प्रत्येक मिनट में एक भारतीय अपने डेढ़ लाख रुपये गंवा रहा है। वर्ष 2019-20 के अनुपात में वर्तमान में Cyber Crime 85 फीसदी बढ़े हैं। साइबर अपराध के मामले में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है। रूस शीर्ष पर है। इसके बाद यूक्रेन, चीन, अमेरिका, नाइजीरिया, रोमानिया और उत्तर कोरिया हैं। साइबर एक्सपर्ट का अनुमान है कि 2025 के अंत तक भारत टॉप फाइव में शामिल हो जाएगा। यह आंकड़े साइबर क्राइम की भयावहता बयां करने के लिए काफी हैं।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) के अनुसार, भारत अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। भारत डिजिटलीकरण के समग्र स्तर पर जापान, यूके और जर्मनी जैसे विकसित देशों से आगे निकल गया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के मुताबिक, देश में 120 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर हैं। इंटरनेट यूजर की संख्या मार्च 2024 के अंत तक 95 करोड़ थी, जो संभवत 100 करोड़ पार कर चुकी होगी। खास बात यह है कि इंटरनेट यूजर में आधी संख्या ग्रामीण इलाकों से हैं। देश में इंटरनेट पहुंच हर 100 लोगों पर 67 हैं। ये सारे आंकड़ें सरकार की विभिन्न एजेंसियों के हैं। ये सारे आंकड़ें उत्साहित करने वाले हैं। लेकिन, एक बात जो कही जाती है, विकास और विनाश साथ-साथ चलते हैं। यहां भी ऐसा ही हुआ। जैसे-जैसे विकास होता गया, विनाश भी उसी रफ्तार से दौड़ता रहा। साइबर क्राइम मौजूदा दौर का सबसे बड़ा खतरा है, जो रोजाना अपना चेहरा-मोहरा बदल रहा है। ऑनलाइन ठगी के इतने अलग रूप सामने आ रहे हैं कि यह पहचान करना मुश्किल हो रहा है कि क्या खतरा है, क्या रियलिटी है। इसीलिए एक बात सभी साइबर एक्सपर्ट कहते हैं-साइबर क्राइम से बचाव का सबसे बड़ा हथियार जागरूकता है।
देवभूमि में साइबर अपराधियों ने जिस तरीके से रफ्तार बढ़ाई है, वो बेहद चिंताजनक हैं। बात साल 2020 से करते हैं। 2020 में 243 केस दर्ज किए गए थे। 2021 में यह बढ़कर 718 हो गए। इसके बाद 2023 में घटकर 559 हो गए। अब इसके बाद के आंकड़े पर गौर करिए। 2023 में 17 हजार केस दर्ज किए गए। 2024 में 24 हजार साइबर अपराध रिपोर्ट किए गए। यानी, 2023 और 2024 में अपराध हजारों गुना बढ़ गए। 2024 में लोगों ने 167 करोड़ रुपये साइबर ठगों के झांसे में आकर गंवाए। वहीं, 2023 में यह आंकड़ा 69 करोड़ रुपये था। इसमें से केवल सात करोड़ रुपये ही साइबर सेल बचा सकी। वहीं, 2024 में 29.5 करोड़ रुपये रिकवर किए गए थे।
साइबर ठगी के मामले में अपराधी पुलिस से कोसों आगे हैं। 2020-2022 के बीच देश के सभी राज्यों में रजिस्टर्ड 1.67 लाख मामलों में से केवल 2706 लोगों (1.6 %) को सजा दी गई। यानी, कंविक्शन रेट इतना कम है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। पुलिस किसी एक क्राइम ट्रेंड (तरीका) पर एडवाइजरी जारी करती उधर, अपराधी नया ट्रेंड पकड़ लेते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि यहां हर रोज एक नई चुनौती सामने आती है। ठगी के किसी मामले को यदि तुरंत पकड़ भी लिया जाए तो रकम रिकवरी करना बेहद मुश्किल होता है। इसे एक उदाहरण से समझिए- नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता के बेटे से 2.08 करोड़ की साइबर ठगी हुई। पहले यह रकम बरेली के आईसीआईसीआई बैंक, कोलकाता के एक्सिस बैंक और सिलीगुड़ी के यूको में जमा की गई। इसके बाद यह रकम 60 अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई। पुलिस जैसे-जैसे खातों को फ्रीज कराती गई, रकम दूसरे खातों में ट्रांसफर होती गई। 2.08 करोड़ रुपये में से महज 12 लाख रुपये के करीब ही पुलिस बैंक खातों में फ्रीज करा सकी। करीब आधी रकम तो दुबई के खातों में पहुंच गई। अब सोचिए, मंत्री के साथ जब ऐसा हुआ तो आम आदमी के साथ ठगी होने के बाद क्या होता होगा। यहां तो पूरी मशीनरी पूरा जोर लगा दी थी। लेकिन, ठगों को ट्रैक नहीं कर पाई। कुछ लोग पकड़े गए लेकिन, वह केवल मोहरे थे। यानी, वह लोग थे जिनका बैंक खाता इस्तेमाल किया गया था।
साइबर अपराध का दायरा
साइबर अपराध का दायरा काफी बड़ा है। इसमें आर्थिक फ्रॉड से लेकर गैर आर्थिक अपराध भी शामिल होते हैं। इसे तीन भागों में बांटकर समझते हैं-
1. व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध किए जाने वाला साइबर अपराध
