Delhi Election Result : भाजपा ने आखिरकार 27 साल बाद दिल्ली में कमल खिलाने में कामयाबी हासिल कर ली है। खास बात यह है कि चुनाव में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया हार गए। भाजपा के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 3182 वोटों से हरा दिया। वहीं, तरविंदर सिंह मारवाह ने मनीष सिसोदिया को 675 वोटों से हरा दिया। इसके साथ ही भाजपा में अब सीएम सीएम फेस कौन होगा इसपर चर्चा शुरू हो गई। हालांकि, कहा जा रहा है कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा प्रबल दावेदार हैं।
जीत के बाद प्रवेश वर्मा अब केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। इससे उनकी दावेदारी को बल मिल रहा है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि केजरीवाल को हराने के बाद प्रवेश वर्मा सीएम पद के प्रबल दावेदारों में शामिल हो गए हैं। वैसे भी नई दिल्ली सीट का इतिहास रहा है कि इस सीट से चुनाव जीतने वाले सीएम बनता है। शीला दीक्षित, अरविंद केजरीवाल इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। कुछ सियासी जानकार कहते हैं कि भाजपा इस मामले में चौंकाने वाला निर्णय लेती है। इसलिए कुछ कहना जल्दबाजी होगा।
कालकाजी विधानसभा सीट से सीएम आतिशी चुनाव जीत गई हैं। आतिशी ने यहां बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी को हराया। आतिशी ने बीजेपी उम्मीदवार को करीब 4 हजार वोटों से हराया। इस सीट पर खूब उतार चढ़ाव देखने को मिला।
आम आदमी पार्टी को भारी पड़ा शराब घोटाला
शराब घोटाला आम आदमी पार्टी को भारी पड़ गया। भाजपा ने इसे चुनावों में खूब भुनाया। इस घोटाले के कारण अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय सिंह समेत कई आप नेता जेल भी गए। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इसे भाजपा की साजिश बताने में पीछे नहीं रही। लेकिन, दिल्ली की जनता को यह लग गया कि कहीं न कहीं दाल में काला है। इसके अलावा पानी का मुद्दा, यमुना की सफाई भी आम आदमी पार्टी को भारी पड़ी।
सबसे बड़ी ताकत बनी कमजोरी
दिल्ली के चुनाव में पहले फ्री बिजली और पानी की चर्चा होती थी लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस तीनों ही दलों की ओर से लगभग एक जैसे वादे किए गए। महिलाओं के खाते में एक निश्चित रकम डालने की बात हो या फ्री बिजली-पानी की बात हो। अब ऐसे में जनता के सामने वादों के लिहाज से लगभग एक जैसे विकल्प थे। अब ऐसे में सवाल उठता है कि फिर अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली की जनता ने क्यों भरोसा नहीं किया।
अरविंद केजरीवाल की जो सबसे बड़ी ताकत थी वह सबसे बड़ी कमजोरी में बदल गई। अरविंद केजरीवाल जिस बात को डंके की चोट पर कहते थे कि उनकी ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं खड़े कर सकता। शराब घोटाला, शीशमहल ये दो ऐसी बड़ी बातें है जिसके बाद दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल की बातों पर विश्वास करना कम कर दिया। इस चुनाव में दिल्ली की जनता ने विश्वास तो नहीं ही किया बल्कि उनसे नाराज भी हो गई। फ्री बिजली-पानी… इसकी शुरुआत भले ही अरविंद केजरीवाल ने की हो लेकिन जब वही वादे दूसरे दलों ने कर दिए तब भी केजरीवाल आगे होते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जनता ने उनकी बातों पर यकीन नहीं किया।