देहरादून के दून विश्वविद्यालय में आयोजित Defence Literature Festival के पहले दिन सशस्त्र बलों के दिग्गजों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमांत गांवों की स्थिति, डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव और सेना में आध्यात्म जैसे विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी। पहले दिन हुए सत्रों के दौरान पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लेखकों द्वारा सेना पर लिखी गई किताबों पर चर्चा की गई।
पहले सत्र में मेजर (रिटा.) मानिक एम जौली ने अपनी किताब ‘कुपवाड़ा कोड्स’का जिक्र करते हुए कहा कि सैन्य ऑपरेशनों की कहानियां लोगों के बीच लाना जरूरी है क्योंकि उन्हें नहीं पता होता है कि किसी एक ऑपरेशन के लिए कितनी लंबी तैयारी और रणनीति लगती है। लेफ्टिनेंट जरनल (रिटा.) एके सिंह ने अपनी किताब ‘बियांड द बैटलफील्ड’पर चर्चा के दौरान सेना में आध्यात्म की जरूरत बताते हुए कहा कि यह सैनिक को अंदर से मजबूत बनाता है। उन्होंने कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेश का हवाला देते हुए कहा कि अगर सैनिक यह समझ ले कि वह शरीर नहीं आत्मा है, तो उसके अंदर से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और उसे कोई नहीं हरा सकता। आध्यात्म से ही पता चलता है कि मैं कौन हूं। उन्होंने सैन्य बलों के लिए योग को अहम बताया।
आईएमए में अंग्रेजी की एचओडी प्रो. (डा.) रूबी गुप्ता ने 1962 के युद्ध से पूर्व के हालात और कई अनसुनी कहानियों का जिक्र किया। इस दौरान उनकी किताब ‘द सीक्रेट ऑफ लीफेंग पैगोडा’पर विशेष चर्चा की गई। इसके अलावा विंग कमांडर (रिटा.) अरिजित घोष की किताब ‘एयर वॉरियर्स’ पर चर्चा के दौरान वायुसेना के मिशनों की चुनौतियों पर बात की गई। इस सत्र को मेजर जरनल (रिटा.) अरविंद चतुर्वेदी ने संचालित किया। भारत की सुरक्षा के सम्मुख भविष्य की चुनौतियों पर पूर्व डीजीपी डा. अशोक कुमार और कोस्ट गार्ड के पूर्व एडीजी डा. के. आर. नौटियाल ने अपने विचार रखे। परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर धन सिंह थापा की बेटी मधुलिका थापा ने अपने पिता पर लिखी किताब ‘द वॉरियर गोरखा’के जरिये राष्ट्र के नायक की गौरवगाथा सुनाई।
मौजूदा दौर के सबसे अहम विषय डेमोग्राफी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के दौरान उत्तराखंड के सीमांत गांवों के हालात, चुनौतियों, देश में रोहिंग्याओं की मौजूदगी पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान आईएमए के पूर्व कमांडेंट लेफ्टिनेंट जरनल (रिटा.) जेएस नेगी और पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने अपने विचार रखे। इस सत्र का संचालन डा. कुलदीप दत्ता ने किया। पहले दिन के आखिरी सत्र में कर्नल (रिटा.) अजय कोठियाल ने छात्रों के साथ अपने सैन्य जीवन के अनुभवों को साझा किया। इस दौरान कई स्कूलों के एनसीसी कैडेट्स, दून डिफेंस ड्रीमर्स के बच्चों ने पूर्व सैन्य अधिकारियों से उनके अनुभव और सेना को लेकर सीधा संवाद किया। दूसरे दिन रविवार को एंबेसडर (रिटा.) सुजन चिनॉय भी लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा कई अन्य किताबों पर भी बात होगी।
दूसरे दिन का आकर्षण रहेगा ‘रिमैंबरिंग जनरल रावत’
थ्राइव संस्था की ओर से अर्जुन रावत ने बताया कि दूसरे दिन देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत पर एक विशेष सत्र होगा। इसके लिए जरनल रावत की बेटी तारिणी और परिवार के अन्य सदस्य देहरादून पहुंचे हैं। उन्होंने पहले दिन भी सभी सत्रों में हिस्सा लिया। जरनल रावत को समर्पित सत्र में दून विश्वविद्यालय की वीसी डा. सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहेंगी। यूनिवर्सिटी ने जरनल रावत की याद में एक चेयर स्थापित की है।
‘आई एम सोल्जर वाइफ’ का बेसब्री से इंतजार
सीडीएस जरनल रावत के साथ हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिद्दर की पत्नी गीतिका लिद्दर की किताब ‘आई एम सोल्जर वाइफ’ भी डिफेंस लिटरेचर फेस्टिवल के आकर्षण का केंद्र है। इस किताब की प्रस्तावना मौजूदा सेना प्रमुख ने लिखी है।