उत्तराखंड में शिक्षा विभाग दावे तो बड़े-बड़े करता है। मगर, Education in Uttarakhand की हकीकत स्याह है। सरकारी और अशासकीय विद्यालयों की हालत किसी से छिपी नहीं है। लापरवाही का आलम यह है कि नया सत्र शुरू हुए दो महीने बीत चुके हैं मगर अभी तक बच्चों को कई विषयों की पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। वहीं, शिक्षक वेतन के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक से गुहार लगा रहे हैं। ऐसे हालात में बच्चों की पढ़ाई कैसे होती होगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
विभाग की ओर से सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं को सत्र की शुरुआत में पाठ्य पुस्तकें मिल जानी चाहिए थी। लेकिन, हाल यह है कि अब तक आधी-अधूरी पाठ्य पुस्तकें ही मिल पाई हैं। खासकर अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के छात्र कई विषयों की पाठ्य पुस्तकों के इंतजार में हैं। देहरादून के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में कक्षा नौ में अग्रेजी की दो में से एक भी पुस्तक नहीं मिली हैं। यही हाल विज्ञान की पुस्तक का है।
दसवीं में विज्ञान 11वीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान 12 वीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की एक भी पुस्तक नहीं मिली है। यह हाल राजधानी देहरादून का है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूरदराज के पर्वतीय जिलों में क्या स्थिति होगी। इन विद्यालयों के शिक्षकों के मुताबिक 12वीं भूगोल की तीन पाठ्य पुस्तके हैं तीन में से दो ही मिली हैं। जिन विषयों की पुस्तक मिली हैं इनमें एक विषय की पुस्तक छात्र संख्या के हिसाब से कम है। इसी तरह गणित में दो में से एक पुस्तक मिली है। यह भी कम है।
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उधर, प्रदेश के कुछ अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों को तीन कुछ को छह महीने से वेतन नहीं मिला है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ इस मामले को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट से मिला। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष स्वतंत्र मिश्रा के नेतृत्व में शिक्षा निदेशक से मिले शिक्षकों ने कहा कि टिहरी व रुद्रप्रयाग जिलों के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। जबकि, श्री गुरुनानक बालिका इंटर कॉलेज रुद्रपुर जिला उधमसिंह नगर की शिक्षिकाएं एंव कर्मचारी पिछले छह महीने से वेतन के इंतजार में हैं। बागेश्वर और टिहरी के अशासकीय विद्यालयों का हाल भी कमोबेश यही है।