जम्मू कश्मीर के डोडा में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच चल रहे एनकाउंटर ( Doda Encounter) में उत्तराखंड के बेटे ने अपना बलिदान दिया है। भारतीय सेना की 48 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात कैप्टन दीपक सिंह एक QRT यानी क्विक रिएक्शन टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जो डोडा के अस्सर इलाके में छिपे आतंकियों की तलाशी के लिए अभियान चला रही थी।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उधमपुर में 13 अगस्त की शाम करीब छह बजे सुरक्षाबलों को आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। QRT के इलाके में पहुंचने के कुछ देर बाद ही मुठभेड़ शुरू हो गई। कुछ आतंकी उधमपुर जिले के पटनीटॉप के पास के जंगल से डोडा में घुस आए थे । सुरक्षाबलों ने रातभर में इलाके को चारों ओर से घेर लिया। 14 अगस्त की सुबह फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान सुबह 7.30 बजे एक बार फिर से आतंकवादियों और जवानों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में कैप्टन दीपक सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के लिए उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इस मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने एम4 राइफल, गोला-बारूद, और अन्य रसद सामग्री भी बरामद की।
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, एनकाउंटर में 1 आतंकी मारा गया है, 3 को जवानों ने घेर रखा है। एनकाउंटर अभी भी जारी है। 16 जुलाई को भी डोडा के डेसा इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान एक कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हुए थे।
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मूल रूप से रानीखेत और वर्तमान में देहरादून के रहने वाले कैप्टन दीपक सिंह महज 25 साल के थे और 13 जून 2020 को सेना में कमीशन हुए थे। वह एक शानदार हॉकी खिलाड़ी भी थे। शहीद दीपक के पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस से रिटायर हैं। वह पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और बीती मार्च में ही वीआरएस लिया था। मां चंपा देवी गृहणी है। पूर्व में उनका परिवार पुलिस लाइन रेसकोर्स में रहता था, लेकिन तीन साल पहले कुंआवाला स्थित विंडलास रिवर वैली में शिफ्ट हो गया। कैप्टन दीपक दो बहनों के इकलौते भाई थे। वह सबसे छोटे थे। उन्होंने सेंट थॉमस स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की थी। तीन महीने पहले ही उनकी छोटी बहन ज्योति की शादी हुई थी, जिसमें शामिल होने के लिए कैप्टन दीपक देहरादून आए हुए थे। अब तिरंगा में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा। बताया जा रहा है कि शहीद कैप्टन दीपक के माता—पिता केरल गए हुए हैं, क्योंकि केरल में उनकी बड़ी बहन मनीषा रहती है। बेटे की शहादत की खबर मिलते ही माता—पिता केरल से देहरादून के लिए लौट गए हैं। देर रात तक उनके पहुंचने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। जम्मू में 3000 से अधिक सेना के जवान और बीएसएफ के 2000 जवान तैनात किए गए हैं। इसके अलावा असम राइफल्स के करीब 1500-2000 जवान भी तैनात किए जा रहे हैं।