साइबर बुलिंग – इंटरनेट, सोशल मीडिया, या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से किसी व्यक्ति को डराना, धमकाना, अपमानित करना, या परेशान करना है। इसमें अपमानजनक मैसेज भेजना, झूठी अफवाहें फैलाना, किसी की निजी जानकारी को सार्वजनिक करना, और अश्लील या धमकी भरे कमेंट्स करना शामिल हो सकता है। इसका शिकार बच्चे अधिक होते हैं।
साइबर स्टॉकिंग – कोई व्यक्ति तकनीक का उपयोग करके दूसरे व्यक्ति को डराने, परेशान करने, या नियंत्रण करने के लिए करता है। यह साइबरबुलिंग से अलग है, जो आमतौर पर ऑनलाइन उत्पीड़न या शरारत होती है। जबकि साइबर स्टॉकिंग में अक्सर अधिक योजनाबद्ध और लक्षित उत्पीड़न शामिल होता है। जैसे- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को ऑनलाइन साझा करना। किसी व्यक्ति को डराने या परेशान करने के लिए गलत या झूठी जानकारी का उपयोग करना। किसी व्यक्ति के अकाउंट को हैक करना या उसकी पहचान चुराना। किसी व्यक्ति के घर या काम की जगह की जानकारी प्राप्त करना और उसका उपयोग करना। इसके अलावा अश्लीलता फैलाना और बाल यौन शोषण सामग्री फैलाना भी शामिल है।
साइबर स्क्वाटिंग – डोमिन नेम से जुड़ा अपराध। जैसा गुगल के साथ हुआ था। 2015 में गूगल के साथ एक दिलचस्प घटना हुई थी जब उनके डोमेन नाम, google.com का स्वामित्व कुछ देर के लिए खो गया था। एक पूर्व कर्मचारी ने डोमेन खरीदने में सफलता हासिल की थी। यह घटना एक गलती के कारण हुई थी। इसलिए अब संस्थाएं डोमेन नेम को लेकर अधिक सतर्कता बरतती हैं।
2. सरकार के विरुद्ध किए जाने वाले साइबर अपराध
यह सबसे गंभीर साइबर अपराध माना जाता है। सरकार के खिलाफ किए गए ऐसे अपराध को साइबर आतंकवाद के रूप में भी जाना जाता है। सरकारी साइबर अपराध में सरकारी वेबसाइट या सैन्य वेबसाइट को हैक किया जाना शामिल है। गौरतलब है कि जब सरकार के खिलाफ एक साइबर अपराध किया जाता है, तो इसे उस राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला और युद्ध की कार्रवाई माना जाता है। ये अपराधी आमतौर पर आतंकवादी या अन्य शत्रु देशों की सरकारें होती हैं। इस प्रकार के साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक देश की सरकार द्वारा कठोर साइबर कानून बनाए गए हैं।
3. संपत्ति के विरुद्ध किए जाने वाले साइबर अपराध
कुछ ऑनलाइन अपराध संपत्ति के खिलाफ होते हैं, जैसे कि कंप्यूटर या सर्वर के खिलाफ या उसे ज़रिया बनाकर किए जाते हैं। इन अपराधों में हैकिंग, वायरस ट्रांसमिशन, साइबर और टाइपो स्क्वाटिंग, कॉपीराइट उल्लंघन, आईपीआर उल्लंघन आदि शामिल हैं। उदाहरण- कोई आपको एक वेब-लिंक भेजे, जिस पर क्लिक करने के बाद एक वेब पेज खुले जहां आपसे आपके बैंक खाते/गोपनीय दस्तावेज़ संबंधित सारी जानकारी मांगी जाए और ऐसा कहा जाए कि यह जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या सरकार की ओर से मांगी जा रही है, आप वहां सारी जानकारी दे दें और फिर उस जानकारी के इस्तेमाल से आपके दस्तावेज एवं बैंक खाते के साथ छेड़छाड़ की जाए, तो यह संपत्ति के विरूद्ध साइबर हमला कहा जाएगा।
गेमिंग एप के जरिये लगा रहे सेंध
आजकल के बच्चों में मोबाइल की लत से सभी अभिभावक परेशान हैं। अभिभावकों के मोबाइल बच्चे इस्तेमाल करते हैं। गेम खेलते हैं। हाल ही में कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें बच्चे साइबर ठगों के भेजे गए लिंक पर क्लिक कर देते हैं। शिमला में कुछ दिनों पहले एक बच्चे ने अपने पिता के मोबाइल पर गेम खेलने के दौरान 30 हजार रुपये गंवा दिए थे। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं, बच्चे वेरीफाइड एप का ही इस्तेमाल करें। इसका हमेशा ध्यान रखें। उन्हें समझाएं। छोटे बच्चों को भी साइबर क्राइम के बारे में बताएं। वह क्या सर्च कर रहे हैं, इस बारे में भी जानकारी रखें।
वायरस या मैलवेयर अटैक
इस हमले में हैकर्स किसी नेटवर्क या मशीन को उसके उपयोगकर्ता के लिए ही अनुपलब्ध कर देते हैं। साल 2024 के अक्टूबर में ‘स्टेट डेटा सेंटर’ में मैलवेयर हमले के कारण उत्तराखंड के कई सरकारी विभागों की वेबसाइटों को चार से 5 दिन बंद रखना पड़ा था। इनमें सीएम हेल्पलाइन और ‘राज्य पोर्टल’ समेत ‘अपनी सरकार’, ‘ई-ऑफिस’, ‘ई-रवन्ना पोर्टल और चारधाम पंजीकरण जैसी प्रमुख वेबसाइटें भी शामिल थीं। ऑनलाइन सिस्टम बंद होने से काम मैनुअली ही किए गए। काफी मशक्कत के बाद इन वेबसाइटों को बहाल किया गया था।