता भी खुल गया है।
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यह फैसला अक्टूबर में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर सहित कुछ प्रोडक्ट के लिए अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन को हटाने के बाद लिया गया है। बीआईएस भारत में कई उद्योगों में मानकों के विकास और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। बतादें कि, कुछ उत्पादों के प्रमाणन की चूक के परिणामस्वरूप यह निर्णय लिया गया। मीडिया से बातचीत में FSSAI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि BIS को हटाने से एक नियामक अंतर पैदा हो गया था, जिससे नियामक को सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई। इसलिए नीति में संशोधन किया।
पहले आठ समूह थे रिस्क वाले
हाई रिस्क नीति में किए गए नवीनतम बदलाव से पहले FSSAI ने 8 समूहों को उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थों के रूप में वर्गीकृत किया था। इसमें- डेयरी उत्पाद, मांस और पोल्ट्री उत्पाद, मछली और मछली उत्पाद, अंडे, तैयार खाद्य पदार्थ, सभी प्रकार की भारतीय मिठाइयां, पोषक तत्व और विशेष पोषण के लिए बनाए गए खाद्य पदार्थ शामिल थे।
पैक्ड वाटर इंडस्ट्री में 80% हिस्सा असंगठित क्षेत्र का
ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, भारतीय बोतलबंद पानी का बाजार 2023 में लगभग 3,790 मिलियन डॉलर का था और 2030 तक 8,922 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अनुसार, देश में इस उद्योग का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा असंगठित है। यह सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है। अब ग्रामीण इलाकों तक इस उद्योग की पहुंच हो गई। हालांकि, शहरी इलाकों में ही इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है।
BIS में रह जाती थीं खामियां
खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि BIS प्रमाणीकरण को आमतौर पर स्पेसिफाइड स्टैंडर्ड्स के पालन के रूप में देखा जाता है। लेकिन दूषित होने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। BIS ने पैक्ड ड्रिंकिंग पानी की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इंडियन स्टैंडर्ड (IS) 14543 विकसित किया था। इस मानक में उत्पादन, पैकिंग और वितरण के विभिन्न पहलुओं के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे।भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR-NIN) के एक खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि अभी तक पैक्ड पानी के लिए वही पुराने नियम थे। लेकिन, FSSAI का यह कदम मुख्य रूप से बेहतर निगरानी करेगा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नए नियम की सराहना की
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने FSSAI के इस कदम की सराहना की है। इनका कहना है कि बहुत समय से लोग प्लास्टिक की पानी की बोतल से पानी पी रहे हैं। जिससे माइक्रो प्लास्टिक शरीर के अंदर जा रहा है। माइक्रो प्लास्टिक लोगों के ब्रेन में भी जा रहा है। इसलिए FSSAI ने जो भी नए नियम बनाए हैं इसको तुरंत लागू करने की जरूरत है। बोतलबंद पानी को लेकर समय-समय पर विशेषज्ञों की ओर से चेताया गया है। पहले भी यह बात सामने आई है कि। लोगों की याददाश्त कमजोर हो रही है। कई तरह की बीमारियां हो रही है। इससे हार्ट डिजीज , कैंसर जैसी बड़ी बीमारियां होती है। माइक्रो प्लास्टिक के सेहत पर पड़ने वाले असर को लेकर भी कई तरह की रिसर्च हुई हैं। इनमें बताया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक ब्रेन तक को नुकसान पहुंचाता है।