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    Home»अतुल्य उत्तराखंड»Uttarakhand में फिल्मिंग इकोसिस्टम के विकास पर किया गया मंथन
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    Uttarakhand में फिल्मिंग इकोसिस्टम के विकास पर किया गया मंथन

    teerandajBy teerandajJune 26, 2025No Comments
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    देहरादून के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में Uttarakhand में फिल्मिंग इकोसिस्टम के विकास पर मंथन किया गया। फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज लोगों ने अपनी राय रखी। यह कार्यशाला नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) और उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद (UFDC) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। फिल्म उद्योग से जुड़े प्रमुख निर्माता, नीतिगत विशेषज्ञ, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। चर्चा का केंद्र बिंदु राज्य में फिल्म निर्माण हेतु नीतिगत सुधार, अवसंरचना विकास और प्रतिभा संवर्धन रहा। यूएफडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बंशीधर तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं भारत सरकार के मार्गदर्शन में उत्तराखंड को फिल्म निर्माण हब के रूप में स्थापित करने के प्रयास जारी है। उन्होंने बताया कि राज्य के कम चर्चित स्थलों पर शूटिंग करने पर कुल लागत का 5% अतिरिक्त प्रोत्साहन सब्सिडी दी जाती है। साथ ही उत्तराखंड में स्थानीय कलाकारों को काम देने वाले निर्माताओं को भी विशेष सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में एकल स्क्रीन सिनेमा हॉल की स्थापना के लिए ₹25 लाख की एकमुश्त सब्सिडी की व्यवस्था भी की गई है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में सिनेमा हॉल की संख्या बढ़ाना है। UFDC स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं, कलाकारों, संसाधनों और परिवहन सुविधाओं की एकीकृत सूची तैयार कर रहा है ताकि फिल्म निर्माताओं को राज्य में काम करने में आसानी हो।

    यूएफडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बंशीधर तिवारी ने बताया कि एनएफडीसी के सहयोग से राज्य का अपना फिल्म फेस्टिवल और उत्तराखण्ड राज्य फिल्म पुरस्कार शुरू करने पर गंभीरतापूर्वक कार्य किया जा रहा है। साथ ही, क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को ओटीटी मंचों तक पहुंचाने के लिए प्रसार भारती के WAVES OTT से समन्वय स्थापित किया जाएगा। शिल्पा राव, निदेशक (फिल्म्स), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि भारत को वैश्विक सिनेमा हब के रूप में विकसित करने की दिशा में गुणवत्तापूर्ण कंटेंट, प्रतिभा और तकनीक को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसीलिए भारत सरकार ने वेव्स समिट किया । वेव्स बाज़ार डॉट कॉम पर फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोग अपने लिए अवसर देख सकते हैं। इंडियन सिने हब का एकीकृत पोर्टल फ़िल्म निर्माताओं के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन है। उन्होंने कहा कि आज मोबाइल स्क्रीन पर व्यक्तिगत रूप से फिल्में देखने का चलन बढ़ा है, ऐसे में समुदाय स्तर पर सामूहिक फिल्म प्रदर्शन की संस्कृति को पुनर्जीवित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कम लागत वाले सिनेमा हॉल को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है , जिससे ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में समुदाय-आधारित फिल्म देखना बढ़े।

    महाप्रबंधक एनएफडीसी अजय ढोके ने एनएफडीसी के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। बैठक में इंडियन सिने हब के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली फ़िल्म सब्सिडी सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी । यूएफडीसी के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने उत्तराखण्ड की नवाचारपूर्ण फिल्म नीति पर एक विशेष प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने “प्रतिभा, प्रशिक्षण और तकनीक” को उत्तराखण्ड के फिल्म निर्माण मॉडल के तीन आधार स्तंभ बताते हुए कहा कि हम केवल बाहरी निर्माताओं को ही नहीं, बल्कि स्थानीय कहानीकारों और तकनीशियनों को भी मंच देना चाहते हैं जिससे क्षेत्रीय सिनेमा को नई ऊर्जा मिले।

    डॉ. उपाध्याय ने नीति के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं जैसे उत्पादन सब्सिडी, लोकेशन पर सहयोग, फिल्म संस्थानों की स्थापना, मल्टीप्लेक्स और सिनेमा स्क्रीन के निर्माण, तथा वन एवं सार्वजनिक स्थलों पर फिल्मांकन के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की भी जानकारी साझा की। इंडिया सिने हब के सहायक वाईस प्रेसिडेंट श्री राम कुमार विजयन ने ‘इंडियन सिने हब’ पोर्टल की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह मंच राज्य सरकारों, केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय नोडल अधिकारियों से अनुमतियां प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकीकृत और सरल बनाता है। उन्होंने पोर्टल पर उपलब्ध समग्र संसाधन निर्देशिका की भी जानकारी दी।

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