स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि एंटीबायोटिक अपना असर खोते जा रही है। लेकिन, भारतीय वैज्ञानिकों की अथक मेहनत का नतीजा है कि जिन कारणों से एंटिबायोटिक्स बेअसर हो रही थी, उसकी दवा बना दी गई है। यानी, Superbug के कारण एंटीबायोटिक बेअसर हो रही है। अब उसका भी इलाज उपलब्ध होगा।
मेडिकल जर्नल लैंसेट के मुताबिक, एंटीबायोटिक प्रतिरोधी ‘सुपरबग्स’ के कारण साल 2021 में दुनियाभर में 11 लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी। साल 2019 में ही इस तरह के एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण के कारण 3 लाख मौतें हुई थीं। हर साल लगभग 60 हजार नवजातों की मौत का कारण भी यही है।
एंटीबायोटिक्स को गंभीर संक्रमण से बचाव के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, इनमें से अधिकांश मामलों में एंटीबायोटिक्स बेअसर साबित हुईं। बतादें कि भारत उन देशों में शामिल है जो एंटीमाइक्रोबायल रजिस्टेंस से बुरी तरह प्रभावित है। दरअसल, लंबे समय तक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के कारण बैक्टीरिया खुद को उसी हिसाब से ढाल लेते हैं। बैक्टीरिया आमतौर पर बीटा-लैक्टामेज जैसे एंजाइम्स पैदा करते हैं, जो एंटीबायोटिक्स को बेअसर कर देते हैं। परिणामस्वरूप उन पर एंटीबायोटिक्स का कोई असर नहीं पड़ता है।
मगर, अब उम्मीद की किरण दिखी है। भारत की दो कंपनियों ने दवा विकसित करने का दावा किया है। दावा है ये दवाएं एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण से निपटने में कारगर होंगी। पहली कंपनी चेन्नई की ऑर्किड फार्मा है। इस दवा का नाम एनमेटाजोबैक्टम है। यह पहली एंटीमाइक्रोबायल है, जिसका आविष्कार भारत में हुआ है। अच्छी बात यह है कि इसे यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने स्वीकृति दे दी है। यह इंजेक्टेबल ड्रग है, जो यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई), निमोनिया और रक्त प्रवाह संक्रमण जैसे रोगों का इलाज करेगी। यह दवा बैक्टीरिया की बजाय बैक्टीरिया के रक्षा तंत्र को टारगेट करके बीमारी का इलाज करेगी। एनमेटाजोबैक्टम इस तरह के एजाइम्स पर लगाम कसकर उनको बेअसर कर देती है, ताकि एंटीबायोटिक्स प्रभावी ढंग से बैक्टीरिया को खत्म कर सके।
19 देशों में हुआ ट्रायल
एनमेटाजोबैक्टम का 19 देशों में ट्रायल किया गया है। यह सफल रहा। इस दवा को ग्लोबल रेग्युलेटर्स द्वारा भी स्वीकृति मिल चुकी है।
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दूसरी दवा- जैनिच
दूसरी दवा नाम जैनिच है। इसका परीक्षण मुंबई की कंपनी वोकहार्ट कर रही है। इसे विकसित करने में 25 साल से ज्यादा समय लगा है। फिलहाल इस दवा के परीक्षण का तीसरा चरण चल रहा है। अगले साल इस दवा के लॉन्च होने की उम्मीद है। डॉक्टर हबीब खोराकीवाला वोकहार्ट के फाउंडर चेयरमैन हैं। मीडिया को उन्होंने बताया कि यह दवा एक नई तरह की एंटीबायोटिक है, जिसे सभी प्रमुख सुपरबग्स से लड़ने के लिए बनाया गया है। उन्होंने बताया कि देश में 30 गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर इस दवा का परीक्षण किया गया। जिन पर कोई भी एंटीबायोटिक्स असर नहीं कर रही थी। उल्लेखनीय तौर पर सभी बच गए।
यह निमोनिया के जीवाणु के लिए तीन दिन का ओरल ट्रीटमेंट है, जिसका सक्सेस रेट 97 फीसदी है। जबकि, इस बीमारी के लिए मौजूदा उपचारों की प्रतिरोधक क्षमता 60 फीसदी है। अगले साल इस दवा का परीक्षण पूरा हो जाएगा। कहा जा रहा है कि अगले साल के अंत तक दवा को बाजार में उतार दिया जाएगा। इसके अलावा बंगलूरू की बायोफार्मा फर्म बगवर्क्स रिसर्च भी जिनेवा के एक गैर-लाभकारी संस्थान जीएआरडीपी यानी ग्लोबल एंटीबायोटिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ ऐसी दवा को विकसित कर रही है।
अगली महामारी होगी सुपरबग्स
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, सुपरबग्स से अकेले अमेरिका में हर साल 28 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। इनमें से 35,000 से ज्यादा की मौत हो जाती है। लैंसेट की एक स्टडी में अनुमाना जताया गया था कि 2050 तक सुपरबग्स से करीब 40 मिलियन मौतें हो सकती हैं। दरअसल, सुपरबग का वास्ता जर्म्स है, जो माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं। मतलब बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के नए स्ट्रेंस। जब कोई बैक्टीरिया, पैथोजेन या वायरस एंटीबायोटिक्स और दूसरे एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के खिलाफ रेजिस्टेंस बना लेता है तो सुपरबग बन जाता है। इसस पर दवाइयों का असर नहीं होता है, इसलिए इलाज ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
सुपरबग्स क्यों बढ़ रहे हैं
मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और दुरुपयोग की वजह से सुपरबग्स में बढ़ोतरी हुई है। पशु पालन में अनुपयुक्त टीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल, सेल्फ मेडिकेशन और गलत प्रिस्क्रिप्शन के चलते ऐसा हो सकता है। बहुत ज्यादा गंदगी में रहने की वजह से भी इस तरह के जर्म्स का इंफेक्शन का खतरा रहता है। खाने को साफ-सफाई से न पकाया जाए या पैक किया जाए तो बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं। अगर इंफेक्शन का समय पर इलाज न कराया जाए तो इसके बढ़ने का खतरा रहता है। साथ ही शरीर में मौजूद पैथोजन खुद की संख्या को बढ़ाते जाते हैं।